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कॉमनवेल्थ गेम्स पर डंक मारने को तैयार डेंगू

वो खौफ जो कॉमनवेल्थ गेम्स पर तो अगले महीने डंक मारेगा लेकिन राजधानी के बाशिदों के लिए कब से दस्तक दे चुका है. ये खौफ है एक छोटे से डेंगू के मच्छर का. दिल्ली में जहां-जहां खेल होने हैं, वहां पहले से ही डेंगू मच्छरों ने डेरा डाल रखा है.

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वो खौफ जो कॉमनवेल्थ गेम्स पर तो अगले महीने डंक मारेगा लेकिन राजधानी के बाशिदों के लिए कब से दस्तक दे चुका है. ये खौफ है एक छोटे से डेंगू के मच्छर का. दिल्ली में जहां-जहां खेल होने हैं, वहां पहले से ही डेंगू मच्छरों ने डेरा डाल रखा है.

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डेंगू के मरीजों की संख्या हजार के पार चले जाने से कैसे दिल्ली बन गयी है डेंगू की राजधानी. 3 अक्टूबर से कॉमनवेल्थ गेम होने हैं. स्टेडियम और दूसरे खेल स्थानों की तैयारी तो भगवान भरोसे ही है लेकिन वहां पर डेंगू के मच्छरों को देखकर आप ये भी कह सकते हैं कि खिलाडियों और दर्शकों की हिफाजत भी भगवान भरोसे ही है.

आलम ये है कि छह खेल स्थानों पर डेंगू के मच्छर डंक मारने को तैयार बैठे हैं. डेंगू के मच्छरों ने दिल्ली में अपना साम्राज्य इस तरह बढ़ा लिया है कि सरकारी अस्पताल भी बीमार हो गये हैं. और तो और, देश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल एम्स भी डेंगू मच्छरों की चपेट में है.

कुछ दूसरे बड़े अस्पतालों का भी चालान कट चुका है लेकिन ना तो अस्पताल सुधरने को तैयार दिख रहे हैं, ना प्रशासन मुश्तैद है. दिल्ली में डेंगू के मच्छर इस कदर फैले हैं कि इस मामले में सरकारी तो सरकारी, प्राइवेट अस्पताल भी सुभान अल्लाह हैं.

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प्रशासन ने दो प्राइवेट अस्पतालों का इस बात के लिए चालान काटा है कि वहां डेंगू के मच्छर पाए गये हैं. सवाल उठता है कि आपसे मोटी रकम वसूलने वाले प्राइवेट अस्पताल इन मच्छरों को रोक पाने में नाकाम क्यों हैं.{mospagebreak}

भगवान ना करें कि आपको किसी प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होना पड़े. अगर दस दिन रह गये तो लाखों का बिल आपको थमा दिया जाएगा और ये सब होगा अच्छे इलाज और साफ-सफाई के नाम पर. लेकिन ये जानकर आप हैरान हो जाएंगे कि बड़े- बड़े प्राइवेट अस्पतालों में भी डेंगू के लार्वा जमकर पनप रहे हैं.

सरकार की तरफ एस्कॉर्ट और होली फैमिली जैसे दो बड़े प्राइवेट अस्पतालों का चालान काटा गया है और उन्हें नोटिस थमाया गया है कि डेंगू के लार्वे को पनपने से रोंके. अभी ये तो जानकारी नहीं मिली है कि अस्पतालों में डेंगू की रोकथाम के लिए क्या किया लेकिन इस खतरे की गूंज सात समंदर पार तक जरूर पहुंच गयी है.

कनाडा ने जहां अपने खिलाड़ियों को डेंगू से बचाव के लिए गाइडलाइन थमाया है, वही ऑस्ट्रेलिया भी अपने खिलाडियों की सुरक्षा को लेकर सतर्क है. खिलाड़ी तो खिलाड़ी, विदेशी सैलानी भी डेंगू से इस कदर डरे हुए हैं कि होटलों में 10 से 15 फीसदी तक बुकिंग रद्द हो गयी है. जबकि बाकी सैलानी भी पूछ रहे हैं. उन्हें मच्छर तो नहीं काट लेगा? और अगर काटा तो दिल्ली में इलाज तो हो जाएगा?

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जिस तरह से विदेशों में खौफ फैल रहा है और सरकारी एजेंसियां सुस्त चाल से चल रही हैं, उसमें कहीं ऐसा ना हो कि खेल के महाकुंभ में दिल्ली खौफ के साये में सिमटी नजर आए.

डेंगू आखिर कैसे ना हो? नालियां खुली पड़ी हैं और मच्छरों के लार्वे को नष्ट करने के लिए जिन्हें दवाई का छिड़काव करना है वो हड़ताल पर जा रहे हैं. लेकिन उनकी हड़ताल रोकने के बजाय एमसीडी के हाकिम-हुक्कामों को बस मजाक सूझ रहा है.

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