टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को भारत के पूर्व क्रिकेटर और कमेंटेटर सुनील गावस्कर का जबरदस्त समर्थन मिला है. आलोचकों के निशाने पर चल रहे कप्तान धोनी का बचाव करते हुए गावस्कर ने कहा कि भारत के सीमित ओवरों के कप्तान को केवल बलि का बकरा बनाया जा रहा है और वह अभी तीन से पांच साल तक क्रिकेट खेल सकता है.
सुनील गावस्कर ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उसे बलि का बकरा बनाया जा रहा है. कोई भी शिखर धवन, सुरेश रैना, विराट कोहली, स्टुअर्ट बिन्नी के प्रदर्शन पर सवाल नहीं उठा रहा है. लगता है कि हर कोई गेंदबाजों के प्रदर्शन को भी नजरअंदाज कर रहा है. सारा दोष धोनी के ऊपर मढ़ दिया गया है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. मुझे लगता है कि धोनी अभी तीन से पांच साल तक क्रिकेट खेल सकता है.
कुछ पूर्व क्रिकेटर्स जैसे पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने भारत के दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लगातार तीन मैच हारने पर धोनी की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि वह अब पहले जैसा खिलाड़ी नहीं रहा. गावस्कर को लगता है कि धोनी अब भी खास खिलाड़ी है और उन्हें अपने फार्म में वापसी के लिए समय दिया जाना चाहिए.
इस पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा, ‘मुझे याद है कि जब मैंने खेलना शुरू किया था तब संन्यास लेने की उम्र 33-34 साल हुआ करती थी. जब तक मैंने संन्यास लिया यह 37-38 साल हो गई. सचिन तेंदुलकर ने तब संन्यास लिया जब वह 40 साल का था. इसलिए खिलाड़ी 40 साल तक खेल सकते हैं. हमें धोनी के मामले में संयम बरतने की जरूरत है. अभी उनमें काफी क्रिकेट बची हुई है.
पूर्व स्पिनर ईरापल्ली प्रसन्ना ने हालांकि धोनी की आलोचना की. उन्होंने कहा कि उनका फुटवर्क अब पहले की तरह नहीं रहा और इससे उनकी टाइमिंग भी प्रभावित हो रही है. प्रसन्ना ने कहा, ‘यह धोनी के करियर के समापन की शुरुआत हो सकती है लेकिन निश्चित तौर पर अभी वह चुके नहीं हैं. वह अभी अगले दो से तीन साल तक खेल सकते हैं. लेकिन हां इस तरह से एक क्रिकेटर के करियर के अवसान की शुरुआत होती है. धोनी की टाइमिंग और फुटवर्क अब पहले जैसा नहीं रहा.’
गावस्कर भी इस चर्चा का हिस्सा थे और जब उनसे पूछा गया कि क्या टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के कारण धोनी का खेल प्रभावित हुआ है, ‘उन्होंने कहा, नहीं कतई नहीं. सचाई यह है कि वह अब नए जोश के साथ खेलेगा. टेस्ट क्रिकेट खेलने का मतलब है कि आपको लंबे समय तक विकेटों के पीछे खड़े रहना होगा और इससे खेल के अन्य पहलुओं पर प्रभाव पड़ता है. यह उनके लिए अच्छा है कि उन्होंने लंबी अवधि के प्रारूप से संन्यास ले लिया है.’