टीम इंडिया के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ने मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग को अपराध घोषित करने की अपील की है क्योंकि दमदार कानून संभावित फिक्सिरों के लिये बड़ी बाधा बन सकता है. द्रविड़ ने मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग को रोकने के लिये दो सुझाव भी बताये. उन्होंने इन गैरकानूनी गतिविधियों को अपराध घोषित करने और खिलाड़ियों को जूनियर स्तर से ही शिक्षित करने की सलाह दी.
द्रविड़ ने राजस्थान रायल्स के अपने तीन साथियों के आईपीएल में कथित स्पाट फिक्सिंग मामले में गिरफ्तारी के लगभग तीन महीने बाद कहा, 'मेरी निजी राय है कि जूनियर स्तर से ही शिक्षित करना और उन्हें समझाना बेहद महत्वपूर्ण है.' उन्होंने कहा, 'मैं समझता हूं कि हमें जल्दी शुरुआत करनी चाहिए. हमें युवाओं से शुरुआत करनी चाहिए. मैं जानता हूं कि भारत का अपना एसीएसयू है और यहां तक कि रणजी ट्रॉफी टीमों को भी इस तरह की शिक्षा दी जाती है.' इस 40 वर्षीय क्रिकेटर ने कहा कि जागरूकता पैदा करने के आलवा संभावित फिक्सरों को डर पैदा करने के लिये कड़े कानून बनाना महत्वपूर्ण है.
द्रविड़ ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि केवल शिक्षा से काम चल सकता है. इसके लिये ऐसा कानून बनाना जरूरी है जिससे इस तरह की गतिविधियों में शामिल व्यक्ति को सजा मिल सके. लोगों को जरूर पता लगना चाहिए कि उनकी कारगुजारी के लिये कड़ी सजा मिलेगी. इससे लोगों में डर पैदा होगा.'
उन्होंने कहा, 'आप तमाम आलेख पढ़ लो. वे केवल पुलिस और जेल जाने से डरते हैं. लोगों में यह भय तभी भरा जा सकता है जब उन्हें इस तरह के गलत कामों की सजा और कानून के बारे में पता चलेगा. इसे अपराध घोषित कर देना चाहिए.' एस श्रीसंत, अंकित चव्हाण और अजित चंदीला राजस्थान रायल्स के वे तीन क्रिकेटर हैं जिन्हें स्पाट फिक्सिंग के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था. उन पर मकोका के तहत आरोप लगाये गये थे. द्रविड़ ने कहा, 'यह मामला अब भी चल रहा है और मैं इस पर फैसला नहीं देना चाहता कि वे दोषी थे या नहीं और मेरा मानना है कि जब तक किसी को दोषी साबित नहीं किया जाता है तब तक उसे निर्दोष कहलाने का अधिकार है. मुझे खुशी है कि पुलिस इस मामले में आगे बढ़ रही है.' इस पूर्व बल्लेबाज ने कहा कि पुलिस दोषी के खिलाफ मामला दर्ज कर सकती है लेकिन क्रिकेट प्रशासकों को इससे निबटने और खेल के हितों के बचाव के लिये पुलिस का साथ देना चाहिए.'
उन्होंने कहा, 'सुरक्षा के लिये क्रिकेट प्रशासन पहले ही पुलिस के साथ मिलकर काम करता है. मेरे कहने का मतलब है कि पुलिस हमारी सुरक्षा के लिये मैदान पर रहती है. इसलिए अगला कदम यह होना चाहिए कि प्रशासकों को इस मामले में भी पुलिस के साथ काम करने की जरूरत है क्योंकि उन्हें ही इस तरह के मामलों से निबटने का अधिकार है.' द्रविड़ ने कहा, 'उन्हें मिलकर काम करना चाहिए. आप नहीं चाहेंगे कि पुलिस हमेशा आपके कमरे में बैठी रहे. पुलिस मैं समझता हूं कि कानून और सभी खेल संस्थाओं के प्रशासकों के बीच भागीदारी होनी चाहिए.'