राष्ट्रमंडल खेलों के नाम पर करोड़ों रुपये का दुरूपयोग करने के आरोप को खारिज करते हुए सरकार ने कहा कि इन खेलों के लिए खर्च की जाने वाली कुल अनुमानित राशि 11419 करोड़ रुपये है.
खेल राज्य मंत्री प्रतीक प्रकाशबापू पाटिल ने राज्यसभा में लिखित उत्तर में बताया कि अक्तूबर माह में आयोजित होने जा रहे राष्ट्रमंडल खेलों पर सरकार द्वारा खर्च की जाने वाली कुल अनुमानित राशि 11419 करोड़ रुपये है.
इन खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों की संख्या के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में पाटिल ने बताया कि 71 राष्ट्रमंडल खेल संघों (सीजीए) से प्रविष्टियां मिलने की अंतिम तारीख तीन सितंबर है जिसके बाद ही खिलाड़ियों की संख्या और नामों का पता चल पाएगा.
उन्होंने बताया कि खेलों के आयोजन के लिए आयोजन समिति को शुरू में 767 करोड़ रुपये देने की मंजूरी दी गई थी. इसे बाद में बढ़ाकर 2,394.24 करोड़ रुपये कर दिया गया. अब तक आयोजन समिति 946.92 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है.
उन्होंने हालांकि इस बात को गलत बताया कि आयोजन समिति ने या केंद्र सरकार ने राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन के लिए किसी अन्य देश से ऋण लिया है.
{mospagebreak}पाटिल ने बताया कि आयोजन समिति द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, राष्ट्रमंडल खेल परियोजनाओं के ठेके विदेशी कंपनियों को देने से पहले उपयुक्त निविदा प्रक्रिया और कागजी कार्रवाई की गई है. उन्होंने बताया कि खेल परियोजनाओं के ठेके की शर्तो के अनुसार काम न करने के कारण मेसर्स स्पोर्ट्स मार्केटिंग मैनेजमेंट फर्म का ठेका रद्द कर दिया गया. दुरहम मरेनगी कंपनी का ठेका इसलिए रद्द किया गया क्योंकि उसने वेंडरों को प्रभावित करने की कोशिश की. मेसर्स इवेन्ट नॉलेज सर्विसेज ने काम पूरा किया और आपसी सहमति से उसका ठेका रद्द किया गया.
आयोजन समिति से मिली सूचना के अनुसार, खेलों के दौरान राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के लिए किराये पर वस्तुएं उपलब्ध कराने के लिए चार कंपनियों को ठेके दिए गए हैं. ये कंपनियां क्रमश: मेसर्स जी एल इवेन्ट्स, मेरोफार्म कन्सोर्टियम सीजी 2010, मेसर्स पिको दीपाली ओवरलेज कन्सोर्टियम, मेसर्स नुसली (स्विटजरलैंड) लि और ईएसएजेवी (डी. आर्ट) इंडो कन्सोर्टियम हैं.
इन कंपनियों द्वारा कवर की जाने वाली मदें करीब 1000 हैं जिनमें शामियाना, टेंट, पूर्व निर्मित कार्यालय, पोर्टा वाटर क्लोसेट्स, पब्लिक डिस्प्ले प्रणाली, डीजल जनरेटर सेट, यूपीएस, ग्रैंड स्टैंड सीटिंग, प्रसार मंच, सुरक्षा घेरा, फर्नीचर, फिक्सर और उपकरण आदि हैं.
पाटिल ने बताया कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की रिपोर्ट के अनुसार, मूल परियोजना विकास निविदा के अनुसार, मेसर्स एमार एमजीएफ को किसी राशि का भुगतान नहीं किया गया है. हालांकि डीडीए ने अलग निविदा के अंतर्गत 768 करोड़ रुपये में 333 फ्लैट खरीदे हैं.