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कोटला टेस्ट में टीम इंडिया की जीत के पांच कारण

टीम इंडिया ने फिरोजशाह कोटला मैदान पर खेले गए चौथे टेस्ट मैच में दक्षिण अफ्रीका को 337 रनों से हरा दिया. चार मैचों की सीरीज के अंतिम टेस्ट के पांचवें दिन सोमवार को भारतीय गेंदबाजों ने 481 रनों के लक्ष्य का पीछा करती मेहमान टीम की पारी 143 रनों पर समेट दी.

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टीम इंडिया
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टीम इंडिया ने फिरोजशाह कोटला मैदान पर खेले गए चौथे टेस्ट मैच में दक्षिण अफ्रीका को 337 रनों से हरा दिया. चार मैचों की सीरीज के अंतिम टेस्ट के पांचवें दिन सोमवार को भारतीय गेंदबाजों ने 481 रनों के लक्ष्य का पीछा करती मेहमान टीम की पारी 143 रनों पर समेट दी. इसके साथ ही टीम इंडिया ने चार टेस्ट मैचों की सीरीज 3-0 से जीत ली. भारत ने मोहाली (पहला) और नागपुर (तीसरा) टेस्ट केवल तीन दिनों में जीत लिया था जबकि बंगलुरु टेस्ट बारिश की भेंट चढ़ गया था. चलिए आपको बताते हैं वो पांच कारण जिसकी वजह से कोटला में टीम इंडिया को जीत मिली.

रहाणे का ‘डबल’
कोटला टेस्ट की पहली पारी में टीम इंडिया की बल्लेबाजी लड़खड़ा गई थी. पहले 50 ओवर्स के खेल के दौरान ही कप्तान कोहली समेत छह खिलाड़ी पवेलियन लौट गए थे. दूसरी छोर पर खड़े अजिंक्य रहाणे ने यहां से वो क्रिकेट खेली जो आने वाले दिनों में उनके कद को और ऊंचा करने में बड़ा अहम किरदार निभाएगी. रहाणे तब 55 गेंदों पर 31 रन बना कर खेल रहे थे. यहां से उन्होंने बागडोर संभाली और फिर संयम का बेहतरीन परिचय देते हुए शतक जमाया.

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इस दौरान उन्होंने रविंद्र जडेजा के साथ 7वें विकेट के लिए 59 रन (18.5 ओवर्स) और 8वें विकेट के लिए रविचंद्रन अश्विन के साथ 32.1 ओवर्स में 98 रनों की साझेदारी निभाई. 136 रनों के योग पर छह विकेट गंवा चुकी टीम इंडिया रहाणे के आउट होने तक 296 और अंततः 334 रन बनाने में कामयाब रही. स्पिन लेती विकेट पर यह बड़ा स्कोर ही जीत की नींव रख गया. रहाणे ने दूसरी पारी में भी शतक लगाया. इस दौरान उन्होंने कोहली के साथ पांचवे विकेट के लिए 154 रनों की साझेदारी की.

‘निर्मम’ कप्तान कोहली
अपने घरेलू मैदान पर पहली बार कप्तानी के लिए उतरे विराट कोहली ने इस टेस्ट के शुरू होने से ही पहले ही दो टूक लहजे में कहा था कि वो निर्मम बने रहेंगे और सीरीज 3-0 से जीतने की कोशिश करेंगे. और टेस्ट के दौरान उन्होंने न केवल एक कप्तान के तौर पर बल्कि एक बल्लेबाज के रूप में भी इसे साबित किया. इस टेस्ट में कोहली का बहुत अहम किरदार था. उन्होंने पहली पारी में रहाणे के साथ 70 रनों की अहम साझेदारी की और फिर दूसरी पारी में 154 रनों की.

पहले तीन टेस्ट मैचों में 17 की औसत से केवल 68 रन जुटा चुके कोहली ने अकेले इस टेस्ट के दौरान 132 रन बनाए. इस टेस्ट के दौरान भी वो आक्रामक बने रहे. फील्डिंग के दौरान उन्होंने अमला और डिविलियर्स जैसे बल्लेबाजों के सामने अटैकिंग फील्डिंग सजाई. कोहली ने सिली प्वाइंट, सिली मिड ऑफ पर फील्डर्स खड़े किए और इन बल्लेबाजों को एक एक रन के लिए तरसा दिया. उनकी अटैकिंग फील्डिंग सजावट और जडेजा, अश्विन और यादव की कसी हुई गेंदबाजी की बदौलत ही मैच बचाने के प्रयास में लगे दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों ने धीमी बल्लेबाजी के कई अनचाहे कीर्तिमान अपने नाम किए.

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स्पिन किंग अश्विन
स्पिन विकेटों पर अश्विन ने अपने आगाज की घोषणा तो श्रीलंका दौरे पर ही कर दी थी. वहां वो तीन टेस्ट की सीरीज में 21 विकेट लेकर मैन ऑफ द सीरीज बने तो यहां वो चार टेस्ट की सीरीज में 31 विकेट लेकर इस पुरस्कार के हकदार बने. केवल 12 टेस्ट सीरीज खेलकर अश्विन ने यह कारनामा पांचवीं बार किया. इसके साथ ही उन्होंने किसी भी भारतीय क्रिकेटर के सबसे अधिक मैन ऑफ द सीरीज के रिकॉर्ड की बराबरी की. यह रिकॉर्ड वीरेंद्र सहवाग (38 सीरीज) और सचिन तेंदुलकर (74 सीरीज) के नाम दर्ज है.

इसी टेस्ट के दौरान वो अफ्रीकी टीम के खिलाफ किसी सीरीज में सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज पहले ही बन गए हैं. कोटला पर यह अश्विन का तीसरा टेस्ट था और इस टेस्ट को मिलाकर वो यहां 23 विकेट ले चुके हैं. अभी पिछली श्रीलंका सीरीज में ही वो सबसे तेज 150 टेस्ट विकेट लेने वाले गेंदबाज बने थे. वो जिस तरह प्रत्येक टेस्ट के बाद अपने विकेटों की संख्या में वृद्धि कर रहे हैं उससे यह साफ लगने लगा है कि अगले कुछ मैचों में ही वो सबसे तेज 200 विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज भी बन जाएंगे. वो 32 टेस्ट में 176 विकेट ले चुके हैं.

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जडेजा को मिली नई पहचान
चार टेस्ट मैचों की सीरीज में जहां एक ओर अश्विन ने लिए 31 विकेट लिए वहीं दूसरी छोर से ‘सर’ जडेजा छाए रहे. मोहाली की पिच पर जो जडेजा ने अपनी फिरकी पर अफ्रीकी बल्लेबाजों को नचाना शुरू किया वो कोटला में भी जारी रहा. इस टेस्ट की दोनों ही पारियों में उन्होंने ने केवल कप्तान हाशिम अमला के विकेट लिए बल्कि पहली पारी में पांच विकेट समेत कुल सात खिलाड़ियों को चलता किया. दूसरी पारी में उन्होंने जो गेंदबाजी की उसकी जितनी तारीफ की जाए वो कम है.

दूसरी पारी में जडेजा को अफ्रीकी बल्लेबाजों ने इस कदर रक्षात्मक खेला कि उन्होंने 46 में से 33 ओवर्स मेडने फेंके. यह जडेजा की कसी हुई गेंदबाजी का ही कमाल था कि कप्तान अमला ने खाता खोलने के लिए 46 गेंदों तो डु प्लेसिस ने 52 डाट गेंद खेलकर 53वीं गेंद पर खाता खोला. दूसरी ओर सबसे तेज शतक के लिए मशहूर डिविलियर्स भी 220 गेंदों पर 33 रन बनाए. पूरी सीरीज के दौरान 23 विकेट झटक कर जडेजा ने अपनी नई पहचान बनाई है.

यादव की विकेट-टू-विकेट गेंदबाजी
दूसरी पारी में उमेश यादव की गेंदबाजी ने दिखा दिया कि अगर आपकी गेंदबाजी में धार है तो वो केवल हरी पट्टी की मोहताज नहीं होती. स्पिन लेती विकेट पर यादव ने तेज गेंदबाजी खेलने में निपुण अफ्रीकी बल्लेबाजों को अपनी स्पीड से मात किया. अश्विन-जडेजा की जोड़ी ने जहां शुरुआती बल्लेबाजों को आउट किया वहीं यादव ने टेल की सफाई की. पहली पारी में यादव ने दो तो दूसरी में तीन विकेट लिए.

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दूसरी पारी में यादव ने अविस्मरणीय गेंदबाजी का प्रदर्शन किया. अफ्रीकी बल्लेबाज जहां एक तरफ जडेजा की स्पिन लेती गेंदों से परेशान रहे वहीं यादव ने उन्हें एक एक रन के लिए तरसा दिया. यादव ने इस दौरान 21 ओवर्स फेंके और अफ्रीकी बल्लेबाज उनकी फेंकी गई केवल छह गेंदों पर रन बनाने में कामयाब रहे. यानी 120 डॉट बॉल के साथ उनकी इकॉनमी केवल 0.42 की रही.

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