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आने वाले 2 साल तक नहीं खेल सकता भारत के लिएः सतनाम सिंह भामरा

भारतीय बास्केटबॉल की नई सनसनी सतनाम सिंह भामरा ने साफ किया है कि वह कम से कम अगले दो साल तक नेशनल टीम की तरफ से खेलने के लिए उपलब्ध नहीं रहेंगे क्योंकि उनकी निगाह अपने खेल में सुधार करने और एनबीए की डलास मावरिक्स की पहली टीम में जगह बनाने पर है.

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सतनाम सिंह भामरा
सतनाम सिंह भामरा

भारतीय बास्केटबॉल की नई सनसनी सतनाम सिंह भामरा ने साफ किया है कि वह कम से कम अगले दो साल तक नेशनल टीम की तरफ से खेलने के लिए उपलब्ध नहीं रहेंगे क्योंकि उनकी निगाह अपने खेल में सुधार करने और एनबीए की डलास मावरिक्स की पहली टीम में जगह बनाने पर है.

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भारत ने 3 सितंबर से चीन के हुनान में होने वाली फीबा एशियाई चैंपियनशिप के लिये क्वालीफाई किया है लेकिन सतनाम ने साफ किया है कि अगले दो साल तक उनका ध्यान केवल एनबीए पर रहेगा. इस 7 फीट दो इंच लंबे खिलाड़ी ने कहा, 'मैं अगले दो साल तक भारत के लिए नहीं खेलूंगा. मेरा ध्यान केवल एनबीए पर है. मुझे अपने खेल में सुधार करके पहली टीम में जगह बनानी होगी. अगले दो साल में जब मैं खुद को स्थापित कर लूंगा तब फिर से भारत के लिए खेल सकता हूं. मेरा मुख्य लक्ष्य कम से कम दस साल तक एनबीए लीग में खेलना है.'

'अभी नहीं बना पा रहा हूं संतुलन'
सतनाम मावरिक्स की तरफ से एनबीए समर लीग में डेब्यू को लेकर उत्साहित हैं. उन्होंने कहा, 'मैं किसी तरह का दबाव महसूस नहीं कर रहा था और मैं नर्वस भी नहीं था. मैंने केवल खुद से यही बात कही कि आ तो गया हूं पहला आदमी भारत से, एक बार देख ले कैसे होता है. जहां तक ताकत की बात है तो मैं भी अमेरिकी खिलाडि़यों के बराबर हूं. मैं अभी संतुलन नहीं बना पा रहा हूं और कोच इस पर काम कर रहे हैं. मेरे घुटने कमजोर है. मैं मजबूती हासिल करने के लिए कसरत कर रहा हूं.'

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'भारतीय खिलाड़ियों को फिटनेस पर ध्यान देने की जरूरत'
सतनाम से पूछा गया कि अधिक से अधिक भारतीय खिलाड़ी एनबीए तक कैसे पहुंच सकते हैं, उन्होंने कहा, 'एनबीए की मुंबई में एकैडमी है. अगर कोई बेहतर खिलाड़ी होगा तो उसे भविष्य में निश्चित तौर पर बुलाया जाएगा. जहां तक मौजूदा भारतीय खिलाड़ियों की बात है उन्हें अपनी फिटनेस पर बहुत मेहनत करने की जरूरत है. पहले उन्हें छरहरा बनना होगा. लीब्रोन जेम्स जैसे खिलाड़ियों को देखो. वह बहुत छरहरे कद है. अगर आप छरहरे हो तो इससे आपकी ताकत ओर तेजी में सुधार होगा.'

'ड्वाइट हॉवर्ड मेरे आदर्श'
एनबीए के लिए चुने गए पहले भारतीय खिलाड़ी ने कहा, 'मैंने अपने खेल में अंतर देखा. मेरी तेजी अलग स्तर की थी, मैं कोर्ट पर कभी इतनी तेजी से नहीं दौड़ा था. जब भी मैं थक जाता कोच मुझे बाहर बुला देता और फिर अंदर भेज देता. मेरे आदर्श ड्वाइट हॉवर्ड (ह्यूस्टन रॉक्स के सेंटर) हैं. मैं उनकी तरह खेलना चाहता हूं.'

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