इंग्लैंड के पूर्व कप्तान और मशहूर कमेंटेटर टोनी ग्रेग का लंबे समय तक कैंसर से जूझने के बाद निधन हो गया. वह 66 वर्ष के थे. उन्हें नाजुक हालात में अस्पताल में भर्ती कराया था जहां उन्होंने आखिरी सांस ली.
टोनी ग्रेग को इस साल अक्तूबर में फेफड़ों का कैंसर होने का पता चला था जबकि मई से उनका दमे का इलाज चल रहा था. श्रीलंका में टी-20 विश्व कप के बाद उनका टेस्ट कराया गया था. सिडनी मार्निंग हेराल्ड ने कहा, ‘आस्ट्रेलिया लौटने के बाद उनके दाहिने फेफड़े से तरल पदार्थ निकाला गया. टेस्ट से पता चला कि उन्हें फेफडों का कैंसर था.’
ग्रेग के बेटे मार्क ने अखबार को बताया कि उनके पिता का कैंसर चौथे चरण में पहुंच गया था. ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच नवंबर में पहले टेस्ट की कमेंट्री के समय ग्रेग ने इस बीमारी का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था, ‘यह अच्छा नहीं है लेकिन सच यही है कि मुझे फेफड़ों का कैंसर है. अब देखना यह है कि डाक्टर क्या कर सकते हैं.’
दक्षिण अफ्रीका के क्वींसटाउन में जन्मे ग्रेग स्काटिश अभिभावक होने के कारण इंग्लैंड के लिये खेल सके. उनके पिता स्काटलैंड के थे. उन्होंने 58 मैचों के टेस्ट कैरियर में 3599 रन बनाये और 141 विकेट लिये. इसके अलावा 22 वनडे में 269 रन बनाये और 19 विकेट चटकाये. इंग्लैंड के शीर्ष अंतरराष्ट्रीय हरफनमौला ग्रेग ने कैरी पैकर को विश्व सीरिज क्रिकेट शुरू करने में मदद की थी जिसमें इंग्लैंड, वेस्टइंडीज और पाकिस्तान के कई क्रिकेटरों ने भाग लिया था. इसकी वजह से उन्हें इंग्लैंड की कप्तानी गंवानी पड़ी. ग्रेग की कप्तानी में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन टीम ने 1976-77 के भारत दौरे पर किया.
भारत में 15 साल में पहली बार इंग्लैंड ने धमाकेदार जीत दर्ज की. पहले तीन टेस्ट बड़े अंतर से जीते. वह 1977 में क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद सफल कमेंटेटर बने. अपने बेबाक बयानों के लिये मशहूर ग्रेग ने डीआरएस इस्तेमाल नहीं करने के लिये बीसीसीआई की आलोचना की थी.