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जानिए कौन हैं ऐतिहासिक जीत के नायक

ताज तो कंगारू भारत लेकर आए ही नहीं थे. बची-खुची साख वो मोहाली में टीम इंडिया के जीत के तीसरे मुक्के के साथ ही गंवा बैठे हैं. अब नंबर 2 की ओर बढ़ रहा टीम इंडिया का विजयरथ रोकना उनके बस की बात नहीं.

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ताज तो कंगारू भारत लेकर आए ही नहीं थे. बची-खुची साख वो मोहाली में टीम इंडिया के जीत के तीसरे मुक्के के साथ ही गंवा बैठे हैं. अब नंबर 2 की ओर बढ़ रहा टीम इंडिया का विजयरथ रोकना उनके बस की बात नहीं.

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मोहाली में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद जश्न के लम्हे थमने का नाम नहीं ले रहे. क्योंकि ये इतिहास रचने के सफर पर निकली टीम इंडिया की टनाटन जीत के यादगार पल हैं. इस जीत ने टेस्ट के नए टेंपरामेंट वाली पीढ़ी की ताकत दिखाई है तो कंगारुओं का गुरुर चूर करने की हिम्मत भी. अपनी पिच पर, अपने लोगों के बीच अपनी ताकत का जिस तरह से प्रदर्शन धोनी के धुरंधरों ने किया है, वो काबिले तारीफ है. कप्तान ने कमाल की कप्तानी की, जिस पर भरोसा किया, वो खरा उतरा और जिसे मौका मिला, उसने मौका भुनाने के लिए जान लड़ा दी.

मोहाली वैसे भी टीम इंडिया के लिए लकी ग्राउंड रहा है और इसी मैदान पर भारत ने लगा दी है जीत की हैट्रिक. ये वही मैदान है जहां ऑस्ट्रेलिया भारत को कभी भी मात देने में कामयाब नहीं हो सका है. कंगारुओं की बुरी गत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1970 के बाद पहली बार ऑस्ट्रेलिया सीरीज में 0-3 से पिछड़ गई है और चारों खाने चित होने की कगार पर है. मोहाली की जीत के साथ ही कप्तान एमएस धोनी ने भारत में ऑस्ट्रेलिया पर जीत के अपने सौ फीसदी रिकॉर्ड को भी कायम रखा है. घर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए सातों टेस्ट में कप्तान धोनी ने जीत हासिल की है.

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शिखर धवन
ऑस्ट्रेलिया का किला ध्वस्त करके टीम इंडिया ने अपना सबसे बड़ा सपना साकार कर लिया है. मोहाली के महानायकों यकीनन शिखर धवन सबसे आगे खड़े हैं और ऑस्‍ट्रलियाई टीम के सपने में शिखर जरूर आएंगे.

टीम इंडिया को टेस्ट में शिखर मिला तो, नए सपने, नई उम्मीदें, आंखों में नई चमक के साथ तैरने लगे. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे और अपने कॅरियर के पहले टेस्ट में 187 रनों की पारी खेलकर शिखर धवन मोहाली के सबसे बड़े महानायक बन गए हैं.

टेस्ट क्रिकेट में जीत की हैट्रिक और वो भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ. शायद ही दुनिया में किसी ने सोचा होगा कि टीम इंडिया ये करिश्मा भी कर दिखाएगी. लेकिन ये सब हुआ और दुनिया इसे देख रही है. दुनिया शिखर की दाद दे रही है, क्योंकि चार दिन के खेल में अगर शिखर ना होते हैट्रिक ना होती. महज 85 गेंदों में शिखर ने अपनी जिंदगी के पहले टेस्ट में पहला टेस्ट शतक ठोक दिया. दुनिया में कभी किसी ने अपने पहले ही टेस्ट मैच में इससे तेज शतक नहीं जमाया.

शिखर धवन ने मोहाली टेस्ट में 174 गेंदों पर 187 रनों की विशाल पारी खेली. शिखर धवन ने 33 चौके और 2 छक्के लगाए. और स्ट्राइक रेट रहा 107.47. शिखर ने सिर्फ रिकॉर्ड ही ध्वस्त नहीं किया, बल्कि भारत के लिए नए रिकॉर्ड्स की झड़ी लगा दी. शिखर से पहले किसी भारतीय ओपनर ने अपने पहले मैच में सेंचुरी नहीं जड़ी थी. किसी भी भारतीय बल्लेबाज ने पहले मैच में ही एक सत्र के भीतर शतक पूरा नहीं किया था.

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लेकिन शिखर अपनी इस महानायक वाली रिकॉर्डतोड़ पारी का श्रेय देते हैं, अपनी लकी चार्म पत्नी आयशा को. अपनी दो बेटियों को और अपने परिवार को. चयनकर्ताओं ने टीम से सहवाग को बाहर किया और शिखर धवन को मौका दिया. कहते हैं वक्त बदलते देर नहीं लगती. शिखर धवन को मौका मिला तो उन्होंने साबित कर दिया कि वो सूरमा हैं.

पिछले साल 30 अक्टूबर को दिल्ली शहर में शिखर ने ऑस्ट्रेलिया की आयशा को हमेशा के लिए अपना बना लिया था. बस तभी से इस बल्लेबाज की क़िस्मत ने स्लो ट्रेक छोड़कर कामयाबी की सुपरफ़ास्ट एक्सप्रेस पकड़ ली. आयशा से शादी के बाद ही शिखर को पहली बार हिंदुस्तान के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने का मौका मिला. अब इसे एक संयोग ही कहेंगे कि पहली बार बैगी ब्लू कैप पहनकर मैदान में जलवा दिखाने का मौका मिला तो वो भी. अपनी ससुराल की टीम के खिलाफ और टेस्ट मैदान पर उतरते ही शिखर का लेडी लक चल निकला.

अपनी किस्मत के इस रौशन सितारे से मिलना भी शिखर के लिए एक खूबसूरत इत्तेफाक था. आयशा टीम इंडिया के टर्बनेटर हरभजन सिंह की फ्रैंड्स लिस्ट में पहले से मौजूद थी. शिखर और आयशा के लवमैच की फिक्सिंग करने वाला क्यूपिड कोई और नहीं बल्कि खुद भज्जी ही थे. एक दिल्ली का दमदार क्रिकेटर, दूसरी ऑस्ट्रेलिया की शौकिया बॉक्सर. दोनों के शौक भी मिलते-जुलते, दोनों टैटू के दीवने, दोनों ही फिल्मों के शौकीन, बस दोस्ती होने में ज्‍यादा वक्त नहीं लगा.

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लेकिन शिखर का दिल लगातार आयशा के लिए कह रहा था ये दिल मांगे मोर. फिर क्या था आयशा की हरी झंडी मिलते ही 2009 में दोनों ने सगाई कर ली और आखिरकार 2012 में शिखर ने शादी करके आयशा को हमेशा के लिए अपना बना लिया. आयशा का आना था कि दोनों की जिंदगी में दो प्यारी बेटियों का भी आना हो गया. बस यहीं से शिखर की किस्मत की किताब में कामयाबी के सुनहरे हर्फ जुड़ने शुरू हो गए.

आज शिखर की इस क़ामयाबी पर सिर्फ आयशा ही नहीं, बल्कि उनके परिवार को भी बेहद नाज है. शिखर से सफर की शुरुआत करने वाले अपने बेटे के कारनामे पर पिता का सीना गर्व से फूल गया है.

जहां पिता को नाज है तो वहीं शिखर की मां भी फूले नहीं समा रहीं. इस मां ने अपने बेटे का नाम शिखर शायद इसीलिए लिए रखा था. अब मां को इंतजार है मोहाली का मैदान जीतकर बेटे के घर आने का ताकि बेटे का मनपसंद राजमा-चावल और नोनवेज खाना अपने हाथ से बनाकर खिला सके.

सिर्फ परिवार ही नहीं बल्कि दिल्ली के इस दिलेर पर आज सारे देश को नाज है. टीम इंडिया के इस जट सूरमा ने कंगारुओं को जैसे कॉलर पकड़कर बैठा दिया है. शुरुआत बेहतरीन हुई लेकिन शिखर, सितारों के आगे जहां और भी है.

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मुरली विजय
मोहाली के दूसरे महानायक से मिलिए. इनकी पहचान कुछ ये है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इनका बल्ला खूब गरजता है. जी हां नाम है मुरली विजय. मुरली ने टेस्ट कॅरियर में अभी तक 3 शतक लगाए हैं और तीनों ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हैं. गारंटी जीत की भी लेते हैं ये जनाब.

मुरली ने मोहाली में शतक की ऐसी मुरली बजाई कि कांगरुओं को नचा डाला और गेंदबाज मुरली के विकेट को तरस गए. अब ऑस्टेलिया की समझ में भी सीधे-सीधे आ गया होगा कि मुरली किस बला का नाम है. मैदान पर टिक जाए तो क्या होता है. गेंदबाजों के होश फाख्ता और जीत पर टीम इंडिया का नाम होता है.

मुरली विजय ने टीम इंडिया के विजय रथ को आगे बढ़ाया और मोहाली टेस्ट की पहली पारी में शानदार 153 रनों की पारी खेली. मुरली ने 317 गेंदो का सामना किया, 19 चौके लगाए और 3 गगनचुंभी छक्के भी. मुरली विजय का स्ट्राइक रेट रहा 48.26 का.

2010 में बैंगलोर में मुरली ने 139 रनों की पारी खेली और भारत 7 विकेट से जीता. 2013 में मुरली ने हैदराबाद में 167 रनों की पारी खेली और मैच जीता. अब 153 रनों की पारी मोहाली में खेली और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत की हैट्रिक लगवा दी.

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महेंद्र सिंह धोनी
धोनी, अब तो लगता है कि जीत के लिए नाम ही काफी है. धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया को वो मिला है, जो आजतक किसी कप्तान की कप्तानी में नहीं मिला.

ऑस्ट्रेलिया का इतना बुरा हश्र कभी नहीं हुआ हुआ. हैदराबाद में हारने के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम में बदलाव हुए, पूरे ऑस्ट्रेलिया में उनकी थू थू हुई. लेकिन फिर भी वो हार की हैट्रिक नहीं बचा सके.

आज धोनी का सीना गर्व से चौड़ा हुआ जा रहा है. जो करिश्मा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किसी कप्तान ने नहीं किया वो धोनी ने कर दिखाया है. पहली बार किसी कप्तान ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत की हैट्रिक लगाई. धोनी टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तान बन गए हैं.

आज वक्त धोनी के साथ है और रिकॉर्ड भी. देश धोनी के साथ है और क्रिकेट के तमाम फैंस भी. दिग्गजों में धोनी के नाम की चर्चा है. धोनी की कामयाबी का ढोल पिट रहा है. महेंद्र सिंह धोनी ने मोहाली में 23वां टेस्ट मैच जीता है, जो धोनी के कप्तान नंबर वन बनने की गवाही देता है.

सौरव गांगुली ने अपनी कप्तानी में टीम इंडिया को 21 टेस्ट मैचों में जीत दिलाई और अब कप्तान धोनी 23 टेस्ट मैंचों में टीम इंडिया को जीत दिला चुके हैं. जबकि मुहम्मद अजहरुद्दीन के नाम 14 टेस्ट मैच जिताने का रिकॉर्ड है.

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ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ धोनी का घरेलू रिकॉर्ड भी बेमिसाल है. कंगारुओं के खिलाफ उन्होंने 7 मैचों में कमान संभाली और सभी मैच में जीत टीम इंडिया की हुई है. आज सबकुछ भूलकर जश्न मनाने का दिन है. धोनी मोहाली के महानायक हैं, देश में उनकी धूम है.

धोनी के इन धुरंधर गेंदबाजों को 4 दिन मिले थे, जीत के लिए और फिर सबने मिलकर ऑस्ट्रेलिया की खटिया खड़ी कर दी. चार दिन का खेल और ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम दो बार चौपट. टीम इंडिया के गेंदबाजों ने ऑस्ट्रेलिया का वो हाल किया कि अपने उन्हें सपने में भी भारतीय गेंदबाज खौफ बनकर सताएंगे.

रवींद्रे जडेजा- 6 विकेट
प्रज्ञान ओझा- 4 विकेट
आर अश्विन- 4 विकेट
भुवनेश्वर कुमार- 3 विकेट
ईशांत शर्मा- 3 विकेट

टीम इंडिया के गेंदबाज़ों ने ऑस्ट्रेलिया को धो डाला, पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया ने जोर लगाया 408 रन बना डाले. लेकिन एकता और एकजुटता के आगे आजतक कोई नहीं टिक पाया है और फिर ऐसा ही हुआ भारतीय गेंदबाजों ने लय पकड़ी, सिर्फ फिरकी ही नही फास्ट बॉलर्स ने भी दम दिखाया और ऑस्ट्रेलिया को जमीन पर धड़ाम से गिरा दिया. और ये बन गए मोहाली के महानायक.

मोहाली में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत बड़ी है. क्योंकि 4 दिन का वक्त मिला था और उसमें भी पहला डेढ़ दिन ऑस्ट्रेलिया खा गया. लेकिन जीत फिर भी टीम इंडिया के नाम है.

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली पारी में ईशांत शर्मा और रवींद्र जडेजा ने जोर लगाया और दोनों ने 3-3 विकेट झटके. ओझा और अश्विन की फिरकी भी खाली नहीं गई और दोनों को 2-2 विकेट मिले.

लेकिन दूसरी पारी में भुवनेश्वर ऑस्ट्रेलिया पर कहर बनकर बरसे और कंगारुओं की रीढ़ तोड़ दी रवींद्र जडेजा ने. दोनों ने 3-3 विकेट लिए. बीच-बीच में अश्विन और ओझा ने भी अपनी भूमिका खूब निभाई. दोनों के खाते में 2-2 विकेट गए.

और इस तरह ऑस्ट्रेलिया चौथे दिन टीम इंडिया को 133 रनों की चुनौती दे पाया. मोहाली
 टेस्ट का पहला दिन भले ही बारिश की भेंट चढ़ गया, लेकिन 4 दिन में ही टीम इंडिया ने अपने सपने को साकार कर लिया.

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