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HWL फाइनल: कल भारत के सामने विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया की चुनौती

भारत के पूल ऑस्ट्रेलिया के अलावा इंग्लैंड और जर्मनी है, जबकि पूल ए में ओलंपिक चैंपियन अर्जेंटीना, नीदरलैंड्स, बेल्जियम और स्पेन है. दिन के अन्य मैच में जर्मनी का सामना इंग्लैंड से होगा.

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भारतीय टीम
भारतीय टीम

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एशियाई हॉकी की सिरमौर भारतीय टीम अब हॉकी वर्ल्ड लीग (HWL) फाइनल में अपना दबदबा बनाने की कोशिश करेगी. शुक्रवार को भुवनेश्वर में शुरू हो रहे टूर्नामेंट के पूल-बी में भारत का मुकाबला पिछली चैंपियन और विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया से होगा. भारत के पूल ऑस्ट्रेलिया के अलावा इंग्लैंड और जर्मनी हैं, जबकि पूल-ए में ओलंपिक चैंपियन अर्जेंटीना, नीदरलैंड्स, बेल्जियम और स्पेन है. दिन के अन्य मैच में जर्मनी का सामना इंग्लैंड से होगा.

कुछ मैचों को छोड़ दें तो उपमहाद्वीप में भारतीय टीम का दबदबा रहा है. हाल ही में ढाका में भारत ने एशिया कप में खिताबी जीत दर्ज की. आठ बार के ओलंपिक चैंपियन भारत के पास इस टूर्नामेंट के जरिये यह साबित करने का सुनहरा मौका है कि उसमें एशिया के बाहर भी अपना दबदबा कायम करने का माद्दा है.

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दुनिया की दूसरे नंबर की टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत को पिछले कुछ समय में ज्यादा कामयाबी नहीं मिली है. ऑस्ट्रेलिया ने उसे चैंपियंस ट्रॉफी, अजलन शाह और कॉमनवेल्थ गेम्स में मात दी. आठ देशों के इस टूर्नामेंट में पहले ही मैच में ऑस्ट्रेलिया के रूप में भारत को सबसे कठिन चुनौती मिली है.

भारत के नये कोच शोर्ड मारिन की भी यह पहली असल परीक्षा होगा जिन्होंने दो महीने पहले ही रोलेंट ओल्टमेंस की जगह ली है. मारिन एशिया कप में कामयाब रहे, लेकिन हॉकी लीग फाइनल उनके लिए बिल्कुल अलग चुनौती होगी. ओल्टमेंस को हटाते समय भारतीय हॉकी के हुक्मरानों ने स्पष्ट कर दिया था कि एशियाई स्तर पर सफलता कोई मानदंड नहीं होगी और विश्व स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करना होगा.

मारिन ने पद संभालने के बाद से खेलने की शैली या टीम की रणनीति में ज्यादा बदलाव नहीं किए हैं.उन्होंने खिलाड़ियों को यह तय करने का अधिकार दिया है कि वह किस शैली से खेलना चाहते हैं. एशिया कप में इसका फायदा मिला और 10 साल बाद भारत ने मलेशिया को 2-1 से हराकर खिताब जीता. भारत ने 2015 में रायपुर में हुए पिछले सत्र में कांस्य पदक जीता था और टीम इस बार पदक का रंग बदलना चाहेगी.

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मनप्रीत सिंह की अगुवाई में भारत के पास युवा और अनुभवी खिलाड़ियों का अच्छा मिश्रण है. हरमनप्रीत सिंह, सुमित, दिप्सन टिर्की, गुरजंत सिंह और वरुण कुमार के रूप में युवाओं की ऐसी ब्रिगेड है, जिसने जूनियर विश्व कप में भारत को खिताबी जीत दिलाई थी. रूपिंदर पाल सिंह और बीरेंद्र लाकड़ा की वापसी से डिफेंस मजबूत हुआ है. अमित रोहिदास ने भी 2017 हॉकी इंडिया लीग में उम्दा प्रदर्शन के दम पर वापसी की है.

दूसरी ओर ऑस्ट्रेलियाई टीम नए कोच कोलिन बैच के साथ आई है, जिन्होंने न्यूजीलैंड के साथ पिछले कुछ साल में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. ऑस्ट्रेलियाई टीम अपने आक्रामक खेल के लिए मशहूर है और यहां उम्दा प्रदर्शन करके अपनी उपलब्धियों में एक तमगा और जोड़ना चाहेगी. विश्व, चैंपियंस ट्रॉफी, ओशियाना कप, हॉकी विश्व लीग और कॉमनवेल्थ गेम्स विजेता ऑस्ट्रेलियाई टीम का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबदबा रहा है, लेकिन रियो ओलंपिक में वह छठे स्थान पर रही.

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