लगातार दो हार के बाद लय में लौटी भारतीय हॉकी टीम ने सोमवार को हीरो हॉकी वर्ल्ड लीग के अपने अंतिम पूल मैच में ओलंपिक चैम्पियन जर्मनी को 3-3 की बराबरी पर रोक दिया. भारत पूल-ए में चौथे नंबर पर रहा और अब क्वार्टर फाइनल दौर में उसका सामना वर्ल्ड चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया से होगा, जो पूल-बी में पहले स्थान पर रहा है.
विश्व की नंबर 1 टीम जर्मनी के खिलाफ 10वें नंबर की भारतीय टीम ने उम्मीद से बढ़कर खेल दिखाया. उसने बीते दो मैचों के खराब प्रदर्शन को एक लिहाज से धोते हुए यह साबित कर दिया कि वह जिद पर आने पर किसी भी टीम को हरा सकती है. भारत को न्यूजीलैंड से 1-3 और इंग्लैंड के हाथों 0-2 से हार मिली थी.
भारतीय टीम 68वें मिनट तक 3-2 की बढ़त बनाए हुए थी और उसकी एक असमंभव सी जीत बिल्कुल सामने दिख रही थी, लेकिन थियो स्ट्राकोवस्की ने ऐन मौके पर अपनी टीम के लिए प्रतिष्ठा बचाने वाला गोल कर दिया. इस गोल से जर्मन खेमे में खुशी थी, लेकिन भारतीय हॉकी प्रेमियों का जर्मनी को हारते देखने का सपना अधूरा रह गया.
मैच का पहला गोल भारत के लिए 19वें मिनट में हुआ. धर्मवीर को गलत तरीके से रोके जाने के कारण भारत को फ्री हिट मिली. रघुनाथ ने डी-एरिया के बाहर से फ्री-हिट लिया, जो जर्मन गोलकीपर की स्टिक से लगकर गोल में घुस गया. भारत 1-0 से आगे हो चुका था. भारतीय खेमे और दर्शकों में जबरदस्त उत्साह था.
उपहार में ही सही लेकिन इस गोल ने भारत का मनोबल ऊंचा कर दिया, लेकिन जर्मन टीम भी हार मानने वाली नहीं थी. उसने हमला जारी रखा. भारतीय रक्षापंक्ति ने 24वें मिनट में उसे पेनल्टी कॉर्नर दिया, जो बेकार चला गया लेकिन इसके बाद के तुरंत किए गए हमले में कप्तान ओलिवर कान ने एक शानदार फील्ड गोल के जरिए जर्मनी को 1-1 की बराबरी पर ला दिया.
भारत को इस बराबरी के गोल से मानो कोई फर्क नहीं पड़ा. भारतीय खिलाड़ी इस मैच में कुछ ठानकर आए थे. 29वें मिनट में जोरदार हमले के दौरान भारत को दूसरा पेनल्टी कॉर्नर मिला, लेकिन जर्मन गोलकीपर ने रघु के उस प्रयास को आसानी से रोक दिया.
इसके बाद भारत ने 33वें मिनट में एक और पेनल्टी कार्नर हासिल किया. इस पर रुपिंदर पाल सिंह ने सटीक गोल करते हुए भारत को 2-1 से आगे कर दिया. भारत ने इस टूर्नामेंट में मिले आठवें पेनाल्टी कॉर्नर पर पहली सफलता हासिल की.
हाफ टाइम तक यही स्कोर रहा. हाफ टाइम के ठीक बाद 37वें मिनट में जर्मनी को तीसरा पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन कप्तान कान का वह प्रयास बेकार चला गया.
भारतीय गोलकीपर श्रीजेश ने 40वें मिनट में जर्मनी का एक और प्रयास बेकार किया, लेकिन 41वें मिनट में जर्मन टीम ने एक और हमला किया. इस पर वह गोल करने में सफल रही, लेकिन भारतीय टीम ने रेफरल मांगा, जिसे नकार दिया गया. पता चला कि गेंद भारतीय खिलाड़ी से टकराकर गोलपोस्ट में घुसी थी. स्कोर 2-2 हो चुका था. यह मैच का दूसरा आत्मघाती गोल था.
अगले 11 मिनट तक दोनों टीमों के बीच आगे निकलने की होड़ लगी रही. भारत को 51वें मिनट में चौथा पेनल्टी कॉर्नर मिला. रघु का प्रयास बेकार चला गया लेकिन गोलपोस्ट के पास खड़े धर्मवीर ने रीबाउंड पर चुपके से गेंद को जर्मन पाले में डाल दिया. भारत 3-2 से आगे हो चुका था.
जर्मनी कहां हार मानने वाला था. उसने हमला जारी रखा लेकिन ज्यादातर हमले भारत की ओर से हुए. 68वें मिनट में हालांकि जर्मनी की ओर से एक सटीक हमला हुआ, जिस पर थियो ने गोल करते हुए अपनी टीम को बराबरी पर ला दिया.