अंजिक्य रहाणे ने लॉर्ड्स टेस्ट मैच के पहले दिन सैकड़ा जड़कर टीम इंडिया को सम्मानजक स्थिति में पहुंचा दिया. रहाणे की इस पारी की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि उन्होंने एक बार फिर पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ मिलकर यह बेहतरीन कमाल किया.
इस मैच में एक वक्त पर टीम इंडिया का स्कोर मात्र 145 रन पर 7 विकेट था, भारत पर बेहद ही कम स्कोर पर ऑलआउट होने का खतरा मंडरा रहा था पर रहाणे ने भुवनेश्वर और मोहम्मद समी के साथ मिलकर मैच का रुख ही बदल डाला.
यह पहला मौका नहीं है जब रहाणे ने यह कमाल किया है, इससे पहले 2013-14 के साउथ अफ्रीका दौरे पर उन्होंने डरबन टेस्ट की पहली और दूसरी पारी में क्रमशः नाबाद 51 और 96 रन का योगदान दिया था. इस मैच में भी परिस्थितियां कुछ ऐसी ही थीं. वह लड़े पर अपनी टीम को मैच जिताने में कामयाब नहीं हो सके.
इसके बाद न्यूजीलैंड दौरे के दूसरे टेस्ट मैच में रहाणे ने कुछ ऐसी ही बल्लेबाजी की. वे जब बल्लेबाजी करने आए तो उस वक्त भारत का स्कोर था 5 विकेट पर 165 रन. वे जब आउट हुए तब तक टीम ने 9 विकेट पर 423 रन बना लिए थे. इस दौरान ने उन्होंने कोहली, धोनी, जडेजा और जहीर खान के साथ मिलकर टीम इंडिया को मजबूत स्थिति में पहुंचाया. हालांकि यह टेस्ट मैच भी ड्रा रहा. इस मैच में रहाणे ने अपने टेस्ट करियर का पहला शतक जड़ा. उन्होंने 118 रन की बेहतरीन पारी खेली.
अब सवाल उठता है कि ऐसा क्या खास है इस खिलाड़ी में जिसके बूते हर पारी के साथ उसकी बल्लेबाजी और निखर रही है. आखिरकार उन्होंने पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ बैटिंग करने के बारे कहां से सीखा. क्योंकि रहाणे स्वभाविक तौर पर टॉप ऑर्डर बल्लेबाज हैं. फिर 5वें या 6वें नंबर पर आकर पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ मिलकर टीम को स्कोर को आगे ले जाना, यह स्टाइल कहां से सीखा? रहाणे कहते हैं कि उन्होंने यह कला पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ अच्छा खेलने वाले बल्लेबाजों को देखकर और उनसे बात करके सीखा है.
रहाणे कहते हैं, 'मैंने पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ बैटिंग करने के बारे में डरबन टेस्ट में सीखा. जब में डरबन टेस्ट की दूसरी पारी में 96 रन पर आउट हुआ तो उस वक्त मेरे दिमाग पर सेंचुरी थी. इसे पाने की कोशिश में विकेट गंवा दिया. लेकिन अब मुझे एहसास हुआ कि जब आप पुछल्लों के साथ बैटिंग कर रहे हो तो उनपर विश्वास करो. यही मैंने वैलिंग्टन में किया और फिर इसे लॉर्ड्स में दोहराया.'
रहाणे कहते हैं, 'पुछल्लों के साथ बल्लेबाजी करना चुनौतीपूर्ण होता है. मैंने माइक हसी का वीडियो देखा है ताकि समझ सकूं कि टेलएंडर के साथ कैसे बल्लेबाजी की जाए. मैंने अपनी टीम के खिलाड़ियों से भी इसके बारे में बात की. विराट ने ऑस्ट्रेलिया में ऐसा किया था वहीं धोनी भाई अकसर ही ऐसी पारियां खेलते हैं. मैं उनसे इस बारे में बात करता हूं और इससे मुझे खेल के इस विभाग में सुधार करने का मौका मिला है.'