करोड़ों क्रिकेटप्रेमी भले ही मानते हों लेकिन सचिन तेंदुलकर का कहना है कि वह क्रिकेट के भगवान नहीं है और वह भी गलतियां करते हैं.
तेंदुलकर ने एक प्रचार कार्यक्रम से इतर कहा,‘मैं क्रिकेट का भगवान नहीं हूं. मैं भी गलतियां करता हूं, भगवान नहीं करते.’ बल्लेबाजी के लगभग सभी रिकार्ड अपने नाम कर चुके तेंदुलकर ने कहा कि वह शुरुआत में सुनील गावस्कर और विवियन रिचर्डस का मिला जुला रूप बनना चाहते थे.
तेंदुलकर ने बच्चों के सवालों के जवाब में कहा,‘मैं बच्चा था तब सुनील गावस्कर बनना चाहता था. जब मैं बड़ा हुआ तो विवियन रिचर्डस ने मुझे आकर्षित किया. मैं हमेशा से सोचता था कि मैं इन दोनों का मिला जुला रूप बन सकूं.’
सचिन 7 साल और खेल सकते हैं, क्योंकि...
आधुनिक क्रिकेट के सबसे मुकम्मिल बल्लेबाज माने जाने वाले तेंदुलकर ने उस दौर को याद किया जब 100वें अंतरराष्ट्रीय शतक के लिये उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा था.
उन्होंने कहा,‘जब मेरा 100वां अंतरराष्ट्रीय शतक बना तो मैं खुशी के मारे कूदा या जश्न नहीं मना रहा था. मैंने भगवान से पहला सवाल किया कि इतना लंबा समय क्यों लगा. मैंने क्या गलती की थी. जब करोड़ों लोग इसका इंतजार कर रहे थे तो इतना लंबा समय नहीं लगना चाहिये था.’
तेंदुलकर ने कहा,‘मैं कहां पीछे रह गया? मैने कड़ी मेहनत की और पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप सेमीफाइनल में शतक के करीब भी पहुंचा. उस समय सभी का फोकस विश्व कप पर था. उसके बाद बड़ी निराशा हुई लेकिन यही जिंदगी है.’
यह पूछने पर कि यदि क्रिकेटर नहीं होते तो वह क्या होते, तेंदुलकर ने कहा कि उनके पास अधिक विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा,‘मुझे नहीं लगता कि मेरे पास ज्यादा विकल्प थे. स्कूली बच्चों को मेरा अनुसरण नहीं करना चाहिये. पढाई करना अहम है. मैंने पढ़ाई और क्रिकेट के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की लेकिन कर नहीं सका. क्रिकेट ने मेरी रातों की नींदें उड़ा दी थी. मैं खेल से इस कदर प्यार करता था.’
उन्होंने कहा, ‘कई बार मैं छत पर एक हाथ में टेनिस रैकेट और दूसरे में बल्ला लेकर जाता था. बीस मिनट तक टेनिस खेलता और 20 मिनट क्रिकेट. मुझे टेनिस खेलने में मजा आता है.’
उन्होंने कहा,‘मेरे लिये क्रिकेट के बिना जीवन की कल्पना मुश्किल है. उसके अलावा सिर्फ टेनिस है.’