सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न के लिए चुने जाने पर पूरा देश खुश है, केवल एक शख्स को छोड़कर. ये शख्स हैं नीतीश कुमार की पार्टी के एक नेता शिवानंद तिवारी. तिवारी ने सचिन को भी निशाना बना डाला. इन्होंने तो यहां तक कह दिया कि सचिन तेंदुलकर ने फ्री में क्रिकेट नहीं खेला है और हजारों करोड़ रुपये कमाए हैं तो उन्हें भारत रत्न मिलना ही नहीं चाहिए.
शिवानंद तिवारी ने तो भारत रत्न अवार्ड की गरिमा पर ही सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने कहा, 'भारत रत्न मानो एक मजाक बन गया है. इसका अब कोई औचित्य नहीं है. इसे पूरी तरह खत्म कर देना चाहिए.'
शिवानंद तिवारी ने सचिन तेंदुलकर को पहले खिलाड़ी के तौर पर यह अवार्ड दिए जाने को लेकर पूछा कि इस सम्मान के लिए हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के नाम पर विचार क्यों नहीं किया गया? जहां तक सचिन तेंदुलकर की बात है, उन्होंने मुफ्त में क्रिकेट नहीं खेला है. सचिन ने इस खेल से हजारों करोड़ रुपये कमाए हैं.
तिवारी ने क्रिकेट को भी कोसा. उन्होंने कहा कि क्रिकेट की प्रसिद्धी के चलते ही बाकी खेल खत्म होते जा रहे हैं. तिवारी ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि उन्हें (सचिन को) भारत रत्न मिलना चाहिए था. विज्ञापनों और भावनाओं के जरिए उनका ज्यादा प्रचार किया गया है.'
जेडीयू ने ही शिवानंद को बताया गलत
शिवानंद ने यह सब कह तो दिया लेकिन शायद वे भी नहीं जानते थे कि उनकी खुद की ही पार्टी उनकी आलोचना करेगी. पार्टी के जनरल सेक्रेटरी डॉ. अजय आलोक ने इस पर कहा कि शिवानंद ने जो भी कहा है, गलत है. सचिन तो हमारे देश का गर्व हैं. आलोक ने कहा कि सचिन को लेकर ये विचार उनके निजी हो सकते हैं, ये पार्टी के विचार नहीं हैं.
नीतीश कुमार ने शिवानंद के बयान पर नहीं किया कमेंट
इसी मामले पर जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा गया तो उन्होंने शिवानंद तिवारी के बयान पर कमेंट करने से इनकार कर दिया. हालांकि उन्होंने कहा कि सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न देने का फैसला स्वागत के योग्य है. नीतीश ने यह भी कहा कि सरकार को साइंस के क्षेत्र में अधिक खर्च करना चाहिए.
तो क्या लालू यादव को मिलना चाहिए भारत रत्न?
उधर, शिव सेना नेता संजय राउत ने कहा कि शिवानंद तिवारी को सचिन को
भारत रत्न मिलने पर विरोध नहीं करना चाहिए. यदि सचिन को नहीं तो क्या लालू
प्रसाद यादव को भारत रत्न मिलना चाहिए था या किसी और को?