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तेंदुलकर के संन्यास से निराश के साथ खुश भी हैं धोनी

टीम इंडिया के कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी निराश हैं कि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहने का मन बनाकर इसकी घोषणा कर दी. धोनी ने साथ ही कहा कि लेकिन वो इस बात से खुश भी हैं कि तेंदुलकर अपनी शर्तों पर संन्यास ले रहे हैं.

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सचिन तेंदुलकर और धोनी
सचिन तेंदुलकर और धोनी

टीम इंडिया के कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी निराश हैं कि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहने का मन बनाकर इसकी घोषणा कर दी. धोनी ने साथ ही कहा कि लेकिन वो इस बात से खुश भी हैं कि तेंदुलकर अपनी शर्तों पर संन्यास ले रहे हैं.

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तेंदुलकर नवंबर में वेस्टइंडीज के खिलाफ 2 टेस्ट मैच खेलकर अपने 200 टेस्ट मैच पूरे करेंगे और इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा बोल देंगे. तेंदुलकर वनडे और टी-20 मैच से पहले ही संन्यास ले चुके हैं. धोनी ने साथ ही कहा कि उन्हें पता था कि ऐसा होने वाला है.

धोनी को था पता ऐसा होगा...
क्रिकेट में अगर बल्लेबाजी की बात करें तो शायद ही कोई ऐसा रिकॉर्ड हो जो तेंदुलकर ने न तोड़ा हो. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज के पहले धोनी ने कहा, ‘मुझे पता था कि ऐसा (संन्यास) होने जा रहा है. मैं उनके लिए खुश हूं. जिस तरह से उनका शानदार करियर रहा. जिस तरह से वह अपने करियर के दौरान हमेशा टॉप पर रहे. वह 23 साल या उसके बाद हमेशा टॉप पर रहे.’

'तेंदुलकर हैं लाजवाब'
धोनी ने कहा, ‘उन्होंने (तेंदुलकर) इतने अधिक भारतीयों की अपेक्षाओं के बोझ को ढोया है. कई बार भारतीय प्रशंसक बहुत अधिक अपेक्षाएं करने लग जाते हैं. इन सब को सहना और फिर शानदार प्रदर्शन करना लाजवाब है.’

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'सचिन के आखिरी 2 टेस्ट मैचों का उठाएं पूरा लुत्फ'
धोनी ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि अभी हमें उनके दो टेस्ट मैचों का पूरा लुत्फ उठाना चाहिए. इससे मुझे टेस्ट मैचों में खचाखच भरा स्टेडियम देखने को मिलेगा. मैंने बड़ी संख्या में दर्शकों को आते हुए देखा है लेकिन इस बार दोनों मैच स्थलों पर स्टेडियम का खचाखच भरा रहना तय है.’

'तेंदुलकर का जुनून है क्रिकेट'
धोनी ने तेंदुलकर की जमकर तारीफ की, जिन्होंने 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ 16 साल की उम्र में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने के बाद से लेकर अपेक्षाओं का बोझ अपने कंधों पर उठाए रखा. उन्होंने कहा, ‘जब आप लंबे समय तक अपनी टीम के टॉप बल्लेबाज होते हो तो फिर प्रत्येक आपके प्रदर्शन पर नजर लगाए रहता है. मैं समझता हूं कि उन्हें क्रिकेट से इतर कई अन्य चीजों से निबटना पड़ा. क्रिकेट निश्चित तौर पर उनका जुनून था. उन्हें इसके इर्द-गिर्द की कई अन्य चीजों से भी निबटना पड़ा और अगर आप इन सब पर गौर करो तो मैं समझता हूं कि उनका करियर शानदार रहा.’

तेंदुलकर के शतक से खुश हूं क्योंकि...
धोनी ने खुशी जताई कि तेंदुलकर अपनी शर्तों पर संन्यास ले रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘वह कुछ चोटों से भी जूझ रहे हैं. मुझे खुशी है कि उनका करियर शानदार रहा और इसलिए भी कि वह अपनी शर्तों पर संन्यास ले रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन इसके साथ ही दिल के किसी कोने में यह टीस भी है कि आप उन्हें किसी इंटरनेशनल टीम या क्रिकेट के किसी फॉर्मट में खेलते हुए नहीं देख पाएंगे. मैं केवल इसी को लेकर निराश हूं.’

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'तेंदुलकर का संन्यास एक युग का अंत'
धोनी ने कहा, ‘निश्चित तौर पर यह एक युग का अंत है. हम सभी जानते हैं कि जब उन्होंने 1989 में क्रिकेट खेलनी शुरू की तो मैं आठ साल का था.’

'तेंदुलकर से सीखा खेल को पढ़ना'
उन्होंने कहा ‘यह बताना मुश्किल है कि मैंने उनसे क्या सीखा. मुझे उनके साथ बल्लेबाजी का जितना भी मौका मिला मैंने खेल को पढ़ना सीखा. खासकर वनडे में मैंने सीखा कि गेंदबाज को कैसे निशाना बनाना है और किस वक्त पर क्या करना है. मैं समझता हूं कि इससे वास्तव में मुझे मदद मिली. इसके अलावा कई चीजें मैंने उनसे सीखी और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस उनको बयां करने के लिए बहुत छोटी पड़ जाएगी.’

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