अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने मंगलवार को स्वीकार किया कि ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच पहले एशेज टेस्ट के दौरान अंपायरों ने 7 गलतियां की जिसमें से चार को निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) का इस्तेमाल करके सुधार लिया गया. तकनीक के इस्तेमाल को लेकर छिड़ी ताजा बहस के बाद आईसीसी का यह बयान आया है.
जिन तीन फैसलों को सुधार नहीं किया जा सका उसमें जोनाथन ट्रॉट का विकेट शामिल है, जिन्हें मैदानी अंपायर ने एलबीडब्ल्यू की अपील पर नॉटआउट करार दिया था, लेकिन इस सही फैसले को बदल दिया गया.
एक अन्य मामला स्टुअर्ट ब्रॉड (स्लिप में कैच और एलबीडब्ल्यू) से जुड़ा था लेकिन इन्हें सुधारा नहीं जा सका क्योंकि ऑस्ट्रेलिया के पास कोई रिव्यू नहीं बचा था. आईसीसी ने अंपायरों और डीआरएस के आकलन के बाद यह बात कहीं.
इंग्लैंड ने नॉटिंघम में पहला टेस्ट 14 रन से जीता था. आईसीसी ने कुल 72 फैसले किए जो डीआरएस टेस्ट मैच के औसत (49) से काफी अधिक है. आईसीसी ने कहा, ‘आकलन किया गया कि मैच के दौरान अंपायरिंग टीम ने सात गलतियां की जिसमें से तीन गलत फैसले थे और चार को डीआरएस का इस्तेमाल करके ठीक कर लिया गया.’
बयान में कहा गया, ‘रिव्यू से पहले सही फैसले का प्रतिशत 90.3 था जो डीआरएस का इस्तेमाल करने के बाद 95.5 प्रतिशत हो गया. इससे सही फैसलों में 5.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ, जो 2012-13 में डीआरएस टेस्ट मैचों का औसत इजाफा था.’
इस आकलन पर आईसीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेविड रिचर्डसन ने कहा, ‘मुश्किल हालात में अंपायरों ने अच्छा प्रदर्शन किया. यह अलीम दार, कुमार धर्मसेना और मराइस इरासमस की क्षमता को दर्शाता है जिन्होंने शीर्ष स्तर पर लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है. खिलाड़ियों की तरह अंपायरों का भी अच्छा और बुरा दिन होता है, लेकिन हम सभी को पता है कि अंपायर का फैसला सही हो या गलत, यही अंतिम होता है और इसे स्वीकार किया जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘आईसीसी को अपने अंपायरों की क्षमता पर पूरा विश्वास है, इस तथ्य से तकनीक में भी हमारा भरोसा बढ़ा है कि डीआरएस का इस्तेमाल करके ट्रेंटब्रिज टेस्ट में सही फैसलों की संख्या में इजाफा हुआ है.’