आईसीसी के मुख्य कार्यकारी डेव रिचर्डसन ने कहा है कि अंपायरों के फैसले की समीक्षा प्रणाली पर अपने बुरे अनुभव के कारण बीसीसीआई इस तकनीक को अपना नहीं रहा है. रिचर्डसन ने कहा कि बीसीसीआई को डीआरएस स्वीकार करने में लंबा समय लगेगा लेकिन इसमें अनिल कुंबले जैसे पूर्व खिलाड़ी अहम भूमिका निभा सकते हैं.
कुंबले आईसीसी की क्रिकेट समिति के अध्यक्ष हैं. रिचर्डसन ने कहा, ‘अभी बीसीसीआई इस पर हामी भरने नहीं जा रहा. मुझे लगता है कि सिर्फ प्रशासक ही नहीं बल्कि अनिल कुंबले जैसे लोग भी बोर्ड को मनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘कुंबले भारतीय टीम का कप्तान था जब बोर्ड डीआरएस को पहली बार प्रयोग में लाई थी. तकनीक उस समय इतनी अच्छी नहीं थी. खिलाड़ियों को इसकी आदत नहीं थी और जितनी भी बार भारत ने डीआरएस लिया, फैसला उसके खिलाफ गया.’
रिचर्डसन ने कहा, ‘सहवाग या उनका कोई स्टार बल्लेबाज बॉल ट्रैकिंग से गलती से आउट करार दिया गया था.’ भारत ने पहली बार 2008 में श्रीलंका के खिलाफ सीरीज में डीआरएस का इस्तेमाल किया था.
रिचर्डसन ने कहा, ‘कुंबले भारतीय क्रिकेट में काफी प्रभावी व्यक्ति हैं और वह हमारी तकनीकी समिति में भी है. एक बार ये लोग डीआरएस के फायदों के बारे में सोचने लगे तो तेंदुलकर, धोनी जैसे खिलाड़ी इसके लिये आश्वस्त हो जायेंगे और फिर क्रिकेट प्रशासक भी राजी होंगे.’