विराट कोहली को बहुत गुस्सा आता है. कभी साथी खिलाड़ियों तो कभी क्रिकेट किट पर अपना गुस्सा निकालता है. विरोधियों से उलझने में भी पीछे नहीं रहता. एडिलेड टेस्ट में भारतीय टीम की कप्तानी कर रहे विराट ने जब अपने करियर की शुरुआत की थी तो हर किसी के मन में उन्हें लेकर यही अवधारणाएं थीं. इसमें कोहली के रवैये का भी अहम योगदान रहा. पर धीरे-धीरे चीजें बदल रही हैं.
विराट को आज भी गुस्सा आता है. उसे अगर कुछ बुरा लगा तो मुंह पर ही जवाब दे देता है. पर सबसे ठोस जवाब अपने बल्ले से देता है. वो भी ऐसे अंदाज में कि आलोचक बिल्कुल चुप हो जाएं. एडिलेड टेस्ट के तीसरे दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ.
इंग्लैंड के शर्मनाक के दौरे के बाद टेस्ट में विराट कोहली की बल्लेबाजी पर सवाल उठने लगे थे. क्रिकेट के जानकारों का कहना था कि अब कोहली के लिए रन बनाना आसान नहीं होगा. उनकी तकनीक में जो बड़ी खामी थी वह उजागर हो चुकी है. ऑस्ट्रेलिया में मिशेल जॉनसन, पीटर सिडल और रेयान हैरिस जैसे गेंदबाज उन्हें एक-एक रन के लिए तरसाएंगे. पर अनुमानों से ठीक उलट कोहली ने सबकी बोलती बंद कर दी.
जब ऑस्ट्रेलिया ने 517 पर पारी घोषित की तो एक पल लगने लगा था कि शायद भारतीय बल्लेबाज एक बार फिर घुटने न टेक दें. पर विराट ने कुछ और ही तय कर रखा था. नतीजा यह कि विराट कोहली ने शतक जड़ डाला. कोहली ने भारतीय पारी के 85वें ओवर की दूसरी गेंद पर जैसे ही मिडविकेट बाउंड्री की ओर चौका जड़ा, उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. कोहली ने अपने चिर परिचित में अंदाज में इस जुझारू पारी का जश्न मनाया. शतक पूरा करने के लिए उन्होंने 158 गेंदों का सामना किया. अफसोस सिर्फ इसका है कि कोहली 115 रन के स्कोर पर मिशेल जॉनसन का शिकार बन गए. लेकिन उन्होंने वो नींव रख दी जिसकी भारतीय टीम को जरूरत थी. विराट कोहली की यह पारी कई मायनो में अहम है...
जुबान नहीं, गेंद और बल्ले से दो जवाब
जब विराट कोहली इंग्लैंड में लगातार फ्लॉप हो रहे थे तो उनकी जमकर आलोचना की जा रही थी. हर कोई उनके रवैये और तकनीक को लेकर सवाल उठा रहा था. मीडिया अक्सर उनके और अनुष्का शर्मा के रिश्ते के बारे में पूछती. कुछ ने तो उनके खराब फॉर्म का ठीकरा इस रिश्ते पर ही फोड़ दिया. पर विराट चुप रहे. चुपचाप अपने गेम और तकनीक पर ध्यान लगाया. जरूरत पड़ी तो सचिन तेंदुलकर की शरण में भी पहुंच गए. पर मीडिया के किसी ऐसे सवाल का जवाब नहीं दिया जो उनके खेल से संबंधित नहीं था. और एडिलेड में शतक जड़कर मानो उन्होंने अपने ऊपर उठ रहे हर सवाल का जवाब बिना कुछ बोले दे दिया. उन्होंने जिस अंदाज में इस सेंचुरी का जश्न मनाया, मानो कह रहे हों... मिल गया जवाब. आगे से सिर्फ मेरे खेल पर ध्यान दो.
वनडे से पाया फॉर्म
अक्सर टीवी कमेंटरी में आपने सुना होगा कि वनडे और टेस्ट दो अलग-अलग फॉर्मेट हैं. बल्लेबाजी का तरीका अलग-अलग है. न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेटर मार्टिन क्रो ने तो विराट के बारे में यहां तक लिख दिया था कि वह वनडे के जबरदस्त खिलाड़ी हैं, लेकिन टेस्ट को लेकर संशय है. अब इसे संयोग ही कहिए कि इंग्लैंड में आउट ऑफ फॉर्म चल रहे कोहली ने फॉर्म में वापसी वनडे क्रिकेट के दम पर ही की है. इसी साल वेस्टइंडीज के खिलाफ दिल्ली वनडे मैच के बाद मानो कोहली ने पीछे मुड़कर ही नहीं देखा. वनडे की पिछली छह पारियों में कोहली का स्कोर कार्ड कुछ ऐसा रहा है...127, 22, 49, 53, 66 और नाबाद 139. ऑस्ट्रेलिया में वार्मअप मुकाबले में दो अर्धशतकीय पारी. कोहली ने जो एक बार रन बनाना शुरू किया, पीछे मुड़कर नहीं देखा.
खराब फॉर्म कुछ समय का और क्लास पर्मानेंट
Form Is Temporary But Class Is Permanent, क्रिकेट में अक्सर इस जुमले का इस्तेमाल होता है. कोहली इंग्लैंड दौरे से पहले रनों का अंबार लगा रहे थे, पर जैसा हर क्रिकेटर के साथ होता है उनका भी बुरा दौर आया. तकनीक ने ऐसा धोखा दिया कि मैच दर मैच उनका प्रदर्शन गिरता गया. पर जिसके खेल में क्लास हो वो कभी न कभी तो वापसी करेगा ही, कोहली ने यही साबित कर दिखाया. शुरुआत वनडे से की और एडिलेड में इसे जारी रखे. उम्मीद यही है कि आने वाले दिनों में भी धमाल जारी रहेगा.
साझेदारी पर जोर
कोहली की इस पारी की सबसे अहम बात यह रही कि उन्होंने तीसरे विकेट के लिए चेतेश्वर पुजारा के साथ 81 और चौथे विकेट के लिए अजिंक्य रहाणे के साथ 101 रन की साझेदारी की. पांचवें विकेट के लिए रोहित शर्मा के साथ 74 रन जोड़े. भले ही अभी टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के स्कोर से बहुत दूर है, पर कोहली की इस रणनीति ने भारत को उनके स्कोर के करीब तो ला ही दिया है.
कप्तान हो तो आगे से खेलो
कप्तान का काम सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस करना नहीं होता. उसकी भूमिका प्लेइंग इलेवन का चयन, मैदान पर गेंदबाजी क्रम तय करना या फिर फिल्डिंग लगाने तक सीमित नहीं रहती. वह एक क्रिकेटर के तौर पर टीम का हिस्सा है. यानी उसे भी बल्ले या गेंद से प्रदर्शन करना होगा. कप्तान होने के नाते जिम्मेदारी भी ज्यादा होगी. यानी दूसरों के लिए उदाहरण पेश करना होगा. जब भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए रवाना हो रही थी तो उन्होंने कहा था कि हम उनके आक्रमण का जवाब अपनी आक्रमकता से देंगे. कोहली ने यह सब अपने प्रदर्शन के जरिए कर दिखाया. कप्तानी पारी खेलकर टीम के खिलाड़ियों का भी मनोबल बढ़ाया और साथी बल्लेबाज को इशारों में इशारों में कहा दिया, आप आपकी बारी.