भारतीय हॉकी को मंगलवार को उस समय बड़ा झटका लगा जब चीफ कोच टैरी वाल्श ने भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के साथ वेतन विवाद को लेकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया. हालांकि उन्होंने बाद में कहा कि अनुबंध में कुछ बदलाव होने के बाद वो अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकते हैं.
भारत को इंचियोन में एशियाई गेम्स में गोल्ड मेडल दिलाने के महज तीन हफ्ते में ऑस्ट्रेलिया के इस कोच ने यह हैरानी भरा कदम उठाया. खुद स्टार ओलंपियन रहे ऑस्ट्रेलिया के 60 वर्षीय वाल्श ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि उन्हें देश में खेल नौकरशाही के फैसले करने की शैली से सामंजस्य बिठाने में दिक्कत आ रही है. उनका अनुबंध 2016 रियो ओलंपिक तक था.
वाल्श के इस्तीफे के तुरंत बाद हालांकि खेल मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि वह इस मुद्दे का हल ढूंढ रहे हैं और उन्होंने साइ से अगले 24 घंटे में रिपोर्ट मांगी है. इस बीच वाल्श के इस्तीफे के बाद हॉकी इंडिया और साइ के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है. हॉकी इंडिया ने कहा है कि वेतन भुगतान और नौकरशाही के कारण वाल्श को पद छोड़ना पड़ा वहीं साइ ने इस दावे को बकवास बताते हुए कहा है कि ऑस्ट्रेलियाई कोच ने कभी किसी वित्तीय मुद्दे को लेकर शिकायत नहीं की.
वाल्श ने 19 अक्टूबर को थॉमसन को भेजे पत्र में कहा, 'मैं भारतीय पुरुष हॉकी टीम के मुख्य कोच के पद से इस्तीफा देता हूं जो मेरे अनुबंध की शर्तों या सभी संबंधित पक्षों की सहमति से प्रभावी होगा.' इस पत्र को बाद में मीडिया को जारी किया गया.
भारत ने वाल्श के मार्गदर्शन में ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में भी सिल्वर मेडल जीता था. वाल्श ने कहा, 'मुझे भारत में खेल नौकरशाही के फैसले करने की शैली से सामंजस्य बिठाने में काफी मुश्किल हो रही है. मुझे लगता है कि यह लंबे समय में भारतीय हॉकी या उसके खिलाड़ियों के सर्वश्रेष्ठ हितों में नहीं है.' हालांकि यह पता चला है कि वाल्श और कुछ अन्य सहायक स्टाफ को उनके वेतन पर टीडीएस काटे जाने को लेकर सरकार से कुछ समस्या थी.
थॉमसन ने हालांकि इस बात से इनकार किया कि टीडीएस को लेकर कोई मुद्दा था. उन्होंने कहा कि समस्या हॉकी इंडिया के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने पैदा की है. उन्होंने इस मुद्दे को बत्रा की ओर से झूठी अफवाह बताकर खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, 'मैं हैरान हूं कि वाल्श ने इस्तीफा देने का फैसला किया. उन्होंने कभी हमें कोई शिकायत नहीं की. अचानक आया यह फैसला आश्चर्यजनक है.' साइ महानिदेशक ने स्वीकार किया कि वाल्श बेहतरीन कोच थे जिन्हें कड़ी चयन प्रक्रिया के बाद चुना गया. उन्होंने कहा, 'वह काफी अच्छा कोच है और उन्होंने एशियाई गेम्स में टीम को गोल्ड और कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल दिलाया. हम उसके प्रदर्शन से खुश हैं. वाल्श ने हालांकि अपने इस्तीफे में यह भी कहा कि वह अपने पद पर नहीं बने रहना चाहते क्योंकि उन्हें टीम के साथ लगातार यात्रा करनी पड़ती है.
वाल्श ने कहा, 'नौकरशाही की इन सीमाओं में पेशेवर तौर पर काम नहीं कर पाने की मेरी मुश्किल के अलावा मैं ऑस्ट्रेलिया में अपने परिवार से लगातार इतने अधिक समय तक दूर नहीं रहना चाहता. मेरी मौजूदा प्रतिबद्धता मेरे निजी जीवन पर काफी तनाव डाल रही है.' वाल्श ने हालांकि नेशनल टीम के मुख्य कोच के रूप मौका दिए जाने के लिए साइ को धन्यवाद दिया.
थॉमसन ने कहा कि वाल्श ने जिस खेल नौकरशाही का जिक्र किया है वह हॉकी इंडिया भी हो सकता है. उन्होंने कहा, 'वाल्श हमारे मार्गदर्शन में काम नहीं करता. हम उसे सिर्फ उसके काम के लिए हर महीने 16,000 डॉलर का भुगतान करते हैं. हम रोजमर्रा के कामों के लिए उससे बात नहीं करते. इसलिए खेल नौकरशाही हॉकी इंडिया भी हो सकता है. मीडिया में जारी किए गए ईमेल में हॉकी इंडिया के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने कहा कि अनुबंध को लेकर वाल्श के साइ के साथ कुछ मुद्दे थे.'
बत्रा ने कहा अन्य मुद्दों के अलावा उन्हें अपने अनुबंध को लेकर भी साइ से कोई समस्या थी जो अब 19 नवंबर 2014 को खत्म होगा. उन्होंने कहा, 'हम सुझाव देते हैं कि क्या साइ 19 नवंबर से पहले उनके अनुबंध पर दोबारा गौर कर सकता है, जिससे कि वह ओलंपिक 2016 तक टीम के साथ बने रह सकें. हम साइ और वाल्श के बीच बैठक का सुझाव देते हैं.'
वाल्श पद पर बने रहने के लिए चाहते हैं नया अनुबंध
वहीं वाल्श ने संकेत दिए हैं कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को तैयार हैं अगर साई उन्हें उनकी शर्तों पर नया अनुबंध दे. इस्तीफे की बात सार्वजनिक होने के घंटों बाद वाल्श ने कहा कि वह अपने अनुबंध पर दोबारा बात कर सकते हैं. वाल्श का अनुबंध 2016 रियो ओलंपिक तक था. वाल्श ने कहा, 'बेशक थकान से जुड़ा मामला था लेकिन मुझे लगता है कि मुझे अपने मौजूदा अनुबंध के कुछ इंतजामों से निजात मिलनी चाहिए. हम अब इस संभावना पर गौर कर रहे हैं कि इसे कैसे दोबारा तय किया जा सकता है.' उन्होंने कहा, 'फिलहाल हम दोबारा बात करने की स्थिति में हैं और देखते हैं कि क्या होता है. इसका हल निकलाने के लिए हमारे पास एक महीने का समय है.'
इनपुटः भाषा