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बल्लेबाजों से रन बनते नहीं, गेंदबाजों को विकेट मिलते नहीं, ये हैं धोनी के धुरंधर!

हार गए हैमिल्टन वनडे. विदेशी जमीन पर धोनी के धुरंधरों ने एक और वनडे सीरीज गंवाई. इस हार के साथ यह भी तय हो गया कि टीम इंडिया फिलहाल आईसीसी वनडे रैंकिंग में दूसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ेगा.

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टीम इंडिया
टीम इंडिया

हार गए हैमिल्टन वनडे. विदेशी जमीन पर धोनी के धुरंधरों ने एक और वनडे सीरीज गंवाई. इस हार के साथ यह भी तय हो गया कि टीम इंडिया को फिलहाल आईसीसी वनडे रैंकिंग में दूसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ेगा.

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चौंकाने वाली बात यह है कि दिसंबर 2013 से अब तक भारत ने कुल 7 वनडे मैच खेले हैं. जिसमें पांच में हार मिली, एक मुकाबला टाई हुआ और एक बारिश में धुल गया वरना वहां भी जीतना मुश्किल ही था. जी हां, ये रिकॉर्ड हैं इस सीरीज से पहले आईसीसी वनडे रैंकिंग में नंबर एक की पायदान पर बैठी टीम का.

सवाल उठना तो लाजमी है. आखिरकार 2015 वर्ल्ड कप की यह कैसी तैयारी हो रही है? या फिर कौन सी तैयारी हो रही है? बल्लेबाजों से रन बनते नहीं. गेंदबाजों को विकेट मिलता नहीं. बस कप्तान साहब हारने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में आकर अपने साथियों पर भरोसा दिखाते हैं व खुद का हौंसला बढ़ाते हैं और अगले मैच में घटिया प्रदर्शन करके भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को रुलाते हैं.

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हैमिल्टन की इस हार की तह तक जाने की जरूरत है. इस वनडे सीरीज से पहले टीम इंडिया आईसीसी रैंकिंग में नंबर वन थी और न्यूजीलैंड आठवें पायदान पर. यानी सीरीज के रोमांचक होने की उम्मीदें कम थीं और कांटे वाली टक्कर का तो सवाल ही नहीं उठता.

अब हमारे शूरवीरों का प्रदर्शन देखिए. सीरीज के पहले दो मैच में ही पोल खुल गई. दोनों मुकाबले में टॉस जीता और पहले गेंदबाजी की. आखिरकार हमारे पास 6 वर्ल्ड क्लास बल्लेबाज हैं और इसी के दम पर हमने अपने घर में ऑस्ट्रेलिया को धूल चटाई थी. इसलिए लक्ष्य का पीछा करना बेहतर प्लान था. पर इसके पीछे एक और वजह थी, कप्तान धोनी को अपने गेंदबाजों पर भरोसा नहीं था. उनके दिल के किसी कोने में ये बात जरूर थी कि हमारे गेंदबाज किसी भी लक्ष्य के सामने हथियार डाल सकते हैं, विपक्षी टीम से आसानी से रन बनवा कर.

आखिरकार, धोनी का ये डर दूसरे रूप में सामने आया. दोनों मुकाबले में बॉलरों ने पूरी प्लानिंग पर पानी फेर दिया. गेंदबाजों की ये पलटन मेजबान टीम के बल्लेबाज पर इतनी मेहरबान नजर आई कि रनों के लिए तरसने वाले कई विपक्षी बल्लेबाजों का रिकॉर्ड बुक ठीक-ठाक हो गया.

नेपियर और हैमिल्टन में खेले गए पहले दोनों मुकाबले में न्यूजीलैंड ने भारत के सामने चुनौतीपूर्ण लक्ष्य रखा. इसके बाद बारी थी बल्लेबाजों की. विराट कोहली को छोड़ दिया जाए तो मानों टॉप ऑर्डर में रनों का अकाल सा आ गया हो. खिलाड़ी 'आया राम... गया राम...' की नीति पर ज्यादा विश्वास करते नजर आए. रन बनाने का पूरा दारोमदार धोनी और पुछल्ले बल्लेबाजों पर होता. माना धोनी बेहतरीन बल्लेबाज हैं पर भगवान नहीं कि हर बार आपको जीत ही दिला दें. वे चूक गए और हम हार गए. पहले दो मुकाबले में ही यह तय हो गया कि साउथ अफ्रीका के बाद यहां भी शर्मिंदगी झेलनी पड़ेगी. पर ऑकलैंड में तो चमत्कार ही हो गया. चौंकिए मत, इसमें गेंदबाजों या टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों का कोई हाथ नहीं था बल्कि आर अश्विन और रवींद्र जडेजा ने कुछ ऐसा कर दिया जिसकी उम्मीद हमने तो नहीं की थी. जडेजा ने किसी तरह से ये वनडे टाई करा लिया. हम सीरीज हारते-हारते रह गए. इस टाई के बाद उम्मीद जगी कि शायद बुरा वक्त गुजर गया अब हम सीरीज ड्रा कराएंगे और अपनी साख बचा पाएंगे. पर ऐसा होना न था. हैमिल्टन में टीम इंडिया फिर हार गई. वो भी बड़े ही शर्मनाक अंदाज में. कोई भी मैच देख ले तो यही कहेगा कि धोनी की टीम आईसीसी रैंकिंग के नीचले क्रम में है और न्यूजीलैंड उनसे कहीं आगे.

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सीरीज हार के गुनहगार
1. कप्तान धोनी- वर्ल्ड क्रिकेट में धोनी की पहचान जिस कप्तानी के दम पर बनी मानो उसे किसी की नजर लग गई है. गेंदबाजी कौन करे और पहले किसे बल्लेबाजी पर भेजें, यही तो धोनी का मास्टर स्ट्रोक होता था पर पिछले कुछ सीरीजों में इसकी धार कुंद पड़ गई है. टीम इंडिया का प्लेइंग इलेवन कभी-कभार 'धोनी के यारों वाला इलेवन' नजर आता है. सबसे अहम यह कि अब कप्तान साहब एक्शन कम और बहानेबाजी पर ज्यादा विश्वास करते हैं. यकीन नहीं होता तो मैच के बाद होने वाले प्रेस कॉन्फ्रेंस के बयान सुन लिये जाएं.

2. गेंदबाजी- ऐसी गेंदबाजी रही तो वर्ल्ड कप छोड़िये, बिहार प्रीमियर लीग भी नहीं जीता जा सकता. न्यूजीलैंड की उछाल और स्विंग भरी पिचों पर तेज गेंदबाजों की एक नहीं चलती. भुवनेश्वर विपक्षी बल्लेबाजों को रनों के लिए तरसाते हैं, तो विरोधी उन्हें विकेट के लिए. ईशांत शर्मा आज कल सैर करने के लिए जाते हैं क्योंकि टीम के प्रदर्शन में उनका योगदान ना के बराबर है. मोहम्मद समी में टैलेंट हैं पर उन्हें बहुत कुछ सीखना होगा जिसकी कीमत फिलहाल टीम ही चुकाएगी. रविचंद्रन अश्विन भी बहुत बड़ी कमजोरी बनकर उभरे हैं. वे विदेश पिचों पर साधारण गेंदबाज नजर आते हैं.

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हैमिल्टन वनडे में हार
न्‍यूजीलैंड ने वनडे सीरीज के चौथे मैच में टीम इंडिया को 7 विकेट से हरा दिया है. इसके साथ ही 5 मैचों की सीरीज में 3-0 की अजेय बढ़त लेकर मेजबान टीम ने इस पर अपना कब्‍जा जमा लिया है. भारत के 278 रन के जवाब में न्‍यूजीलैंड ने 48.1 ओवर में 7 विकेट बाकी रहते ही लक्ष्‍य हासिल कर लिया. मेजबान टीम की ओर से रॉस टेलर ने सर्वाधिक नाबाद 112 रन का योगदान किया. ब्रैंडन मैक्‍कुलम ने उनका भरपूर साथ देते हुए नाबाद 49 रन बनाए.

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