इंग्लैंड के खिलाफ मुंबई और कोलकाता में लगातार दो टेस्ट मैचों में मिली शर्मनाक हार के बाद भारतीय टीम पर चार टेस्ट मैचों की यह श्रृंखला गंवाने का खतरा मंडरा रहा है.
पहला टेस्ट जीतने के बाद भारतीय टीम इस श्रृंखला में 2-1 से पीछे चल रही है. ऐसे में यदि टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने अपना प्रदर्शन नहीं सुधारा तो नागपुर टेस्ट में उसे यह श्रृंखला गंवानी भी पड़ सकती है और उसके बाद आलोचनाओं का जो दौर शुरू होगा, वह कई खिलाड़ियों का करियर भी तबाह कर सकता है.
नागपुर में गुरुवार से शुरू हो चौथे टेस्ट मैच को जीतकर इंग्लैंड की टीम 1984-85 के बाद भारत को भारत में हराने का सपना लिए मैदान में उतरेगी वहीं भारतीय टीम की कोशिश इस मैच को जीतने की होगी ताकि श्रृंखला बराबरी पर छूटे.
1984-85 में डेविड गावर की अगुवाई में इंग्लैंड ने भारत को उसकी ही सरजमीं पर धूल चटाई थी.
इंग्लैंड के कप्तान एलिस्टेयर कुक इस समय शानदार फॉर्म में हैं और वह श्रृंखला में अब तक 548 रन बना चुके हैं. ऐसे में वह गावर के रिकॉर्ड की बराबरी करने का कोई मौका नहीं गंवाना चाहेंगे.
कुक के अलावा केविन पीटरसन भी जहां बल्ले से कहर बरपा रहे हैं वहीं इंग्लैंड के स्पिनरों ने भारतीय बल्लेबाजों की अच्छी क्लास ली है. मोंटी पानेसर ने तीन मैचों में जहां 16 विकेट लिए हैं वहीं ग्रीम स्वान ने 17 विकेट लेकर टीम इंडिया के बल्लेबाजों को अब तक बैकफुट पर धकेल रखा है. हालांकि प्रज्ञान ओझा ने अब तक सबसे अधिक 19 विकेट हासिल किए हैं लेकिन उनका यह प्रदर्शन निर्णायक नहीं रहा है.
भारत की ओर से चेतेश्वर पुजारा और वीरेंद्र सहवाग ही बल्लेबाजी में कुछ हद तक सफल रहे हैं. पुजारा ने अब तक भारत की ओर से सबसे अधिक 412 रन बनाए हैं वहीं सहवाग तीन मैचों में 253 रन बनाकर दूसरे स्थान पर है.
भारतीय बल्लेबाजों का प्रदर्शन कितना लचर रहा है उसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन 214 रन बनाकर गौतम गंभीर के साथ तीसरे स्थान पर हैं. विराट कोहली तीन मैचों में सिर्फ 85 रन बना सके हैं तो कप्तान महेंद्र सिंह धोनी 92 रन.
युवराज सिंह, जहीर खान और हरभजन सिंह को चौथे टेस्ट टीम में जगह नहीं दी गई है और उनकी जगह रवींद्र जडेजा, परविंदर अवाना और पीयूष चावला को टीम में शामिल किया गया है.
जडेजा का नागपुर टेस्ट में खेलना तय माना जा रहा है. हाल ही में रणजी ट्राफी मुकाबलों में उन्होंने बल्ले से शानदार प्रदर्शन किया है. उनकी गेंदबाजी भी टीम के काम आ सकती है.
लगातार दो टेस्ट में मिली हार के बाद भारतीय टीम चौतरफा आलोचनाएं झेल रही है. धोनी की कप्तानी पर भी सवालिया निशान उठने लगे हैं. इस बीच पूर्व कप्तान मोहिंदर अमरनाथ ने यह कहकर उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी है कि अंदरूनी दबाव के चलते लगातार दो टेस्ट श्रृंखलाओं में हार के बावजूद धोनी को कप्तानी से नहीं हटाया जा सका.
ऊपर से धोनी और गम्भीर के बीच के विवाद के संबंध में छन कर आ रही खबरें भी टीम इंडिया के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. इन खबरों के मुताबिक धोनी ने बीसीसीआई से गम्भीर की शिकायत की है कि मैदान पर उनका रवैया स्वार्थी होता है.
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर पर पहले से ही संन्यास का दबाव है. इस श्रृंखला में भी उनका निराशजनक प्रदर्शन जारी है. सिर्फ एक मौके पर वह अर्धशतक लगाने में सफल रहे हैं. लंबे समय बाद वापसी करने वाले युवराज और हरभजन की तो चौथे टेस्ट में ही छुट्टी कर दी गई.