जेम्स एंडरसन-रवींद्र जडेजा झगड़े में भले ही इन दोनों ही खिलाड़ियों को आईसीसी ने कोई सजा नहीं दी, लेकिन अभी भी ये विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है और आए दिन इसमें नए खुलासे हो रहे हैं. झारखंड क्रिकेट संघ के अध्यक्ष सुबोधकांत सहाय और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के सचिव आदित्य वर्मा ने एन श्रीनिवासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि आईसीसी चेयरमैन ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए इंग्लैंड के तेज गेंदबाज को क्लीन चिट दिलवाने में अहम भूमिका निभाई.
सहाय ने कहा, 'एन श्रीनिवासन जो कि विवादास्पद परिस्थितियों में आईसीसी चेयरमैन बने, उन्होंने पर्दे के पीछे से कठपुतली मास्टर की भूमिका निभाई और जडेजा-एंडरसन मामले में बीसीसीआई ने लापरवाही बरती.' श्रीनिवासन और बीसीसीआई में उनके गुट के कारण भारत विश्व स्तर पर हंसी का पात्र बन गया. एंडरसन पर आरोप लगाया गया था कि भारत और इंग्लैंड के बीच नॉटिंघम में पहले टेस्ट क्रिकेट मैच के दूसरे दिन लंच के समय उन्होंने जडेजा के लिए अपशब्द कहे थे और उन्हें धक्का दिया था.
आईसीसी न्यायिक आयोग ने हालांकि इन दोनों खिलाडि़यों को निर्दोष करार दिया. सहाय ने कहा, 'श्रीनिवासन ने इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) और आईसीसी को यह मसला हाईजैक करके अपने पक्ष में करने की छूट दी.' अगर भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर विश्वास किया जाए, तो एंडरसन ने जडेजा के लिए अपशब्द कहे थे. खबरों के अनुसार एंडरसन ने भी स्वीकार किया था कि उन्होंने गलत व्यवहार किया था, लेकिन आईसीसी ने उन्हें पाक-साफ करार दिया और यह सब श्रीनिवासन के शीर्ष पद पर रहते हुए हुआ.
पूर्व केंद्रीय मंत्री सहाय ने आरोप लगाया कि श्रीनिवासन ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए एंडरसन को सजा नहीं होने दी. उन्होंने कहा, 'क्या श्रीनिवासन को डर था कि ईसीबी और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया उन्हें बाहर कर देंगे क्योंकि वे जानते हैं कि वह गलत तरीके से आईसीसी चेयरमैन बने हैं. इस मामले में तो यही लगता है कि श्रीनिवासन और ईसीबी के बीच कोई समझौता हो गया था, जिससे एंडरसन को सजा नहीं मिली.'
बीसीसीआई ने न्यायिक आयोग के अध्यक्ष गोर्डन लुईस के फैसले के खिलाफ अपील की लेकिन आईसीसी ने उसे नामंजूर कर दिया. बोर्ड ने इसके बाद आईसीसी आचार संहिता में बदलाव के लिए कहा था, लेकिन खुद श्रीनिवासन ने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है.
सहाय ने कहा, 'श्रीनिवासन आईसीसी में आमूलचूल बदलाव की बात कर रहे थे, लेकिन अब वही श्रीनिवासन बोल रहे हैं कि आईसीसी आचार संहिता में बदलाव की जरूरत नहीं है.' उन्होंने आईसीसी की सुनवाई में सुंदर रमन और सुदर्शन राजा को बीसीसीआई के प्रतिनिधि के रूप में भेजने पर भी आपत्ति जताई. सहाय और वर्मा ने इसके बाद बोर्ड के पूर्व अध्यक्षों शरद पवार और जगमोहन डालमिया से अपील की कि वह बोर्ड के अगले महीने होने वाले चुनावों में श्रीनिवासन के डमी उम्मीदवार को शीर्ष पद पर आने से रोकने के लिए पहल करें.
वर्मा ने कहा, 'इस बार बीसीसीआई अध्यक्ष पूर्वी क्षेत्र से बनेगा लेकिन श्रीनिवासन अपना डमी उम्मीद्वार इस पद पर बिठाने की कोशिश कर रहे हैं. हमारी पवार और डालमिया से अपील है कि वह बीसीसीआई को बचाने के लिए आगे आएं.'