ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क को पिछले साल के भारत दौरे पर ‘होमवर्क गेट’ प्रकरण का खेद नहीं है लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि वह दौरा उनकी कप्तानी का सबसे कठिन दौर था.
ऑस्ट्रेलिया को न सिर्फ महेंद्र सिंह धोनी की टीम ने 0-4 से हराया बल्कि उसके चार खिलाड़ियों को कोच मिकी आर्थर का दिया ‘होमवर्क’ नहीं करने पर टेस्ट टीम से बाहर भी होना पड़ा.
क्लार्क ने ‘सिडनी मार्निंग हेराल्ड’ से कहा, ‘अभी तक भारत दौरा मेरी कप्तानी का सबसे कठिन दौर रहा है.’ उन्होंने कहा, ‘होमवर्क गेट से भी पहले कई चीजें लंबे समय से हो रही थी. बात सिर्फ उसी प्रकरण की नहीं थी. मिकी ने रेत में एक लकीर खींची और मैं भी उसका हिस्सा था लेकिन मुझे उसका कोई अफसोस नहीं है. मैने अपने कोच का साथ दिया और उसके फैसले पर भरोसा किया. अब पीछे मुड़कर देखने पर मुझे लगता है कि वह ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के लिये सर्वश्रेष्ठ फैसला था.’
आर्थर को बाद में कोच के पद से हटा दिया गया और हार के बाद क्लार्क को भी आलोचकों का कोपभाजन बनना पड़ा, लेकिन उसने कहा कि वह टीम की छवि को लेकर अधिक चिंतित था.
क्लार्क ने कहा, ‘मैं बेहद निराश था क्योकि मैं ऐसी टीम की कप्तानी कर रहा था जिसे भारत दौरा करने वाली सबसे कमजोर ऑस्ट्रेलियाई टीम करार दिया गया था. मैं खुद को दोष दे रहा था.’ उन्होंने कहा, ‘हमने कहा था कि अगर आप दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीम का हिस्सा बनना चाहते हैं तो आपको अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने होंगे जो उस समय पूरी टीम नहीं कर रही थी. इसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ा.’
इस साल की शुरुआत में इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका पर टेस्ट जीत दर्ज करने के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम अब दिसंबर जनवरी में चार टेस्ट मैचों की सीरीज में भारत की मेजबानी करेगी.
क्लार्क ने कहा, ‘अभी बहुत कुछ हासिल करना है. हमारी टीम अभी सुधार की प्रक्रिया में है.’