देश के खेल प्रशंसकों के लिए दीवाली से ठीक पहले भारतीय हॉकी टीमों द्वारा तीन सप्ताह के भीतर दो-दो खिताब से भला और अच्छा उपहार क्या हो सकता है.
दक्षिण कोरिया के इंचियोन में हुए 17वें एशियाई खेलों में बहुत ताकतवर विपक्षी न होने के कारण भारतीय सीनियर पुरुष हॉकी टीम से खिताब की प्रबल उम्मीद की जा रही थी. लेकिन मलेशिया में हुए सुल्तान जोहोर कप में रविवार को भारतीय जूनियर हॉकी टीम को मिली खिताबी जीत उम्मीद से कहीं बढ़कर रहा.
जोहोर कप के सेमीफाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 6-2 से जीत हासिल कर भारतीय जूनियर हॉकी टीम ने नए मानक रच दिए. इसके बाद लीग चरण में मिली हार का बदला चुकाते हुए भारतीय युवा हॉकी खिलाड़ियों ने ब्रिटेन को फाइनल मुकाबले में 2-1 से मात देकर टूर्नामेंट में अपना वर्चस्व कायम रखा.
फाइनल मैच के हीरो रहे हरमनप्रीत सिंह द्वारा पेनाल्टी कॉर्नर पर किए गए दोनों गोल युवा खिलाड़ियों के कौशल और क्षमता को दर्शाता है. भारतीय चयनकर्ता निश्चित तौर पर अपने प्रदर्शन में लगातार सुधार ला रहे इस युवा खिलाड़ी पर अपनी नजरें जमाए रखेंगे.
भारतीय जूनियर टीम को मिली इस शानदार सफलता का काफी श्रेय निश्चय ही कोच हरेंद्र सिंह को भी जाता है, जिन्होंने देश के इन युवा प्रतिभाओं को धैर्य और लक्ष्य के प्रति एकाग्रचित होना सिखाया.
इतना ही नहीं कल के भारत की ये हॉकी प्रतिभाएं जहां अभी से बड़े दबावों को झेलने में सक्षम नजर आईं, वहीं मैदान पर गलत अंपायरिंग के बावजूद वे न तो उत्तेजित हुए और न ही घबराए नजर आए. फाइनल मैच में दूसरे हाफ में ब्रिटेन को पेनल्टी कॉर्नर देना मैच रेफरी की गलती थी, जिस पर ब्रिटेन एक गोल कर सका.
भारतीय जूनियर हॉकी टीम के ये युवा खिलाड़ी जिस तेजी और फूर्ती से पूरे 70 मिनट तक खेले उसने सभी देशवासियों का दिल जीत लिया। इसके अलावा इन युवा खिलाड़ियों में ट्रैपिंग और पासिंग जैसे कुछ मूलभूत कौशल में भी गजब का सुधार देखने को मिला.
कुछ खिलाड़ियों को हालांकि अब भी गेंद को जल्द से जल्द पास करने की बजाय अतिरिक्त समय तक ड्रिबल करते देखा गया. कुल मिलाकर यदि भविष्य के इस हॉकी टीम को और संतुलित बनाना है तो टीम के स्ट्राइकर खिलाड़ियों को गोल करने के कौशल में काफी सुधार लाना होगा.
फाइनल मैच में भारतीय खिलाड़ी गोल के कई सुनहरे मौकों पर चूकते देखे गए. भारतीय सीनियर पुरुष टीम वर्ष के आखिर में ऑस्ट्रेलिया का दौरा करने वाली है और जोहोर कप विजेता जूनियर टीम के कुछ खिलाड़ियों को सीनियर टीम में ऑस्ट्रेलिया साथ ले जाने से शायद टीम को ज्यादा परेशानी नहीं होनी चाहिए.
इसे आगामी श्रृंखलाओं में तुरंत परिणाम देने वाला सोचने की बजाय रियो ओलम्पिक-2016 की तैयारी के तहत किया जाना चाहिए.
इनपुट: आईएएनएस