भारतीय भारोत्तोलक सोमवार से शुरू हो रही राष्ट्रमंडल खेलों की भारोत्तलन स्पर्धा में दमदार प्रदर्शन के साथ पिछली दो प्रतियोगिताओं और पिछले साल डोपिंग के कई मामलों में कलंक को धोना चाहेंगे.
भारतीय भारोत्तोलकों ने 2006 में मेलबर्न में नौ पदक जीते थे और इस बार उन्हें बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है. भारत को अपने 15 भारोत्तोलकों (आठ पुरुष और सात महिला) से इस बार चार स्वर्ण सहित कम से कम 10 पदकों की उम्मीद है.
के रवि कुमार (पुरुष 69 किग्रा), सोनिया चानू (महिला 48 किग्रा) और महिला 58 किग्रा वर्ग में गत चैम्पियन रेनुबाला चानू को अपने-अपने वर्गों में खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा है जबकि सुखेन डे (पुरुष 56 किग्रा) और मोनिका देवी (महिला 77 किग्रा) भी सोने का तमगा जीतने का माद्दा रखती हैं.
चीन, दक्षिण कोरिया, तुर्की, रूस और मध्य एशियाई देशों की गैर-मौजूदगी में भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों की भारोत्तोलन स्पर्धा में हमेशा अच्छा प्रदर्शन किया है. भारत ने 1966 में ब्रिटिश अंपायर और राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान इस स्पर्धा की शुरूआत से 93 पदक जीते हें जिसमें 33स्वर्ण पदक शामिल हैं.
राष्ट्रमंडल खेलों की भारोत्तोलन स्पर्धा के इतिहास में भारत से अधिक पदक केवल आस्ट्रेलिया (145) और इंग्लैंड (105) ने जीते हैं.
इंग्लैंड की टीम हालांकि अब भारोत्तोलन में इतनी मजबूत नहीं है और इस बाद भारत, आस्ट्रेलिया और कनाडा में कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी. घरेलू दर्शकों की मौजूदगी में भारतीय भारोत्तोलकों के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है.
आस्ट्रेलिया पुरुष वर्ग में दबदबा बना सकता है जबकि महिला वर्ग में भारत और कनाडा के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद है.
वर्ष 1990 से 2002 के बीच भारत के आधे से अधिक पदक भारोत्तोलक में आये क्योंकि तब हर वर्ग में तीन स्वर्ण होते थे. इसके बाद मेलबर्न 2006 में नियमों में बदलाव किया जहां भारतीय भरोत्तोलकों ने तीन स्वर्ण, पांच रजत और एक कांस्य सहित नौ पदक जीते.
भारत ने मेलबर्न में कुल 49 पदक (22 स्वर्ण, 17 रजत और 10 कांस्य) जीते थे. भारतीय भरोत्तोलकों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2002 में मैनचेस्टर में किया था जब उन्होंने 11 स्वर्ण, नौ रजत और सांत कांस्य सहित 27 पदक जीते थे.