साल 2016 भारतीय खेलों के लिहाज से मिला-जुला साल रहा. देश के कई खिलाड़ियों ने विश्व पटल पर अपना लोहा मनवाया तो कई दिग्गज मैदान पर पस्त भी नजर आए. कई ऐसी महिला खिलाड़ी रहीं जिन्होंने अन्य खेलों में भारत को पहचाई दिलाई चलिए देखते हैं ये साल क्यों उनके लिए खास रहा.
पीवी सिंधु
साल 2016 में खेलों में सबसे बड़ी उपलब्धि बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु के नाम रही. भारत की स्टार शटलर सिंधु ने इस साल रियो ओलंपिक में रजत पदक हासिल कर इतिहास रच दिया. महिला बैडमिंटन एकल के फाइनल मुकाबले में सिंधु को विश्व नंबर खिलाड़ी कैरोलिना मारिन से शिकस्त मिली. फाइनल मुकाबले की शुरुआत में सिंधु, मारिन पर हावी दिखीं और पहले सेट में 21-19 से जीत दर्ज की. हालांकि सिंधु बाद में लय बरकरार नहीं रख सकीं. सिंधु को दूसरे-तीसरे सेट में 12-21 और 15-21 से हार का सामना करना पड़ा. पी वी सिंधु स्वर्ण पदक से भले ही चूक गईं लेकिन वह ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं.
पी वी सिंधु ने साल 2016 में चाइना ओपन का खिताब भी अपने नाम किया. ओलंपिक में रजत पदक के बाद इस साल ये सिंधु की दूसरी सबसे बड़ी सफलता रही. चाइना ओपन में शुरुआत से चीनी खिलाड़ियों का दबदबा रहा है. सिंधु से पहले अब तक भारत की साइना नेहवाल और मलेशिया की मी चुंग वॉन्ग ही ऐसी गैर-चीनी खिलाड़ी रही हैं, जिन्होंने यह खिताब जीता था. सिंधु चाइना ओपन जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला खिलाड़ी बनी.
सिंधु ने साल की शुरुआत में ही मलेशिया ओपन ग्रांड प्रिक्स का खिताब जीतकर शानदार आगाज किया था. सिंधु साल 2013 में भी ये खिताब हासिल कर चुकी हैं. सिंधु ने साल 2016 में महिला एकल में अपनी सर्वोच्च रैंकिंग भी हासिल की, चाइना ओपन में जीत के बाद सिंधु सातवें पायदान पर आ पहुंची. फिलहाल सिंधु की बीडब्ल्यूएफ रैंकिंग में दसवें पायदान पर हैं. सिंधु को इस साल देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड से भी नवाजा गया है.
साक्षी मलिक
साल 2016 में भारतीय कुश्ती विवादों में रही लेकिन उससे उभरकर देश को साक्षी मलिक के रूप में नया सितारा मिला. कुश्ती में भारतीय खेल प्रेमियों को नरसिंह यादव और योगेश्वर दत्त जैसे नामी पहलवानों से उम्मीदें थीं, लेकिन गुमनामी ने निकलकर हरियाणा की साक्षी मलिक ने देश को रियो ओंलपिक में पहला पदक दिलाया. साक्षी ने 58 किलो ग्राम वर्ग मुकाबले में कांस्य पदक जीता.
साक्षी के लिए ये पदक आसान नहीं था. साक्षी ने पहले क्वालिफिकेशन राउंड में स्वीडन की पहलवान मलिन जोहान्ना मैटसन को 5-4 से हराया. राउंड ऑफ 16 में साक्षी ने मॉल्डोवा की मारियाना चेरडिवारा-एसानू को 3-1 से हराया. इसके बाद प्रीक्वार्टर मुकाबले में उन्होंने तकनीकी अंकों के आधार पर मारियाना चेरदिवारा को हराया. दोनों के 5-5 अंक थे, लेकिन लगातार चार अंक हासिल करने की वजह से साक्षी को विजेता घोषित किया गया. इसके बाद क्वार्टर फाइनल में साक्षी को रूस की वेलेरिया कोबलोवा से एकतरफा मुकाबले में 9-2 से शिकस्त झेलनी पड़ी. इस हार से उनके स्वर्ण और रजत पदक जीतने का सपना टूट चुका था. लेकिन साक्षी ने हार नहीं मानी और उन्हें रेपचेज मुकाबले में खेलने का मौका मिला.
साक्षी को रेपचेज के पहले राउंड में किर्गिस्तान की पहलवान एसुलू तिनिवेकोवा से 0-5 से हार का सामना करना पड़ा. दूसरे राउंड की शुरुआत में पिछड़ने के बाद साक्षी ने जबरदस्त वापसी की और 8-5 से मैच जीतकर इतिहास रच दिया. साक्षी को खेलों में उनके योगदान के लिए इस साल राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड से नवाजा गया.
सानिया मिर्जा
भारत की टेनिस स्टार सानिया मिर्जा ने इस साल ऑस्ट्रेलियन ओपन के महिला युगल मुकाबले में जीत दर्ज की. सानिया मिर्जा और स्विटजरलैंड की मार्टिना हिंगिस की जोड़ी ने चेक गणराज्य की सातवीं वरियता प्राप्तर जोड़ी एंड्रिया लावाकोवा और लूसी हराडेका को हराया. ये खिताब सानिया मिर्जा का लगातार तीसरा ग्रैंड स्लैम खिताब था. सानिया मिर्जा को खेलों में योगदान के लिए इस साल पद्म भूषण सम्मान भी मिला. साथ ही उन्हें 2016 के टाइम मैगजीन ने दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में भी शामिल किया गया है.
दीपा मलिक
पैरालंपियन दीपा मलिक ने भी इस साल देशवासियों का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया. दीपा गोला फेंक एफ-53 की प्रतिस्पर्धा में रजत पदक जीतने वाली देश की पहली महिला पैरालंपियन हैं. आपको बता दें कि दीपा मलिक कमर से नीचे का हिस्सा लकवा से ग्रस्त हैं और ट्यूमर की वजह से दीपा के 31 ऑपरेशन हो चुके थे.
दीपा कर्माकर
खेलों में पूर्वोत्तर भारत के खिलाड़ियों का अहम योगदान माना जाता है. इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए त्रिपुरा की दीपा कर्माकर भी इस साल की खोज रहीं. दीपा ओलंपिक में क्वालीवाई करनी वाली पहली जिम्नास्ट हैं. वह पदक लाने से जरूर चूक गई लेकिन पोडियम फिनिश तक उनका जाना और चौथे स्थान पर रहना जिम्नास्टिक में भारतीय संभावनाओं की उम्मीद के दीप जरूर जलाता है.
ललिता बाबर
दीपा के अलावा एक और एथलीट हैं जिसने ट्रैक पर जज्बा दिखाया. ललिता बाबर 3000 मीटर स्टीपचेज के फाइनल मुकाबले में दसवें स्थान पर रहीं.