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ओलंपिक से ज्यादा पैरालंपिक में रहा है देश का भव्य रिकॉर्ड, क्यों सेलेब्रिटी नहीं बनते पैरा एथलीट?

ब्राजील की राजधानी रियो डी जेनेरियो में पैरालंपिक खेलों का आयोजन किया जा रहा है. भारत अब तक एक गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर चुका है. आमतौर पर इन पैरालंपिक खेलों से आम जनता अनजान रहती है.

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भारत के मुरलीकांत पेटकर ने जीता था पहला पैरालंपिक गोल्ड मेडल
भारत के मुरलीकांत पेटकर ने जीता था पहला पैरालंपिक गोल्ड मेडल

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ब्राजील की राजधानी रियो डी जेनेरियो में पैरालंपिक खेलों का आयोजन किया जा रहा है. भारत अब तक एक गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर चुका है. आमतौर पर इन पैरालंपिक खेलों से आम जनता अनजान रहती है. अब तक हुए पैरालंपिक खेलों में भारत का कोई खास प्रदर्शन नहीं रहा है. लेकिन कुछ ऐसे भारतीय एथलीट रहे हैं, जिन्होंने अपने लाजवाब प्रदर्शन से इन खेलों को यादगार बनाया है. भारतीय पैरा एथलीटों को व्यक्तिगत पदक लाने में 56 साल लगे. पहला व्यक्तिगत गोल्ड मेडल हासिल करने के लिए भारत को 112 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा.

मुरलीकांत पेटकर ने जीता पहला गोल्ड मेडल
साल 1972 हैडिलवर्ग पैरालंपिक में भारत के मुरलीकांत पेटकर ने 50 मीटर फ्री स्टाइल 3 तैराकी में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा था. अपने फौलादी हौसले से पेटकर उन लोगों के लिए एक आदर्श बने जो किन्हीं वजहों से अक्षम हो जाते हैं. पेटकर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. उन्होंने 1968 पैरालंपिक खेलों के टेबल टेनिस इवेंट में भी हिस्सा लिया था और दूसरे दौर तक पहुंचे थे. लेकिन उन्हें यह अहसास हुआ कि वो तैराकी में ज्यादा बेहतर कर सकते हैं. पेटकर पैरा एथलीट होने से पहले भारतीय सेना के हिस्सा थे. एक फौजी होने के नाते पेटकर ने कभी हारना तो सीखा नहीं था. फिर हुआ भी कुछ ऐसा ही, तैराकी में वो सोने का तमगा जीत कर लौटे. ये भारतीय पैरा खेलों के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि थी. 1972 हैडिलवर्ग में ही भारत की ओर से तब तक सबसे ज्यादा तीन महिला ने भाग लिया था. पैरालंपिक में पहली भारतीय महिला तीरंदाज बनीं पूजा और शॉट पुट में दीपा मलिक ने अपने होने का अहसास कराया था.

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पैरालंपिक खेलों में भारत का सबसे बड़ा इतिहास दर्ज
भारतीय पहलवान सुशील कुमार ही एकमात्र ऐसे एथलीट हैं जिन्होंने ओलंपिक में दो बार पदक जीते हैं. लेकिन पैरालंपिक में एक बड़ा इतिहास दर्ज है. 1984 स्टोक मैंडाविल पैरालंपिक भारत का सबसे सफल पैरालंपिक रहा था.

जोगिंदर सिंह बेदी ने रचा था इतिहास
इसमें जोगिंदर सिंह बेदी ने एक सिल्वर और दो ब्रॉन्ज अपने नाम किए थे. ये कारनामा उन्होंने गोला फेंक, भाला फेंक और चक्का फेंक इवेंट में किया था. इसके साथ ही इसी साल भीमराव केसरकार ने भी भाला फेंक में रजत जीता. 2004 एथेंस पैरालंपिक में भारत देवेंद्र झझरिया ने भाला फेंक में गोल्ड मेडल जीता. साथ ही राजिंदर सिंह राहेलु ने पॉवरलिफ्टिंग 56 किलोग्राम भारवर्ग में ब्रॉन्ज मेडल पर अपना हक जमाया. लंदन 2012 में गिरिशा नागाराजेगौड़ा ने ऊंची कूद में कमाल करते हुए रजत पदक अपने नाम किया. ये वो भारतीय पैरा एथलीट हैं जिन्होंने अपने दमदार प्रदर्शन से देश का नाम रोशन किया है. लेकिन उन्हें वो पहचान नहीं मिली जिसके वो हकदार हैं.
जाने कैसे है पैरालंपिक में देश का भव्य रिकॉर्ड

रियो पैरालंपिक के लिए भारतीय एथलीट:

1) अंकुर धामा (1500 मी दौड़)

2) मारियप्पन टी (ऊंची कूद)

3) वरुण सिंह भाटी (ऊंची कूद)

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4) शरद कुमार (ऊंची कूद)

5) राम पाल (ऊंची कूद)

6) सुंदरसिंह गुर्जर (भाला फेंक)

7) देवेन्दर (भाला फेंक)

8) रिंकू (भाला फेंक)

9) संदीप (भाला फेंक)

10) नरेंद्र (भाला फेंक)

11) अमित कुमार (क्लब थ्रो, चक्का फेंक)

12) धरमबीर (क्लब थ्रो)

13) दीपा मलिक (शॉट पुट)

14) नरेश कुमार शर्मा (निशानेबाजी)

15) फरमान बाशा (पॉवरलिफ्टिंग)

16) सुयश नारायण जाधव (तैराकी)

17) पूजा (तीरंदाजी)

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