भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए 2015 वर्ल्ड कप आखिरकार खत्म हो ही गया. सेमीफाइनल में टीम इंडिया की हार के साथ ही कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में वर्ल्ड कप में लगातार 11 जीत का सिलसिला भी टूट गया. लगातार दूसरी बार चैंपियन बनने का हमारा सपना सपना ही रह गया. जो क्रिकेटर्स अब तक हीरो थे, सेमीफाइनल की हार के बाद विलेन बन गए.
हमारा प्लस प्वाइंट ही माइनस बन गया
जिस बॉलिंग के दम पर हमारी टीम ने पिछले सातों मैच के दौरान विपक्षी टीम के सभी 70 विकेट लिए उसी ने आज घुटने टेक दिए और केवल 7 बल्लेबाजों को आउट कर सकी. टीम के सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज मोहम्मद शमी आज फीके दिखे. उन्होंने 68 रन लुटाए और कोई विकेट नहीं ले सके. शुरुआती दो ओवर में केवल दो रन देने वाले शमी ने अगले 8 ओवरों में 66 रन दे दिए और एक भी ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज को पवेलियन की राह नहीं पकड़ा सके. पहले पांच ओवर फेंकने के बाद धोनी ने एक बार फिर उन्हें 33वें ओवर में बॉलिंग के लिए बुलाया लेकिन इस ओवर में स्मिथ ने उनकी गेंदों पर एक छक्का और दो चौके समेत कुल 14 रन बना डाले. उनके 10वें ओवर (पारी के 49वें ओवर) में मिशेल जानसन ने हमारे इस मुख्य बॉलर को लगातार तीन चौके जड़े.
उमेश यादव इस टूर्नामेंट में टीम इंडिया की ओर से दूसरे सबसे सफल गेंदबाज रहे और इस मैच में उन्होंने चार विकेटें भी लीं लेकिन उनकी गेंदबाजी कहीं भी पिछले मैचों जैसी नहीं दिखी. वो थोड़े भी आक्रामक नहीं दिखे. पहले ही ओवर में वार्नर ने उन्हें एक छक्का और एक चौका लगाया. हालांकि उन्होंने ही वार्नर को आउट कर टीम को जल्द सफलता दिलाई और जब स्मिथ सैंकड़ा जमा चुके थे तो उन्हे आउट करने वाले भी वे ही थे. लेकिन पूरे मैच के दौरान उनकी गेंदों की धुनाई होती रही और वो ऑस्ट्रेलियाई औसत को कम करने में सफल नहीं हुए. नए गेंदबाज मोहित शर्मा ने इस पारी में जहां क्लार्क और वाटसन को चलता किया वहीं वो महंगे भी साबित हुए. उनका बॉलिंग फिगर रहा 10-0-75-2.
बैटिंग त्रिदेव हुए फेल
इस टूर्नामेंट में शिखर धवन सबसे अधिक रन बनाने वाले भारतीय बल्लेबाज हैं. उनके बाद रोहित शर्मा और विराट कोहली का नंबर आता है. शुरुआत अच्छी देने के बाद विकेट पर टिक कर खेलने की जरूरत थी, विकेट फेंकने की नहीं. बेशक शिखर धवन ने 45 रन बनाए लेकिन जिस अंदाज में वो आउट हुए उसकी तब कोई जरूरत नहीं थी क्योंकि स्कोरबोर्ड पर 76 रन थे और 13वां ओवर फेंका जा रहा था. ऐसे में सिंगल्स, डबल्स से काम चलाकर विकेट को बचाए रखने की जरूरत थी. धोनी ने मैच के बाद कहा भी कि शिखर का आउट होना मैच का टर्निंग प्वाइंट था. हेजलवुड की गेंद पर पहला विकेट ज्यों ही गिरा अनुभवी मिशेल जॉनसन ने इसका भरपूर फायदा उठाया.
शिखर के बाद आए बड़े मैचों के बड़े प्लेयर विराट कोहली. इन धाकड़ बल्लेबाज के नाम 300 से अधिक रन चेज़ कर जीतने के दौरान पांच शतक हैं. लेकिन 12 गेंदों तक केवल एक रन बना सके. रन बनाने के लिए लगातार जूझते रहे और मिशेल जॉनसन की एक बाउंसर उनके लिए घातक साबित हुई. चलिए मान लीजिए बड़े मैच का प्रेशर होता है और एक बल्लेबाज आउट हो भी जाए तो क्या, हमारे पास तो वनडे में दो दो दोहरा शतक बनाने वाले रोहित शर्मा भी हैं. आज वो जानसन की गेंद पर दो छक्के लगाकर शानदार टच में भी दिख रहे थे लेकिन 34 रन बनाकर उन्हीं की गेंद पर बोल्ड हो गए. गेंद उनके बल्ले का भीतरी किनारा लेकर लेग स्टंप्स के बेल्स उड़ा ले गई.
सर जडेजा की टीम में क्या जरूरत है?
ये न तो बैटिंग कर रहे हैं और न ही पूरी तरह से गेंदबाजी ही. बतौर ऑलराउंड खेलने वाले जडेजा ने पहले अपनी गेंदबाजी से और फिर बल्लेबाजी से निराश किया. उन्होंने 10 ओवर्स में 56 रन दिए और कोई विकेट नहीं ले सके. इस टूर्नामेंट में उनकी बल्लेबाजी औसत 13.67 की रही. चार बार वो बैटिंग करने उतरे और उन्होंने कुल 41 रन बनाए. गेंदबाजी में हालांकि उन्होंने आठ मैचों में 9 विकेट तो लिए हैं लेकिन इसके लिए उन्होंने 357 रन लुटाए भी हैं. मेरी राय में जडेजा को टीम में जगह दिए जाने की बजाए धोनी अगर बिन्नी को मौका देते तो शायद अच्छा रहता. वर्ल्ड कप और ऑस्ट्रेलियाई टूर पर उनके प्रदर्शन के बाद सेलेक्टर्स भी अब शायद उनको और नहीं ढो पाएं.
स्मिथ को रोकने का कोई प्लान नहीं दिखा
यह जानते हुए कि स्टीव स्मिथ टीम इंडिया के खिलाफ लगातार अच्छा खेल रहे हैं और वर्ल्ड कप के दौरान भी शानदार फॉर्म में हैं. धोनी की टीम उन्हें रोकने में नाकाम रही. स्टीव अपनी बल्लेबाजी की शुरुआत सिंगल्स और डबल्स के साथ करते हैं लेकिन वो लगातार स्कोरबोर्ड को बदलते रहने में माहिर हैं. रन प्रति गेंद की दर से खेलना उनकी खूबी है और यहां भी वो ऐसा की करते रहे. उन्होंने शानदार सेंचुरी बनाई. आउट होने पहले वो 93 गेंदों पर 105 रन बना गए. धोनी के पास उनको रोकने का कोई प्लान नहीं दिखा. स्मिथ की यह पारी गेंदबाजी की बदौलत यहां तक पहुंची टीम इंडिया की बॉलिंग पर एक सवालिया निशान भी लगा गई.
टीम इंडिया पिछले चार महीने से ऑस्ट्रेलिया में है. दौरे की शुरुआत हार से हुई और अंत भी. सबसे खास बात तो यह निकल कर आई कि हम ऑस्ट्रेलिया को एक बार भी नहीं हरा सके. न वनडे और न ही टेस्ट में.