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पूर्व क्रिकेटर चंद्रकांत पंडित को नहीं मिल सकी अपने हिस्से की कामयाबी

भारतीय क्रिकेट ने जहां कई खिलाड़ियों को फर्श से अर्श तक पहुंचाया तो वहीं कुछ क्रिकेटर ऐसे भी रहे हैं, जिनमें टैलेंट होने के बावजूद अपने हिस्से की कामयाबी नहीं मिल सकी.

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चंद्रकांत पंडित
चंद्रकांत पंडित

भारतीय क्रिकेट ने जहां कई खिलाड़ियों को फर्श से अर्श तक पहुंचाया तो वहीं कुछ क्रिकेटर ऐसे भी रहे हैं, जिनमें टैलेंट होने के बावजूद अपने हिस्से की कामयाबी नहीं मिल सकी. ऐसे ही एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर रहे हैं चंद्रकांत पंडित. सैयद किरमानी और फिर किरन मोरे जैसे विकेटकीपर बल्लेबाजों के चलते इन्हें इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने का ज्यादा मौका नहीं मिल सका. चंद्रकांत पंडित का जन्म मुंबई में 30 सितंबर 1961 को हुआ था.

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चंद्रकांत पंडित की जिंदगी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य-
1- उनका पूरा नाम चंद्रकांत सीताराम पंडित है. सैयद किरमानी और किरन मोरे के साथ मुकाबले के चलते पंडित को देश के लिए खेलने के ज्यादा मौके नहीं मिले.
2- उन्होंने 1986 से 1992 के बीच कुल 5 टेस्ट मैच और 36 वनडे मैचों में विकेटकीपिंग की. टेस्ट में उन्होंने 14 कैच लपके और 2 स्टंपिंग की. वनडे में उन्होंने 15 कैच लपके और 15 ही स्टंपिंग कीं.
3- हालांकि वो बल्ले से वह ज्यादा कमाल नहीं दिखा सके. दाएं हाथ के इस बल्लेबाज टेस्ट में उनके बल्ले से 24.4 की औसत से 171 रन निकले जबकि वनडे में उन्होंने 20.7 की एवरेज से 290 रन बनाए.
4- पंडित बतौर कोच भी काम कर चुके हैं. उन्होंने मुंबई की रणजी टीम को कोचिंग दी है.
5- फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनका बेहतरीन रिकॉर्ड रहा. उन्होंने 48.5 के एवरेज से 8209 रन बनाए. इसमें 22 शतक और 42 अर्धशतक शामिल हैं.
6- टेस्ट डेब्यू 1986 में इंग्लैंड के खिलाफ 19 जून से शुरू हुए लीड्स टेस्ट में किया. आखिरी टेस्ट 1992 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडीलेड में खेला.
7- पहला वनडे 1986 में न्यूजीलैंड के खिलाफ शारजाह में खेला और आखिरी वनडे 1992 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी में खेला.
8- 2001 में इस क्रिकेटर ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट से संन्यास लिया. उन्होंने करियर बतौर बल्लेबाज शुरू किया था.
9- शुरुआत में उन्हें सैयद किरमानी का असल उत्तराधिकारी माना जा रहा था. टीम में उन्हें कई बार बल्लेबाज के तौर पर जगह मिली.
10- पंडित मध्य प्रदेश के लिए रणजी खेल चुके हैं. उनके निर्देश में मुंबई ने 2003 और 2004 में लगातार दो बार रणजी जीता. 2005 में महाराष्ट्र के कोच बन गए.

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