पाकिस्तान को हराकर आठवां जूनियर एशिया कप जीतने वाली भारतीय जूनियर हॉकी टीम के कोच हरेंद्र सिंह ने सोमवार को कहा कि अभी यह शुरुआत भर है और खुद को आंकने के लिए खिलाड़ियों को यूरोपीय टीमों के खिलाफ ‘हार्ड टेस्ट’ से गुजरना होगा.
भारत ने रविवार को मलेशिया के कुआंतन में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को फाइनल में 6-2 से हराकर जूनियर एशिया कप हॉकी खिताब जीता.
डेढ साल पहले जूनियर टीम के कोच बने हरेंद्र ने कुआंतन से कहा, ‘अभी यह जीत प्रक्रिया की शुरुआत मात्र है. हमारे प्रदर्शन में दिन प्रतिदिन निखार आ रहा है और इस जीत के बाद मैं आश्वस्त हूं कि जूनियर हॉकी के लिए जो रोडमैप हमने तैयार किया है, हम सही दिशा में जा रहे हैं.’ उन्होंने हालांकि कहा कि भारतीय जूनियर खिलाड़ियों को खुद को मांजने के लिए जर्मनी, बेल्जियम ,नीदरलैंड जैसी यूरोपीय टीमों से अधिक मैच खेलने होंगे.
उन्होंने कहा, ‘हमें सिर्फ टूर्नामेंटों पर नहीं बल्कि शीर्ष टीमों के खिलाफ मैचों पर भी ध्यान देना होगा. मैं चाहूंगा कि अगले साल हम जर्मनी, नीदरलैंड, बेल्जियम, इंग्लैंड जैसी बड़ी यूरोपीय टीमों के खिलाफ अधिक मैच खेलें ताकि खुद को आंकने का मौका मिल सके. इन खिलाड़ियों को उस ‘हार्ड टेस्ट’ के दबाव से गुजरना जरूरी है.’
एशिया कप में मिली जीत की अहमियत के बारे में पूछने पर हरेंद्र ने कहा कि इससे अगले साल अपनी सरजमीं पर होने वाले जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप में भारत को कमोबेश आसान ग्रुप मिल सकता है. उन्होंने कहा, ‘उपमहाद्वीपीय चैम्पियन के रूप में वर्ल्ड कप में उतरने से टीम का मनोबल तो बढ़ेगा ही, साथ ही ग्रुप में एक या दो आसान टीमें मिलने की भी संभावना बढ़ जाएगी. वर्ल्ड कप में ग्रुपिंग तय होते समय यह जीत महत्वपूर्ण साबित होगी.’ जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप अगले साल 1 से 11 दिसंबर तक दिल्ली में खेला जाएगा.
जीत का श्रेय किसी खिलाड़ी विशेष को देने से इनकार करते हुए कोच ने कहा कि हर जीत टीम प्रयासों से मिलती है और वह व्यक्तिगत प्रदर्शन को अहमियत देने का चलन इस टीम में पैदा नहीं होने देंगे.
हरेंद्र ने कहा, ‘मेरा हमेशा से मानना रहा है कि हॉकी में हर जीत टीम प्रयास की देन होती है. मैं कभी व्यक्तिगत खेल को महत्व नहीं देता और ना ही अपनी टीम को देने दूंगा. जीत का श्रेय पूरी टीम को जाता है.’ पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल मैच से पहले खास रणनीति के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि उन्होंने खिलाड़ियों को आम मैच की तरह दबाव लिए बिना खेलने की सीख दी थी.
उन्होंने कहा, ‘मैंने मैच से पहले ड्रेसिंग रूम में पाकिस्तानी टीम के बारे में कोई बात नहीं की. मैंने खिलाड़ियों से कहा कि इसे आम मैच की तरह खेलो और अपना स्वाभाविक खेल दिखाओ. मैंने उन्हें कमियों को दुरुस्त करने के बारे में भी कहा लेकिन यथार्थवादी लक्ष्य दिए.’