सफलता काफी हद तक मेहनत और दृढसंकल्प पर निर्भर करती है, लेकिन हालात किसी को सफलता दिलाने या बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
बॉक्सर विजेंद्र कुमार को आज पूरा देश जानता है. अब से कुछ साल पहले हरियाणा के कैथल के दो बॉक्सर विजेंद्र और श्याम कुमार सैनी एक ही रिंग में एक-दूसरे के आमने सामने थे. लेकिन आज विजेंद्र को टक्कर देने वाला दूसरा बॉक्सर श्याम गुमनामी में खो गया है. श्याम आर्थिक समस्याओं की वजह से एक निजी बैंक के एटीएम में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहे हैं.
साल 2003 में चाखरी दादरी में हरियाणा स्टेट चैम्पियनशिप में विजेंद्र और श्याम एक दूसरे के खिलाफ खेले थे. लेकिन विजेंद्र को जो सफलता मिली वो श्याम को नहीं मिल सकी. 30 साल के हरियाणा के कैथल के एक बैंक के एटीएम में 6600 रुपये सैलेरी की नौकरी कर रहा है. श्याम ने बताया कि घर चलाने के लिए उसे रुपये की जरुरत थी. बॉक्सिंग लगातार करने के लिए सरकार से मदद मांगी थी लेकिन कुछ हल नहीं निकला.
श्याम सैनी ने कहा, 'मैंने अपना करियर अच्छे से शुरू किया था. साल 2003 में हरियाणा स्टेट चैम्पियनशिप में विजेंद्र और मैं आमने सामने थे. मैंने प्रतियोगिता में ब्रॉन्ड मेडल जीता था. साल 2004-2005 के दौरान मैंने कई गोल्ड मेडल जीते. लेकिन परिवार की दिक्कतों की वजह से मुझे बॉक्सिंग छोड़नी पड़ी.'
सैनी ने बताया, 'हाल ही में मेरे सर्टिफिकेटस हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पास भेजे गए हैं. मुझे उम्मीद है कि कुछ अच्छा होगा.'