'टीम' का मतलब वो ग्रुप होता है जो साथ मिलकर काम करे, लेकिन इन दिनों 'टीम इंडिया' का मतलब सिर्फ विराट कोहली और मोहम्मद शमी होता जा रहा है. हालिया दिनों में आप देखें तो भारत की तरफ से अगर कोई लगातार अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब हो पाया है, तो वो सिर्फ कोहली और शमी हैं.
2013 में विराट कोहली, शिखर धवन और रोहित शर्मा का बल्ला खूब चला और तीनों ने पिछले साल एक-एक हजार से ज्यादा रन भी बनाए. इसी के दम पर भारत रैंकिंग में भी नंबर एक की कुर्सी पर भी विराजमान रहा. लेकिन साल के अंत तक रोहित और धवन के बल्ले की चमक फीकी पड़ चुकी थी. और अब टीम इंडिया का नंबर वन का ताज भी खतरे में पड़ गया है, क्योंकि उधर ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड की लगातार धुनाई कर रहा है.
दक्षिण अफ्रीका में भी अपनी धरती के शेर हुए थे फ्लॉप
पिछले दक्षिण अफ्रीका दौरे से लेकर न्यूजीलैंड में पहले वनडे तक रोहित शर्मा, शिखर धवन, महेंद्र सिंह धोनी, सुरेश रैना, रविंद्र जडेजा, आर अश्विन, इशांत शर्मा और भुवनेश्वर कुमार सभी फ्लॉप रहे हैं. दक्षिण अफ्रीका में भारत तीन में से दो मैच हार गया और तीसरे में इंद्रदेवता ने हार से बचा लिया. न्यूजीलैंड में भी नए साल की शुरुआत हार से हुई. दक्षिण अफ्रीका में रोहित ने 3 मैचों की 2 पारियों में महज 37 रन बनाए, शिखर धवन 3 मैचों की 2 पारियों में 12 रन, सुरेश रैना 3 मैचों की 2 पारियों में 50 रन और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने 3 मैचों की 2 पारियों में 84 रन बनाए. युवराज भी 2 मैचों में खेले, जहां एक पारी में वे खाता भी नहीं खोल पाए. गेंदबाजों की बात करें तो मोहम्मद शमी ही एक मात्र ऐसे गेंदबाज रहे जिन्होंने सबको प्रभावित किया और कुल 3 मैचों में 9 विकेट झटके, बाकी के सभी फ्लॉप साबित हुए.
टीम में बाकी गेंदबाज और बल्लेबाज किस काम के?
नए साल में न्यूजीलैंड सीरीज में सभी को उम्मीद थी की वहां भारत कुछ अच्छा प्रदर्शन करेगा लेकिन जिस तरह की शुरुआत वहां हुई वो बेहद निराशाजनक है. पहली बात तो ये कि क्या भारत के पास मोहम्मद शमी के अलावा कोई और गेंदबाज नहीं जो टीम को सफलता दिला सके? शमी ने पहले स्पेल में भारत को 2 विकेट दिलाए, लेकिन जैसे ही वे गेंदबाजी से हटे भारतीय गेंदबाज विकेट लेने को तरस गए और केन विलियम्सन और रॉस टेलर ने तीसरे विकेट के लिए 121 रन जोड़ डाले. सवाल ये उठता है कि शमी ने अगर न्यूजीलैंड के 32 पर 2 विकेट गिरा दिए, उसके बाद टीम के अन्य गेंदबाज किस काम के हैं? ये हाल नेपियर वनडे में ही नहीं बल्कि दक्षिण अफ्रीका में भी था.
बल्लेबाजी में भी फेल हुई टीम इंडिया
बल्लेबाजी की बात करें तो और भी निराशा होती है. गौतम गंभीर को तो विश्व कप के प्रोबेबल्स में भी जगह नहीं मिलती है लेकिन उधर रोहित शर्मा और शिखर धवन अब मैच दर मैच फ्लॉप ही साबित हो रहे हैं. कोहली के आलावा कोई ऐसा बल्लेबाज नजर नहीं आ रहा है जो भारत के लिए नियमित रूप से हर परिस्थिति में रन बना सके. भारत का मध्यक्रम तो कभी था ही नहीं, लेकिन 2013 में तो कम से कम भारत अपने टॉप आर्डर (रोहित, विराट और धवन) और निचले मध्यक्रम (धोनी) कि वजह से मैच जीत भी रहा था, लेकिन अब तो वैसा भी नहीं है.
अगर नजर है विश्व कप पर, तो बहुत जल्द लेनी होगी सीख
नेपियर वनडे के बाद कप्तान धोनी अपने गेंदबाजों की तारीफ इसलिए की, क्योंकि उन्होंने न्यूजीलैंड को 300 रन बनाने नहीं दिए. क्या 292 रन देने वाले और एक-एक विकेट के लिए तरसने वाले टीम इंडिया के गेंदबाज महज इतनी सी बात के लिए तारीफ के हकदार हैं? कहां गई कप्तान की वो सोच जो जीत के बाद कभी संतुष्ट नहीं रहते थे? कहां गई कप्तान की वो कभी ना मिटने वाली भूख जो जीत के लिए कभी मिटती नहीं थी?
गलतियों से सीख ले टीम इंडिया
सबसे अहम चीज जो धोनी को करनी है वो ये कि न्यूजीलैंड की धरती पर किस तरह की टीम लेकर मैदान पर उतारें ये उन्हें दोबारा सोचने की जरुरत है. कप्तान को कब समझ आएगा कि न्यूजीलैंड में 2 स्पिनर किसी काम के नहीं. अश्विन को क्यों खिलाया गया किसी के समझ नहीं आया, अगर अश्विन की जगह स्टुअर्ट बिन्नी को खिलाया जाता तो शायद टीम के लिए बेहतर साबित होता, क्योंकि न्यूजीलैंड में आपको ऐसे ही खिलाडियों की जरुरत होती है जो तेज गेंदबाजी के साथ-साथ बल्ले से भी योगदान दे सके. साथ ही अगर भारत इस सीरीज को अगले साल विश्व कप की तैयारी के रूप में ले रहा है, तो बहुत जल्द भारत को सुरेश रैना के विकल्प के बारे में भी सोचना होगा.