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नेशनल टीम के कोच ने छोटी उम्र से ही खिलाड़ियों के बेसिक्स पर ध्यान देने की बात कही

भारतीय फुटबॉल टीम की हालिया नाकामी के बाद भी इंडियन नेशनल फुटबॉल टीम के कोच स्टीफन कान्सटेनटाइन को लगता है कि भारतीय फुटबॉल का बुरा दौर बीत चुका है. हालांकि उन्हें भारतीय खिलाड़ियों के कमजोर बेसिक्स पर शिकवा जरूर है.

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स्टीफन कान्सटेनटाइन (फाइल फोटो)
स्टीफन कान्सटेनटाइन (फाइल फोटो)

भारतीय फुटबॉल टीम की हालिया नाकामी के बाद भी इंडियन नेशनल फुटबॉल टीम के कोच स्टीफन कान्सटेनटाइन को लगता है कि भारतीय फुटबॉल का बुरा दौर बीत चुका है. हालांकि उन्हें भारतीय खिलाड़ियों के कमजोर बेसिक्स पर शिकवा जरूर है.

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बेसिक्स पर मजबूत पकड़ नहीं
स्टीफन का मानना है कि भारत में फुटबॉल संस्कृति के अभाव के कारण अधिकतर भारतीय फुटबॉलरों की खेल के बेसिक्स पर मजबूत पकड़ नहीं है. इस साल के शुरू में दूसरी बार भारतीय टीम का कोच पद संभालने वाले कान्सटैंटाइन ने कहना है कि वर्षों तक जमीनी स्तर पर ध्यान नहीं देने के कारण खिलाड़ी अपने करियर में काफी बाद में बेसिक्स सीखते हैं.

प्रतिभाओं को छोटी उम्र में निखारना होगा
इससे पहले 2002 से 2005 के बीच भारतीय कोच रहे इंग्लैंड के कान्सटेनटाइन ने ब्रिटिश उच्चायोग में एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से कहा, ‘जब मैंने 2005 में भारतीय टीम का कोच पद छोड़ा था तब से मैंने देखा कि देश कुछ विभागों में आगे बढ़ गया है लेकिन इसके साथ ही कुछ अन्य क्षेत्रों में बहुत कम सुधार हुआ है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘जमीनी स्तर पर विकास और छोटी उम्र में प्रतिभा को निखारने पर बहुत अधिक ध्यान नहीं दिया जाता है. दुर्भाग्य से ऐसा इस देश में फुटबाल संस्कृति के अभाव के कारण होता है. अब तक आठ देशों ने फीफा विश्व कप जीता है और आप उनकी फुटबाल संस्कृति को देख सकते हो.’

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शुरुआत में ही सीखने होंगे बेसिक्स
कान्सटेनटाइन के मुताबिक, ‘उन देशों में युवा चार या पांच साल की उम्र से बेसिक्स सीखना शुरू कर देते हैं. भारत में खिलाड़ी युवा उम्र में बेसिक्स नहीं सीखते हैं और जब वे बड़े होते हैं तो बेसिक्स को लेकर उन्हें जूझना पड़ता है.’ भारत को पिछले महीने फीफा वर्ल्ड कप2018 के दूसरे दौर के क्वालीफाईंग मैच में गुआम के हाथों 1-2 से हार का सामना करना पड़ा था.

गुजर चुका है बुरा दौर
कान्सटेनटाइन ने स्वीकार किया कि भारतीय फुटबाल ने पिछले चार पांच वर्षों में अच्छा नहीं किया लेकिन उन्हें लगता है कि बुरा दौर गुजर गया है. उन्होंने कहा, ‘पिछले चार पांच वर्षों में राष्ट्रीय टीम का प्रदर्शन खराब हुआ है. यहां तक कि टीम एक बार फीफा रैंकिंग में 171वें स्थान पर भी पहुंच गई थी. लेकिन मैं आपको आश्वासन देता हूं कि मैं टीम को बेहतर स्थिति में छोड़ कर जाउंगा. अपने कोचिंग करियर में मैंने जिस टीम को भी छोड़ा वह तब बेहतर स्थिति में थी.’ कान्सटेनटाइन से पूछा गया कि 2005 में उनके हटने के बाद भारत में कितने प्रतिभाशाली खिलाड़ी आये हैं तो उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, ‘मैं कहूंगा कि भारत ने फुटबाल से जुड़े नेता अधिक पैदा किये हैं.'

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