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दो दशक बाद रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचा महाराष्ट्र

रिद्धिमान साहा के नाबाद शतक के बावजूद बंगाल को रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल के तीसरे ही दिन महाराष्ट्र के हाथों 10 विकेट से हार का सामना करना पड़ा.

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1992-93 के बाद रणजी ट्रॉफी के फाइनल में महाराष्ट्र
1992-93 के बाद रणजी ट्रॉफी के फाइनल में महाराष्ट्र

रिद्धिमान साहा के नाबाद शतक के बावजूद बंगाल को रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल के तीसरे ही दिन महाराष्ट्र के हाथों 10 विकेट से हार का सामना करना पड़ा. महाराष्ट्र की टीम ने 10 विकेट की शानदार जीत के साथ 20 साल से भी अधिक समय बाद रणजी ट्रॉफी के फाइनल में जगह बनाई. टीम पिछली बार 1992-93 सत्र में फाइनल में पहुंची थी.

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पहली पारी में 341 रन से पिछड़ने के बाद बंगाल की टीम दूसरी पारी में एक विकेट पर 16 रन से आगे खेलने उतरी और साहा (नाबाद 108) की शानदार पारी के बावजूद टीम 348 रन पर सिमट गई जिससे महाराष्ट्र को आठ रन का लक्ष्य मिला जो उसने बिना विकेट खोए हासिल कर लिया.

साहा ने अपनी पारी के दौरान 146 गेंद का सामना करते हुए 15 चौके और दो छक्के मारे. बंगाल की टीम एक विकेट पर 16 रन से आगे खेलने उतरी लेकिन टीम ने नियमित अंतराल पर विकेट गंवाए जिससे उसका स्कोर एक समय सात विकेट पर 188 रन हो गया और उस पर पारी की हार का खतरा मंडरा रहा था.

साहा ने हालांकि एक छोर संभाले रखा. उन्होंने सौरव सरकार (35) के साथ आठवें विकेट के लिए 45 और अशोक डिंडा (25) के साथ नौवें विकेट के लिए 62 रन जोड़ने के बाद शिव शंकर पाल (13) के साथ अंतिम विकेट के लिए 53 रन की साझेदारी भी की जिससे टीम पारी की हार को टालने में सफल रही.

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महाराष्ट्र की ओर से डोमीनिक जोसफ ने 80, अनुपम संकलेचा ने 84 जबकि समद फल्लाह ने 110 रन देकर तीन तीन विकेट चटकाकर अपनी टीम की राह बनाई. महाराष्ट्र ने इसके बाद दूसरे ओवर में ही आठ रन बनाकर मैच जीत लिया. सलामी बल्लेबाज हर्षद खादीवले ने नाबाद आठ रन बनाए जबकि उनके साथी बल्लेबाज चिराग खुराना खाता भी नहीं खोल पाए.

महाराष्ट्र अब फाइनल में कर्नाटक या पंजाब से भिड़ेगा जिनके बीच दूसरा सेमीफाइनल खेला जा रहा है.

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