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जूते खरीदने को नहीं थे पैसे, मनदीप बनी वुमन जूनियर वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियन

15 साल की पंजाबी कुड़ी मनदीप संधू चौतरफा चर्चा में हैं. एआईबीए वर्ल्ड जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर आई मनदीप ने अपने परिवार और पिंड का नाम रोशन कर दिया है.

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एआईबीए वुमंस जूनियर वर्ल्ड बॉक्सिंग-2015 की चैंपियन मनदीप
एआईबीए वुमंस जूनियर वर्ल्ड बॉक्सिंग-2015 की चैंपियन मनदीप

15 साल की पंजाबी कुड़ी मनदीप संधू चौतरफा चर्चा में हैं. एआईबीए वर्ल्ड जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल जीतकर आई मनदीप ने अपने परिवार और पिंड का नाम रोशन कर दिया है.

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7 साल की उम्र में बॉक्सिंग करने का निर्णय लेने वाली मनदीप के माता-पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो उन्हें एक जोड़ी जूते खरीद कर दे सकें. लेकिन एक परीकथा के जैसे सारे संयोग बनते गए. ग्राम पंचायत सामने आई, 2 एनआरआई भाइयों की एक लोकल अकादमी मदद को सामने आई और यहां तक कि मैरी कॉम ने भी हाथ बढ़ाया. आखिरकार शनिवार को पंजाब के चाकर गांव की मनदीप को एआईबीए वर्ल्ड जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप की 52 किलो की कैटेगरी में गोल्ड मेडल दिया गया.

मनदीप की मां दलजीत कौर बेहद खुश हैं कि लोग सुबह से घर पर बधाइयां देने आ रहे हैं. पिता जगदेव सिंह कहते हैं, 'मैं वो दिन कभी नहीं भूल पाऊंगा जब मेरी बेटी ने मुझसे बॉक्सिंग करने की फरमाइश की थी. उस समय हमारे पास 1 एकड़ जमीन और एक भैंस थी. हम सालाना 20 हजार रुपये कमाते थे. मेरी बेटी को उसके पहले जूते भी उस अकादमी में मिले जहां से वो ट्रेनिंग ले रही थी.'

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मनदीप बताती हैं कि पहला नेशनल मेडल जीतने पर उन्हें ग्राम पंचायत ने ग्यारह सौ रुपये दिए थे. वो रुपये उनके लिए किसी लॉटरी से कम नहीं थे. मंदीप की लाइफ बदली शेर-ए-पंजाब बॉक्सिंग अकादमी से जो 2 एनआरआई भाई (अजमेर सिंह और स्वर्गीय बलदेव सिंह) चलाते थे. वहां मनदीप को प्रशिक्षित किया बलवंत सिंह संधू ने. मंदीप का इंटरनेशनल लेवल पर मेडल जीतने का सिलसिला साल 2011 से शुरु हो गया था.

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