क्रिकेट के इतिहास का एक और काला दिन जब स्पॉट फिक्सिंग के इल्जाम में तीन क्रिकेटर सलाखों के पीछे चले गए. लेकिन, आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग का खुलासा जितना सनसनीखेज है, उससे कम हैरतअंगेज नहीं है पुलिस की जांच.
दिल्ली पुलिस ने कैसे खोला स्पॉट फिक्सिंग स्कैंडल? कैसे गिरफ्त में आए श्रीसंत, चंदीला और चव्हाण?
दिल्ली पुलिस ने आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के जिस सनसनीखेज स्कैंडल का खुलासा किया है, उसकी शुरुआत आईपीएल सीजन सिक्स शुरू होने के काफी पहले हो गई थी. दरअसल, दिल्ली पुलिस को ये सूचना मिली थी कि मुंबई का अंडरवर्ल्ड मैच फिक्सिंग में शामिल है. दिल्ली पुलिस ने इस सूचना पर काम शुरू किया और संदिग्ध फिक्सरों के फोन को सर्विलांस पर लगा दिया.
सर्विलांस के दौरान एक अहम नाम सामने आया बीजू का. लेकिन बाद में पुलिस ने पाया कि बीजू तो बुकी का नकली नाम है. असली नाम तो जीजू जनार्दन है जो केरल के अर्नाकुलम क्लब से खेलता था. इसी क्लब से श्रीसंत भी खेलते हैं. बाद में तहकीकात में पुलिस ने पाया कि श्रीसंत और जीजू के बीच गहरी दोस्ती भी है. दोस्ती का यही कनेक्शन श्रीसंत को स्पॉट फिक्सिंग में घसीट लाया.
दिल्ली पुलिस लगातार जीजू और संदिग्ध सट्टेबाजों की गतिविधियों की निगरानी कर रही थी. दिल्ली पुलिस के मुताबिक बुकियों को उन खिलाड़ियों की तलाश थी जो बिकने के लिए तैयार हों. तीन खिलाड़ी इसके लिए तैयार भी हो गए. श्रीसंत, अजीत चंदीला और अंकित चव्हाण.
अब दिल्ली पुलिस के सामने चुनौती थी, इन खिलाड़ियों को रंगे हाथ पकड़ने की. ये काम आसान नहीं था. लिहाजा दिल्ली पुलिस की टीम हर मैच देखने स्टेडियम पहुंचने लगी. इसका एक खास मकसद था.
दिल्ली पुलिस की कोशिशें रंग लाई और तीनों क्रिकेटरों समेत 11 बुकी हत्थे चढ़ गए.
- पुलिस के मुताबिक अब तक इस बात के सबूत नहीं हैं कि किसी टीम का मालिक इसमें शामिल है.
- हालांकि, पुलिस ने शक जताया बाकी टीमों में ऐसा फिक्सर हो सकते हैं.
- पुलिस ने इस केस में और गिरफ्तारी की संभावनाओं को भी खारिज नहीं किया.
- स्पॉट फिक्सिंग में मुंबई अंडरवर्ल्ड का लिंक तो सामने आया है लेकिन दाऊद इब्राहीम या टाइगर मेमन के तार साबित नहीं हो पाए.
ये दिल्ली पुलिस ही थी जिसने पहली बार क्रिकेट में मैच फिक्सिंग का भंडाफोड़ किया था. इस बार भी दिल्ली पुलिस ने ही स्पॉट फिक्सिंग का खुलासा किया है.