आईपीएल 2013 में स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में बीसीसीआई का आजीवन प्रतिबंध झेलने वाले राजस्थान रॉयल्स के क्रिकेटर अंकित चव्हाण को मुंबई क्रिकेट संघ ने रणजी ट्रॉफी का उनका बकाया 32 लाख रुपये चुका दिया है. एमसीए उपाध्यक्ष रवि सावंत ने बताया कि उन्होंने बीसीसीआई को नवंबर 2014 में पत्र लिखकर चव्हाण को बकाया चुकाने की अनुमति मांगी थी लेकिन बोर्ड से उन्हें कोई जवाब नहीं मिला लिहाजा उन्होंने भुगतान कर दिया.
इसमें मैच फीस और एमसीए के बोनस की रकम में उसका हिस्सा शामिल है जो टीम के सभी सदस्यों को 2012-13 रणजी खिताब जीतने पर मिला था.
सावंत ने कहा, ‘चव्हाण के माता पिता ने हमसे संपर्क किया जिसके बाद हमने बीसीसीआई को पत्र लिखा ताकि उसका बकाया चुकाने की अनुमति हासिल कर सके. हमें मार्च तक बीसीसीआई से कोई जवाब नहीं मिला तो हमने बकाया चुका दिया.’ चव्हाण, एस श्रीसंत और अजित चंदीला को स्पॉट फिक्सिंग मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. चव्हाण और श्रीसंत पर आजीवन प्रतिबंध लगाया गया जबकि बीसीसीआई ने चंदीला की सजा पर फैसला नहीं किया है.
इस एमसीए ने क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया पर उसके द्वारा आयोजित किसी मैच की मेजबानी करने या टूर्नामेंट में भाग लेने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. वह उसे किसी टूर्नामेंट के लिये अंपायर भी नहीं देगा. एमसीए ने यह कार्रवाई इसलिये की क्योंकि सीसीआई ने पिछले महीने चेन्नई में हुई बीसीसीआई की एजीएम में केरल के टीसी मैथ्यूज के नाम का प्रस्ताव उपाध्यक्ष पद के लिये पश्चिम क्षेत्र से रखा जबकि वह दक्षिण क्षेत्र से हैं. इसके अलावा पिछले सत्र में और इस सत्र में आईपीएल के मैच कराने के लिए एमसीए से औपचारिक अनुमति भी नहीं ली.
सावंत ने कहा, ‘बोर्ड की एजीएम में सीसीआई प्रतिनिधियों ने पश्चिम क्षेत्र से उपाध्यक्ष पद के लिए मैथ्यूज के नाम का प्रस्ताव रखा जबकि वह दक्षिण क्षेत्र से हैं. उन्होंने आईपीएल मैचों की मेजबानी के लिए औपचारिक अनुमति भी नहीं ली.’ मैथ्यूज ने निवृतमान उपाध्यक्ष सावंत को एक वोट से हराया था.