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मिल्खा सिंह ने फिर कहा, सचिन को बनाया जाए खेल मंत्री

उड़न सिख मिल्खा सिंह ने एक बार फिर सचिन तेंदुलकर को खेल मंत्री बनाने की वकालत की है. मिल्खा का कहना है हाल में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह चुके महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को देश का खेल मंत्री बनाया जाना चाहिये ताकि खेल मंत्रालय को उनके अनुभवों का लाभ मिल सके.

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सचिन रमेश तेंदुलकर
सचिन रमेश तेंदुलकर

उड़न सिख मिल्खा सिंह ने एक बार फिर सचिन तेंदुलकर को खेल मंत्री बनाने की वकालत की है. मिल्खा का कहना है हाल में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह चुके महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को देश का खेल मंत्री बनाया जाना चाहिये ताकि खेल मंत्रालय को उनके अनुभवों का लाभ मिल सके.

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सेठ एम. आर. जयपुरिया स्कूल के 21वें स्थापना दिवस के अवसर पर नवाबों के शहर पहुंचे मिल्खा ने संवाददाताओं से कहा कि सचिन ने अब क्रिकेट से संन्यास ले लिया है और अब देश में खेलों के भले के लिये उनके तजुर्बे का इस्तेमाल करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इस वक्त राज्यसभा सदस्य सचिन तेंदुलकर को देश का खेल मंत्री बनाया जाना चाहिये, क्योंकि उनके पास खेल का अपार अनुभव है और वह किसी अन्य व्यक्ति के मुकाबले देश में खेलों को बढ़ावा देने के रास्तों के बारे में बेहतर तरीके से समझ सकते हैं.

मिल्खा ने दोहराया कि सचिन को देश का सर्वोच्च असैन्य सम्मान भारत रत्न देने से पहले हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को इससे नवाजा जाना चाहिये. उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को भारत रत्न देने के लिये एक समिति गठित की जानी चाहिये जो विभिन्न खेलों से जुड़ी हस्तियों का मूल्यांकन करके निर्णय ले. बाद में, समारोह को सम्बोधित करते हुए मिल्खा ने कहा कि मौजूदा वक्त में खेल की बेहतर सुविधाएं होने के बावजूद स्तरीय एथलीट तैयार नहीं हो पा रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छाप छोड़ने के लिये हिन्दुस्तानी खिलाड़ी को और कड़ी मेहनत करनी होगी.

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मिल्खा ने कहा मैं उस जमाने में खेला हूं जब देश में खेलों की बुनियादी सुविधाएं तक नहीं थी. जूते, ट्रैक सूट वगैरह तो हम जानते ही नहीं थे. आज के जमाने में इतनी सुविधाएं होने के बावजूद स्तरीय एथलीट नहीं निकल रहे हैं. वर्ष 1958 में ब्रिटेन में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतने वाले इस एकमात्र भारतीय एथलीट ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छाप डालने के लिये भारतीय खिलाड़ियों को अपने खेल को गम्भीरता से लेना होगा तथा और कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. बच्चों को देश का भविष्य बताते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नयी पीढ़ी से देश को अनेक अंतरराष्ट्रीय एथलीट मिलेंगे. वर्ष 1960 में रोम ओलम्पिक में 400 मीटर दौड़ में मामूली अंतर से कांस्य पदक से चूके इस खिलाड़ी ने भविष्य की योजनाओं को लेकर पूछे गये एक सवाल पर कहा मुझे जो करना था, कर चुका. अब मेरी उम्र 85 साल की हो चुकी है.

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