भारत और इंग्लैंड के बीच खेले जाने वाले टेस्ट सीरीज में अंपायर के फैसले जस के तस लागू होंगे और उन पर फिर से विचार नहीं हो सकेगा. एक बार अंपायर ने उंगली उठा दी तो बैट्समैन आउट माना जाएगा और उसे रिव्यू की अपील का हक नहीं होगा. उसी तरह अगर किसी खिलाड़ी को अंपायर ने नॉट आउट करार दिया तो उसके खिलाफ भी अपील नहीं हो सकेगी.
इस बार पांचों मैचों में विवादास्पद डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) लागू नहीं होगा. अब पहले की ही तरह अंपायर के फैसले माने जाएंगे और उन्हीं मामलों में रिव्यू हो सकेगा जिनमें अंपायर जरूरत समझेंगे. रिव्यू न करने का फैसला दोनों टीमों के प्रबंधन की बैठक में लिया गया था.
दरअसल इसके कारण दोनों टीमों में कटुता की आशंका थी और अंपायर भी नहीं चाहते की ऐसा हो. अब ट्रेंट ब्रिज में बुधवार से शुरू होने वाले टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के ब्रुस ऑक्सेनफर्ड और श्रीलंका के कुमार धर्मसेना निश्चिंत होकर अंपायरिंग कर सकेंगे लेकिन अब वे फैसले करने में थोड़ा वक्त लगा सकते हैं.
पूर्व क्रिकेटर रवि शास्त्री ने कहा कि ऐसा नहीं है कि बीसीसीआई भारत डिसीजन रिव्यू सिस्टम के खिलाफ है. वह चाहती है कि टेक्नोलॉजी एक सी रहे. शास्त्री का कहना था कि इस बारे में फैसला करने का हक खिलाड़ियों की बजाय थर्ड अंपायर पर रहे. उसे ही इसका अधिकार होना चाहिए.