कजाकिस्तान के अलमाटी में सोमवार से शुरू हो रही मुक्केबाजी विश्व चैम्पियनशिप में हिस्सा लेने के लिए 10 सदस्यीय भारतीय मुक्केबाजों का दल अलमाटी पहुंच चुका है, लेकिन यह चैम्पियनशिप एक मायने में उनके लिए थोड़ा हताश करने वाली जरूर साबित हो सकती है, क्योंकि चैम्पियनशिप में अगर कोई भारतीय मुक्केबाज पदक जीतता है तो आम परंपरा के अनुसार न तो तिरंगा फहराया जाएगा और न ही भारत की राष्ट्रधुन बजाई जाएगी.
वेबसाइट स्पोर्ट्सकीड़ा डॉट कॉम के अनुसार इसका कारण अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) द्वारा भारतीय मुक्केबाजी संघ (एआईबी) पर लगाया गया प्रतिबंध है. इसके कारण भारतीय मुक्केबाज विश्व चैम्पियनशिप में एआईबीए के बैनर तले स्वतंत्र प्रतिभागी के रूप में हिस्सा ले रहे हैं.
इस महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए इस बार भारतीय मुक्केबाजों ने जमकर तैयारी की है और सोमवार को मदनलाल (52 किग्रा.) चैम्पियनशिप में भारतीय अभियान का आगाज किया. चैम्पियनशिप में 116 देशों के 576 मुक्केबाज हिस्सा लेंगे.
पूर्व राष्ट्रीय चैम्पियन मदनलाल सोमवार को मोलदोवा के एलेक्जंद्रॉस रिस्कान से भिड़ेंगे. अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी कप-2013 में स्वर्ण पदक जीतने वाले मदनलाल को राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता सुरोंजय सिंह मेइंगबाम पर तरजीह दी गई. सुरंजय चैम्पियनशिप के ट्रायल मुकाबले में हार गए थे.
चैम्पियनशिप में सोमवार को ही देश के विकास मलिक (60 किग्रा.) किरगिस्तान के मेडेर मैमाकीव से मुकाबला करेंगे. चैम्पियनशिप में हिस्सा लेने वाले अन्य भारतीय मुक्कबाजों में थोकचाम नानाओ सिंह (49 किग्रा.), एशियाई चैम्पियन शिव थापा (56 किग्रा.), राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मनोज कुमार (64 किग्रा.), सुमित सांगवान (81 किग्रा.) और एशियाई चैम्पियनशिप में रजत पदक विजेता मनप्रीत सिंह (91 किग्रा.) को पहले दौर में बाई दी गई है.