भारतीय ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष विजय कुमार मल्होत्रा ने मंगलवार को कहा कि खेल मंत्रालय को तुरंत उच्च स्तरीय जांच शुरू करके पता लगाना चाहिए कि खिलाड़ियों के डोप परीक्षण में विफल रहने के लिए कौन जिम्मेदार है.
राष्ट्रीय खेल महासंघों के संघ (जीएएनएसएफ) के भी अध्यक्ष मल्होत्रा ने कहा कि खिलाड़ियों के अलावा कोचों, डाक्टरों और भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के अधिकारियों से भी पूछताछ होनी चाहिए. मल्होत्रा ने एक बयान में कहा, ‘इससे पहले भी कई खिलाड़ी डोप परीक्षण में विफल रहे हैं लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई.
पॉजीटिव पाये गये खिलाड़ियों के खिलाफ जीरो टोलरेंस पालिसी होनी चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘यह काफी गंभीर मामला है कि 12 खिलाड़ी (छह पहलवान, तीन तैराक, दो एथलीट और एक नेटबाल का खिलाड़ी) राष्ट्रमंडल खेलों से पहले पॉजीटिव पाये गये.’ उन्होंने कहा, ‘जीएएनएसएफ चाहती है कि इससे जुड़े खिलाड़ियों ही नहीं बल्कि उनके कोचों, डाक्टरों और साइ अधिकारियों को भी दोषी पाये जाने पर सजा दी जाये.’
मल्होत्रा ने कहा कि 2002 मैनचेस्टर और 2006 मेलबर्न राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने ‘अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन कुछ खिलाड़ियों के इन खेलों में परीक्षण में विफल रहने पर देश की बदनामी हुई थी.’ उन्होंने कहा, ‘देश पहले की कुछ भारोत्तोलकों की कारगुजारियों के लिए भारी भरकम जुर्माना दे चुका है.
भारत भारोत्तोलन महासंघ से प्रतिबंध हटाने के लिए हमने पांच करोड़ रुपये से अधिक राशि दी जिससे कि भारोत्तोलक खेलों में हिस्सा ले सकें.’ उन्होंने कहा कि आईओए को खिलाड़ियों को साफ और सख्त चेतावनी जारी कर देनी चाहिए कि अगर वे पाजीटिव पाये जाते हैं तो आजीवन प्रतिबंध लगेगा.