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आईपीएल नहीं, क्रिकेट चाहिये

भारत जैसे गरीब देश को आईपीएल से क्या फायदा हो रहा है? क्या हमारे यहां नौकरियां पैदा हो रही हैं? क्या हमारी अर्थवयवस्था संवर रही है? क्या हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाली रोजमर्रा की चीजें सस्ती हो रही है. क्या हमारे बच्चों का मानसिक विकास हो रहा है.

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सोचिये अगर आईपीएल के मैच ना हो तो क्या हो. जितना सोच सकते हैं सोच लीजिये. क्या होगा ज्यादा से ज्यादा? यही कि शाम कैसे कटेगी, शाम को घर जाकर क्या करेगें, शाम की चाय पर गॉसिप क्या होगी, शाम को दोस्तों के बीच बैठकर क्रिकेट के बारे में डींगे कैसे हाकेंगे, शाम की बीयर किस बहाने से पीयेंगे, शाम को so called रिलेक्सेशन कैसे हो पायेगा, थकान कैसे उतरेगी. और अगर गाहे-बगाहे छोटी मोटी शर्तें लगाते हैं क्रिकेट के नाम पर और कुछ पैसा कमा लेते हैं तो वो कैसे कमा पायेंगे.

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बस यही सब ना. इससे ज्यादा भी कुछ फर्क आपको पड़ता है तो भी कोई गुरेज़ नहीं. क्योंकि इतनी सी चीज़ पाने के लिये जो कीमत आप और आपका देश चुका रहा है उसके बारे में सोचना भी हमारा ही काम है. ये देश हमसे है और हम इससे नहीं.

भारत जैसे गरीब देश को आईपीएल से क्या फायदा हो रहा है? क्या हमारे यहां नौकरियां पैदा हो रही हैं? क्या हमारी अर्थवयवस्था संवर रही है? क्या हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाली रोजमर्रा की चीजें सस्ती हो रही है. क्या हमारे बच्चों का मानसिक विकास हो रहा है. क्या ये गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों का जीवनस्तर अच्छा हो रहा है. क्या देश में सड़कें, पानी और बिजली के उत्पादन में इजाफा हो रहा है. क्या हमारे मेहनतकश किसान और मजदूर को दो वक्त की स्वाभिमानी रोटी मिल पा रही है. क्या गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की संख्या में कमी आ रही है. क्या देश में पड़ोसी मुल्कों से आने वाला खतरा कम हो रहा है.

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भद्र लोक के खेल की जिस अभद्रता से इज्जत उतार दी गई है उसके बारे में सोचकर अब अफसोस करने का वक्त नहीं बचा है. इंडियन पैसा लीग, इंडियन पाप लीग, इंडियन पंटर लीग, इंडियन पापी लीग, ये सब कथित नाम सुनकर करोंड़ों क्रिकेट के दीवानों का खून खौलने लगता है. गिने चुने मुठ्टीभर लोग अपने मुनाफे के लिये किस तरह से क्रिकेट का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं ये सोचने और इस दादागीरी को खत्म करने का वक्त आ चुका है.

कुछ चंद लोग आईपीएल के नाम पर करोड़ों-अरबों के वारे न्यारे कर रहे हैं. ना कोई मेहनत, ना कोई सोच, ना कोई प्लानिंग. बस अपनी खौफनाक सोच से मेहनतकश लोगों का खून कैसे चूसा जाये. कैसे उन्हें महलों के ख्वाब दिखाकर उल्लू बनाये जाये. बगैर किसी मेहनत के ये क्रिकेट के दुश्मन gentlemen’s game की पतलून उतारने में कसर नहीं छोड रहे.

सफेद पोशाक पर दाग आसानी से दिख जाता है. तभी इन चालाक चंडालों ने क्रिकेट की पोशाक तक बदल डाली. दिन की रोशनी में खेले जाने वाला खेल अब रात के अंधेरों का मोहताज बना दिया गया है. ये सब इन लुटेरों ने अपनी जेबें गर्म करने के लिये किया है ना कि किसी की भलाई के लिये. बहाना लिया गया कि इससे नये और उदयीमान खिलाडियों का भला हो रहा है. उन्हें अंतरराष्ट्रीय खिलाडियों के साथ खेलने और सीखने का मौका मिलेगा.

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लेकिन ये तर्क इसलिये गले नहीं उतरता कि क्या पहले मुश्ताक अली, गावस्कर, विश्वनाथ, कपिल देव, सचिन तेडुलकर जैसे खिलाड़ी भारत ने पैदा नहीं किये. ये बताईये जरा कि क्रिस गेल जब वेस्ट इंडीज के खेलेंगें तो क्या वो ऐसे छक्के नहीं उड़ा पायेंगें. क्या धोनी का मिडास टच भारत के लिये नहीं चलता. क्या पोंटिंग भारत के उभरते हुये खिलाडियों को सचिन से ज्यादा अच्छी सीख दे पायेंगें.

आईपीएल में टीम ऑनरशिप से लेकर टीम मैनेजमेंट और अब तो खिलाड़ी तक सब क्रिकेट को गर्त में ले जाने के लिये जिम्मेदार हैं. बोर्ड का अध्यक्ष आईपीएल की एक टीम का मालिक है. कई टीमें ऐसी भी है जिनके मालिक कौन हैं इसका कोई अता पता नहीं. एक टीम ऐसी है जो अपने ही दूसरे कारोबार से जुड़े लोगो की नौकरियां छीन रहा है और यहां पर पैसे निचोड़ रहा है.

साफ है कि ऊपर से लेकर नीचे तक कौन-कौन इस गोरखधंधे में लिप्त है ये पता कर पाना बेहद मुश्किल है. क्योंकि इन धांधलेबाजों के संबंध नेताओं से लेकर अंडरवर्ल्ड तक हैं और सब मिलकर आम आदमी का पसीना चूसे ले रहे हैं. जब अंडरवर्ल्ड की भूमिका धीरे-धीरे साफ हो रही है तो साफ है कि इससे देश का तो कोई भला नहीं होने जा रहा. सिर्फ अंडरवर्ल्‍ड बर्बाद कर रहा है. अर्थवय्वस्था को खोखला किया जा रहा है, क्रिकेट को बदनाम किया जा रहा है.

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क्रिकेट के लिये भला होगा कि क्लब लेवल के नाम पर खेला जा रहा आईपीएल बंद कर दिया जाये. और ये 20-20 के मुकाबले देशों के बीच हों. जब दो देश आपस में भिड़ते हैं तो भावनायें अलग होती हैं, जुनून अलग होता है, रोमांच और मज़ा अलग होता है. वो ही पागलपन क्रिकेट की दीवानों की संख्या में इजाफा कर सकता है. नहीं तो अब क्रिकेट को देखने केवल धंधेबाज आयेंगें जो सिर्फ इसे निचोडेंगें और चूस चूस कर बर्बाद कर देंगे.

और अगर IPL चालू रखना मजबूरी/ज़रूरी है तो बेटिंग यानी सट्टेबाजी को वैध यानी legalise कर देना चाहिये. यानी सब मिलकर खुले में सट्टा खेलें. ताकि सट्टे से सरकारी खजाने को भी फायदा हो क्योंकि जब अधिकृत तौर पर सट्टेबाजी होगी तो इससे हुई कमाई पर टैक्स भी लगेगा. कम से कम ये चोर लुटेरे देश को खोखला नहीं कर पायेंगें. साथ ही बेटिंग तो ALLOW हो पर मैच फिक्सिंग या स्पाट फिक्सिंग नहीं.

और तब जो भी ये फिक्सिंग करे उसे कम से कम आजीवन कारावास हो और उसे कम से कम 20 साल तक ना तो ज़मानत मिले और ही पैरोल मिले. जैसे बलात्कार के मामले में पूरा देश एक स्वर में फांसी की मांग कर रहा था, वैसे ही इस मामले में भी एक जुटता की ज़रुरत है ताकि गरीब और मध्यम वर्ग के लोंगों को अमीर बनाने का ख्वाब दिखाकर उन्हें लूटने वाले लोगों का हौसला डिगे और क्रिकेट के दीवानों को उससे घिन और नफरत होने की बजाये ये मोहब्बत दिन-रात परवान चढे.

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