ब्राजील के शहर रियो डी जनेरियो में आयोजित 31वें ओलंपिक गेम्स में बैडमिंटन के महिला सिंगल्स में सिल्वर मेडल जीतने वाली वर्ल्ड नंबर-10 प्लेयर पुरसाला वेंकट सिंधू ने कहा है कि अब वह वर्ल्ड सुपरसीरीज पर ध्यान केंद्रित करेंगी क्योंकि यह वो पुरस्कार है, जिसे वह जीत नहीं सकी हैं. साथ ही सिंधू ने यह भी कहा कि रैंकिंग में नंबर-1 की कुर्सी हासिल करना भी उनका एक बड़ा लक्ष्य है. सिंधू ने कहा कि ओलंपिक में सिल्वर जीतने के बाद अब वह अपने प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों की नजर में सबसे बड़ा निशाना होंगी.
सिल्वर जीतने के बाद स्वदेश पहुंची पीवी सिंधू का आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सरकारों ने शानदार स्वागत किया. सिंधू ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि अब उनका सबसे पहला लक्ष्य सुपरसीरीज खिताब अपनी झोली में डालना है.
ओलंपिक के बाद पहला लक्ष्य सुपरसीरीज
बीते साल डेनमार्क ओपन सुपरसीरीज आयोजन में उपविजेता रहीं सिंधू ने कहा, ‘मेरा पहला लक्ष्य सुपरसीरीज है. मैं इसी पर ध्यान केंद्रित करूंगी.’
वर्ल्ड की 10वीं वरीयता प्राप्त सिंधू के लिए नंबर-1 की कुर्सी हमेशा से एक लक्ष्य रहा है. साल 2012 में टॉप-25 में शामिल होने के बाद सिंधू ने नंबर-1 बनने का सपना देखा था.
वर्ल्ड चैम्पियनशिप में दो बार ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकीं सिंधू ने कहा, ‘अगर आप लगातार टूर्नामेंट जीतते रहेंगे तो आप अपने आप नंबर-1 बन जाएंगे. इसके लिए मुझे काफी मेहनत करनी होगी और अपना बेस्ट देना होगा.’ सिंधू के लिए बैडमिंटन एक जुनून है. आठ साल की उम्र में बैडमिंटन रैकेट थामने वाली सिंधू के माता-पिता अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी रहे हैं.
सिंधू ने कहा, ‘मेरी यात्रा कदम दर कदम रही है. पहले नेशनल सर्किट और फिर इंटरनेशनल सर्किट. मैं वर्ल्ड चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाली पहली महिला बनी. इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा लेकिन इसके बाद कई मौकों पर मैं चोट के कारण परेशान रही और कई मौकों पर मेरा प्रदर्शन खराब रहा. अंत में मैंने यह सब हासिल किया.’
‘सिंधू को बैडमिंटन पर अभी और मेहनत की जरूरत’
सिंधू के कोच पुलेला गोपीचंद का मानना है कि सिंधू में अभी भी पूरा बदलाव नहीं आया है. अभी सिंधू को कई क्षेत्रों में काम करने की जरूरत है. बकौल सिंधू, ‘कोई एक चीज नहीं है. मैं हर स्ट्रोक खेल रही हूं और मेरे लिए यह अधिक जरूरी है कि मैं सीखने की प्रक्रिया जारी रखूं.’
क्या ओलंपिक पदक जीतने के बाद उन पर हर बार कोर्ट पर जाने के बाद अच्छा खेलने का दबाव होगा? इस पर सिंधू ने कहा, ‘दबाव की बात नहीं है. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि मेरी तैयारी कैसी है. यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि किसी एक मैच के लिए मैं किस तरह की रणनीति लेकर चल रही हूं और उस पर कितना अमल कर पा रही हूं.’
स्पेन की केरोलिना मारिन के हाथों रियो ओलंपिक के फाइनल में हारने वाली सिंधू ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अहम क्षणों में उन पर किसी प्रकार का दबाव था. बकौल सिंधू, ‘कोई दबाव नहीं था. मैंने अपना खेल खेला. वह अच्छा मैच था और मैंने मारिन को इसके लिए बधाई भी दी. वह काफी आक्रामक खेलीं.’
सिंधू यह भी मानती हैं कि दूसरे देशों की महिला खिलाड़ी भी इन दिनों अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. उन्होंने कहा, ‘इस साल कोई भी चीनी खिलाड़ी महिला एकल में नहीं थी. वे अच्छा खेलीं लेकिन जिस तरह से बाकी देशों की खिलाड़ी अच्छा खेल रही हैं, इसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि अब चीनी खिलाड़ियों का दबदबा खत्म हो गया है और उन्हें हराना असम्भव नहीं है.’
सिल्वर जीतने से करोड़पति बनने का सफर
रियो ओलंपिक में सिल्वर जीतने के बाद सिंधू के लिए काफी कुछ बदल गया है. अब तक वह 13.5 करोड़ रुपये का पुरस्कार पा चुकी हैं और आने वाले दिनों में और भी पुरस्कारों की झड़ी लगने वाली है. सिंधू ने कहा, ‘यह बिल्कुल अलग भावना है. मैं मानती हूं कि मेरी जिंदगी बदल गई है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ओलंपिक में पदक जीतूंगी. यह मेरा पहला ओलंपिक था. मैं वाकई बहुत खुश हूं. मेरे लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा है.’
सिंधू को इस बात की बेहद खुशी है कि उनकी जीत पर देश के टॉप नेता खुश हुए, महत्वपूर्ण लोगों ने खुशी मनाई. हर किसी ने उनके लिए प्रार्थना की. अमिताभ बच्चन ने ट्वीट किया कि वह उनके साथ सेल्फी लेना चाहते हैं और रजनीकांत ने कहा कि वह उनके मुरीद हो चुके हैं.
सिंधू ने कहा, ‘यह बहुत बड़ी बात है. इससे मुझे खुशी होती है. आज मैं उन सबको रीट्वीट कर रही हूं और धन्यवाद कर रही हूं. लाखों-करोड़ों लोगों ने मेरा साथ दिया. मैं समझती हूं कि उनके समर्थन, सहयोग, आशिर्वाद और प्रार्थना के कारण मुझे सफलता मिली.’