लगता है जम्मू-कश्मीर के क्रिकेट प्रशंसक मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला खेल पर राजनीति करने का मन बना चुके हैं. उनके प्रदेश के खिलाड़ी परवेज रसूल को जिम्बाब्वे के खिलाफ प्लेइंग इलेवन में जगह न दिए जाने के खिलाफ वे पूरी तरह मोर्चा खोल चुके हैं.
शुक्रवार को उन्होंने ट्वीट करके बीसीसीआई से कहा है कि परवेज को चांस मिलना चाहिए. शनिवार को अंतिम मैच में भी जब रसूल को अंतिम एकादश में नहीं रखा गया तो उमर ने एक और ट्वीट किया और लिखा कि क्या रसूल को न खिलाना उसे हतोत्साहित करने जैसा नहीं है? यदि उसे घर में ही रखा जाता तो ज्यादा सस्ता नहीं पड़ता?
समझा जा सकता है उमर अब्दुल्ला अपने प्रदेश के खिलाड़ी को प्लेइंग इलेवन में न रखे जाने से खफा हैं. लेकिन इस तरह के बयान देना कहां तक उचित है. उन्हें यह ध्यान में रखना चाहिए कि कई खिलाड़ी ऐसे हैं, जिन्हें कई-कई मैचों तक बैंच पर बैइकर इंतजार करना पड़ा है.
इससे पहले उमर अब्दुल्ला ने अपने ट्विटर पेज पर लिखा था, ‘बीसीसीआई युवा खिलाड़ी (रसूल) को खुद को साबित करने का एक मौका तो दो.’ भारत पहले ही पांच मैचों की सीरीज को चार मैच जीतकर अपने नाम कर चुका है.
उमर अब्दुल्ला ने कहा था, ‘बेहद निराश हूं कि रसूल को जिम्बाब्वे में एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला.’ राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने वाले जम्मू एवं कश्मीर के पहले क्रिकेटर बने रसूल और अजिंक्य रहाणे को जिम्बाब्वे के खिलाफ चार मैचों में अब तक मौका नहीं दिया गया है.
रसूल ने पिछले रणजी सत्र में 594 रन बनाने के अलावा 33 विकेट चटकाकर सबका ध्यान खींचा था.