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33 साल के हुए धोनी, बताया अपना रिटायरमेंट प्लान

टीम इंडिया के कैप्टन कूल एम एस धोनी देश ही नहीं बल्कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में शुमार हो चुके हैं. स्थिति को भांपकर उसके हिसाब से फैसला करना धोनी की सबसे बड़ी काबिलियत है लेकिन पिछले सात सालों में भारत को अपनी कप्तानी से बुलंदियों तक पहुंचाने वाले इस दिग्गज ने कहा कि उनकी अंतरात्मा की आवाज सिर्फ तर्क पर आधारित है.

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एम एस धोनी
एम एस धोनी

टीम इंडिया के कैप्टन कूल एम एस धोनी देश ही नहीं बल्कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में शुमार हो चुके हैं. स्थिति को भांपकर उसके हिसाब से फैसला करना धोनी की सबसे बड़ी काबिलियत है लेकिन पिछले सात सालों में भारत को अपनी कप्तानी से बुलंदियों तक पहुंचाने वाले इस दिग्गज ने कहा कि उनकी अंतरात्मा की आवाज सिर्फ तर्क पर आधारित है.

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पढ़ें: धोनी की लाइफ से जुड़े 33 unknown facts

धोनी ने अपने 33वें बर्थडे पर bcci.tv से 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप से ठीक पहले कप्तान बनाए जाने, सीनियर खिलाड़ियों की मौजूदगी में यह जिम्मेदारी निभाने और अपनी कप्तानी की शैली जैसे मुद्दों पर बात की. इसके अलावा धोनी ने अपना रिटायरमेंट प्लान भी बताया.

संन्यास के बाद कुछ ऐसा करेंगे धोनी...
क्रिकेट खेलना छोड़ने के बाद की योजना के बारे में पूछने पर धोनी ने कहा, 'अच्छी चीज यह है कि मैंने काफी स्टंप इकट्ठे किए हैं लेकिन बुरी बात यह है कि मैंने उन पर कोई निशान नहीं लगाया कि यह किस मैच के हैं. इसलिए संन्यास लेने के बाद मैं अपने सभी मैचों के वीडियो देखूंगा और प्रयोजक के लोगो को पहचानकर यह जानने की कोशिश करूंगा कि कौन सा स्टंप किस मैच का है. वह क्रिकेट के पास समय बिताने का मेरा पसंदीदा जरिया होगा.'

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'मन की आवाज पर करता हूं विश्वास'
भारत को टेस्ट क्रिकेट में नंबर-1, 2011 में वर्ल्ड चैंपियन, 2007 टी-20 वर्ल्ड चैंपियन और पिछले साल चैंपियंस ट्रॉफी विजेता बनाने के बारे में पूछने पर धोनी ने कहा कि वह मैदान पर अपने मन की आवाज सुनकर काम करते हैं और इसके लिए अपने अनुभव पर निर्भर हैं. धोनी ने कहा, 'मैं काफी योजनाएं नहीं बनाता और अपने मन की आवाज पर विश्वास करता हूं. लेकिन काफी लोगों की समझ में यह नहीं आता कि मन की आवाज सुनने से पहले आपके लिए इस स्थिति का पहले अनुभव होना जरूरी है.' उन्होंने कहा, 'उदाहरण के लिए आपको बाइक के बारे में कुछ नहीं पता. अगर मैं अपनी एक बाइक का इंजन खोलूं और इसको आपके सामने रखकर बताने को कहूं कि आपके हिसाब से यह इंजन किस बाइक का है और आपके मन की आवाज क्या कहती है तो आपके मन से कोई आवाज नहीं आएगी क्योंकि आप वहां रखी चीज के बारे में कुछ नहीं जानते.'

'अनुभव पर आधारित होती है अंतरात्मा की आवाज'
धोनी ने कहा, 'मेरी अंतरात्मा की आवाज मेरे अतीत के अनुभव से आती है जो मैंने अपने जीवन में खेले क्रिकेट और परिस्थितियों का सामना करके हासिल किया है. यह कोई ऐसी चीज नहीं हैं कि आपने बिना किसी तर्क के कुछ महसूस किया और कर दिया.'

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भारत को 9 जुलाई से नाटिंघम में इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज खेलनी है जिसे धोनी के करियर की सबसे बड़ी चुनौती माना जा रहा है. ड्रेसिंग रूम में सीनियर खिलाड़ियों की मौजूदगी में किसी भी कप्तान को काफी दबाव का सामना करना पड़ सकता है और धोनी भी सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली की मौजूदगी में इस तरह की स्थिति का सामना कर सकते थे, जबकि फिलहाल वह ऐसी टीम की अगुआई कर रहे हैं जो बदलाव के दौर से गुजर रही है.

'सीनियर खिलाड़ियों के साथ उठाया कप्तानी का लुत्फ'
उन्होंने कहा, 'सीनियर खिलाड़ियों से जुड़ी सबसे अच्छी बात यह थी कि अपने अनुभव से उनके पास मुझे बताने के लिए काफी योजनाएं और सुझाव थे.' कैप्टन कूल ने कहा, 'इस स्थिति में मैं सहज था क्योंकि मुझे पता था कि मैं ईनानदारी से उनसे सीधे-सीधे बात कर सकता हूं और वे नाराज भी नहीं होंगे. उनकी वजह से मैं वह बनकर रह पाया जो मैं हूं और मैंने अपनी शैली की कप्तानी विकसित की.'

युवा टीम की अगुवाई अलग अहसास...
मौजूदा स्थिति के बारे में पूछने पर धोनी ने कहा, 'फिलहाल की स्थिति काफी अलग है. हालांकि मैं एक युवा टीम की कमान संभाल रहा हूं लेकिन मैं ऐसी कोई योजना नहीं बनाना चाहता जिसे लागू करने में गेंदबाज सहज नहीं हो. इसलिए मैं गेंदबाजों को उनकी योजना और उनके क्षेत्ररक्षण के साथ शुरुआत करने देता हूं और उन्हें खुद सोचने के लिए प्रोत्साहित करता हूं.'

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'कप्तानी मिलने पर हैरान था'
धोनी ने माना कि जब उन्हें कप्तान बनाया गया तो वह हैरान थे और तेंदुलकर ने इसमें भूमिका निभाई. उन्होंने कहा, 'ऐसा था (मैं हैरान था), क्योंकि मैंने कभी कप्तानी को लक्ष्य नहीं बनाया था. मेरे लिए टीम का हिस्सा होना कप्तानी से कहीं अधिक अहम था.

तेंदुलकर ने बनवाया धोनी को कप्तान!
तेंदुलकर की भूमिका के बारे में पूछने पर धोनी ने कहा, 'मुझे लगता है कि यह मेरे और उनके बीच होने वाली बातचीत से जुड़ा है. उदाहरण के लिए तेंदुलकर काफी तरह से गेंदबाजी कर सकते हैं और जब भी सचिन गेंदबाजी के लिए आते तो वह विकेट और बल्लेबाज के आधार पर पूछते कि सर्वश्रेष्ठ गेंद सीम, ऑफ स्पिन या लेग स्पिन होगी. इस दौरान जब मैं ईमानदारी से अपना नजरिया देता तो उन्हें विश्वास हो जाता कि मैं खेल को अच्छी तरह पढ़ रहा हूं.'

'जीते गए सभी बड़े टूर्नामेंट दिल के करीब'
धोनी की कप्तानी में भारत द्वारा जीते गए बड़े टूर्नामेंट के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि मैं किसी एक को चुनकर यह नहीं कह सकता कि यह मेरे दिल के करीब है. वे सभी मेरे करीब हैं.'

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