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भारत और इंग्लैंड के बीच क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता की बात करें, तो 10 फरवरी का दिन बेहद खास है. इसी दिन 1952 में भारत को टेस्ट क्रिकेट में पहली जीत मिली थी. भारत को यह पहली टेस्ट जीत चेन्नई (तब मद्रास) के एमए चिदंबरम स्टेडियम में हासिल हुई थी, तब प्रतिद्वंद्वी टीम इंग्लैंड थी, जिसे भारत ने विजय हजारे की कप्तानी में पारी और 8 रनों से मात देकर टेस्ट क्रिकेट में अपनी पहली जीत का जश्न मनाया था.
भारत ने अपना पहला टेस्ट 1932 में खेला और उसे अपनी पहली जीत 25वें टेस्ट में मिली. भारत की इस जीत के हीरो बाएं हाथ के स्पिनर वीनू मांकड़ रहे, जिन्होंने इंग्लैंड की पहली पारी में 55 रन देकर 8 विकेट निकाले, जिससे इंग्लैंड की टीम 266 रनों पर सिमट गई. जवाब में भारत ने अपनी पहली पारी में पंकज रॉय और पॉली उमरीगर की शतकों की बदौलत 457/9 रन बना पारी घोषित की थी.
इंग्लैंड की दूसरी पारी महज 183 रनों पर ढेर हो गई. इस पारी में भी वीनू मांकड़ ने अपनी फिरकी से कमाल कर दिखाया. उन्होंने 53 रन देकर 4 विकेट निकाले. ऑफ स्पिनर गुलाम अहमद को भी 4 विकेट मिले थे. इस तरह भारत ने सीरीज का आखिरी टेस्ट मैच पारी और 8 रनों से जीत लिया. इस जीत से पांच टेस्ट मैचों की सीरीज 1-1 से बराबरी पर छूटी थी. उस दौर में वीनू मांकड़, गुलाम अहमद और सुभाष गुप्ते की 'स्पिन तिकड़ी' ने अलग ही पहचान बनाई थी.
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उस ऐतिहासिक जीत में विकेटकीपर प्रबीर कुमार सेन (खोखन सेन के नाम से भी जाने गए) ने भी उल्लेखनीय भूमिका निभाई. उन्होंने मैच में कुल 5 स्टंपिंग की (सभी वीनू मांकड़ की गेंदों पर). जिनमें से 4 पहली पारी में. खोखन के बाद किरण मोरे ने मद्रास में ही वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट में कुल 6 स्टंपिंग (पहली पारी में 1, दूसरी में 5- नरेंद्र हिरवानी की गेंदों पर 5 स्टंपिंग) की थी.