
21 मई 1997 ऐसी तारीख है, जिसे भारतीय क्रिकेट प्रशंसक याद नहीं रखना चाहेंगे. 24 साल पहले इसी दिन पाकिस्तानी ओपनर सईद अनवर ने चिर प्रतिद्वंद्वी भारत के खिलाफ कहर बरपाया था. चेन्नई में इंडिपेंडेंस कप के छठे मुकाबले में सईद अनवर ने 194 रनों की पारी खेली थी, जो तब वनडे की सबसे बड़ी पारी रही. उन्होंने वेस्टइंडीज के दिग्गज विवियन रिचर्ड्स के 189 रनों को पीछे छोड़ा था, जो उन्होंने 1984 में इंग्लैंड के खिलाफ बनाया था. सईद अनवर के पास वनडे इतिहास का पहला दोहरा शतक जड़ने का मौका था, जो सचिन तेंदुलकर ने छीन लिया.
कप्तान सचिन तेंदुलकर ने खुद गेंदबाजी करते हुए सईद अनवर को सौरव गांगुली के हाथों लपकवाया था और उन्हें दोहरा शतक जमाने से रोका था. वनडे इतिहास में 12 साल तक सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर का रिकॉर्ड सईद अनवर के नाम रहा. 2009 में जिम्बाब्वे के चार्ल्स कोवेंट्री ने नाबाद 194 रनों की पारी खेलकर इस जादुई आंकड़े की बराबरी की थी. लेकिन इसके एक साल बाद ही सचिन तेंदुलकर ने नाबाद 200 रनों की ऐतिहासिक पारी खेलकर रिकॉर्डबुक में नाम दर्ज करा लिया था.
पाकिस्तान ने उस मैच में निर्धारित 50 ओवरों में 327/5 रन बनाए थे. अनवर ने 146 गेंदों की पारी में 22 चौके और पांच छक्के लगाए थे. अनवर के लिए ज्यादातर समय शाहिद अफरीदी ने रनिंग की थी. जिसके चलते चेन्नई की गर्मी और उमस में बाएं हाथ के इस बल्लेबाज को बड़ी पारी खेलने में सहूलियत हुई.
जवाब में भारतीय टीम 49.2 ओवर में 292 रन बनाकर ऑल आउट हो गई. पाकिस्तान ने यह मैच 35 रनों से जीत लिया था. भारत की ओर से राहुल द्रविड़ ने 107 और विनोद कांबली ने 65 रन बनाए. पाकिस्तान के लिए आकिब जावेद ने 61 रन देकर 5 विकेट चटकाए थे.
... बेटी की मौत से लगा था गहरा सदमा
पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर सईद अनवर का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर 13 साल (1990-2003) का रहा. 2001 का मुल्तान टेस्ट इस सलामी बल्लेबाज के लिए आखिरी टेस्ट साबित हुआ. इस टेस्ट में शतक जमाने के बावजूद उन्होंने दोबारा टेस्ट क्रिकेट नहीं खेला और दो साल बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया.
दरअसल, 31 अगस्त 2001 को पाकिस्तान ने एशियन टेस्ट चैम्पियनशिप के दौरान मुल्तान टेस्ट के तीसरे ही दिन बांग्लादेश के खिलाफ पारी और 264 रनों से बड़ी जीत हासिल की. उस वक्त टेस्ट में पारी के आधार पर वह उसकी सबसे बड़ी जीत थी (हालांकि एक साल बाद ही उसने न्यूजीलैंड को लाहौर टेस्ट में पारी और 324 रनों से हराया था). लेकिन पाकिस्तान अपनी उस विशाल जीत का जश्न नहीं मना पाया.
उस मुल्तान टेस्ट में 546/3 रनों के स्कोर में पाकिस्तान के पांच बल्लेबाजों ने शतक जड़े थे (जो ऑस्ट्रेलिया के साथ संयुक्त रूप से टेस्ट की एक पारी में सर्वाधिक शतकों का रिकॉर्ड है). इनमें सईद अनवर भी शामिल रहे. उन्होंने 101 रन बनाए. जो उनका 11वां और आखिरी शतक साबित हुआ.दरअसल, सईद अनवर के मुल्तान टेस्ट के पहले दिन (29 अगस्त को) शतक जमाने के दो दिन बाद ही उनकी साढ़े तीन साल की बेटी बिस्माह की लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई. वे लाहौर लौट गए. इसके बाद फिर कभी टेस्ट मैच नहीं खेले.
अनवर का झुकाव धर्म की ओर हो गया
बेटी की असामयिक मौत के बाद अनवर का झुकाव धर्म की ओर हो गया है और वह इस्लाम के प्रचार- प्रसार में लग गए. उन्होंने अपनी दाढ़ी भी बढ़ा ली थी. दूसरी तरफ, सईद अनवर वनडे टीम में अंदर-बाहर होते रहे. 2003 वर्ल्ड कप में उन्होंने भारत के खिलाफ जुझारू शतक जमाया, लेकिन पाकिस्तान वह मैच हार गया था. अनवर ने वह शतक अपनी दिवंगत बेटी को समर्पित किया.
आखिरकार सईद अनवर ने 15 अगस्त 2003 को इंटरनेशनल और फर्स्ट क्लास क्रिकेट को अलविदा कह दिया. उन्होंने पाकिस्तान के लिए 55 टेस्ट में 45.52 की औसत से 4052 (11 शतक, 25 अर्धशतक) रन बनाए थे, जबकि 247 वनडे में उन्होंने 39.21 की औसत से 8824 रन बनाए. उन्होंने इस दौरान 20 शतक और 43 अर्धशतक जमाए.
भारत के खिलाफ रहा शानदार रिकॉर्ड
सईद अनवर को भारतीय टीम के खिलाफ बल्लेबाजी करना काफी पसंद था. अनवर ने भारत के खिलाफ 50 वनडे मैचों में 43.52 की औसत से 2002 रन बनाए थे. इस दौरान उनके बल्ले से चार शतक और 8 अर्धशतक निकले थे. अनवर को भारत के खिलाफ तीन टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला था. अनवर ने इन तीन मैचों में 57.80 की औसत से 289 रन बनाए, जिसमें एक शतक और 1 अर्धशतक शामिल रहे.