क्रिकेट में हैट्रिक लेना हर गेंदबाज का सपना होता है. अब तक टेस्ट क्रिकेट में 45 हैट्रिक बन चुकी है. लेकिन एक ऐसा गेंदबाज भी हुआ, जिसने एक ही टेस्ट मैच में 2 बार हैट्रिक ली और वो भी एक दिन में. ऑस्ट्रेलिया के लेग स्पिनर जिमी मैथ्यूज ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ इस अनोखे कारनामे को अंजाम दिया था. मैथ्यूज ने 1912 में आज ही (28 मई) के दिन दो हैट्रिक ली थी. दिलचस्प बात यह है कि दोनों हैट्रिक में किसी फील्डर का सहारा नहीं लिया था. मैथ्यूज के बाद यह अनोखा कारनामा टेस्ट इतिहास में कोई दूसरा गेंदबाज नहीं कर पाया है.
दिन की पहली हैट्रिक: 1912 में इंग्लैंड की धरती पर त्रिकोणीय टेस्ट सीरीज का आयोजन किया गया था. इंग्लैंड के अलावा ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका ने इस सीरीज में भाग लिया था. ओल्ड ट्रैफर्ड के मैदान पर सीरीज का पहला टेस्ट मैच 27 मई से खेला गया. टॉस जीतकर ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 448 रन बनाए थे. ऑस्ट्रेलिया के लिए वॉरेन बर्डस्ले (121) और चार्ल्स कैलवे (114) ने शानदार शतक जड़े.
जवाब में बिल व्हिटी ने 5 विकेट लेकर साउथ अफ्रीका की पहली पारी को झकझोर दिया था. मैच के दूसरे दिन अफ्रीकी टीम का स्कोर 7 विकेट पर 265 रन था, जब मैथ्यूज ने इतिहास रचने की ओर पहला कदम बढ़ाया. जिमी मैथ्यूज ने पहले रॉलेंड ब्यूमोंट को बोल्ड किया. फिर अगली दो गेंदों पर सिड पेगलर और विकेटकीपर टॉमी वार्ड को एलबीडब्ल्यू आउट कर उन्होंने दिन की पहली हैट्रिक पूरी की.
दिन की दूसरी हैट्रिक: साउथ अफ्रीका की पहली पारी 265 रनों पर सिमट गई थी. जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने फॉलोऑन दिया और दूसरे ही दिन दक्षिण अफ्रीका की दूसरी पारी शुरू हुई. चार्ल्स कैलवे ने 4 विकेट झटककर साउथ अफ्रीका का स्कोर 70 रन पर 6 विकेट कर दिया. अफ्रीकी टीम की करारी सुनिश्चित थी, लेकिन जिमी मैथ्यूज का करिश्मा अब भी बाकी था. मैथ्यूज ने पहले हर्बी टेलर को बोल्ड किया किया. इसके बाद रेगे श्वार्ज और टॉमी वार्ड (मैच में दूसरी बार आउट किया) को कॉट एंड बोल्ड कर दिन की दूसरी हैट्रिक पूरी कर ली. साउथ अफ्रीका की दूसरी पारी महज 95 रनों पर ढेर हो चुकी थी. इस तरह ऑस्ट्रेलिया ने मैच को एक पारी और 88 रनों से जीत लिया था.
सिर्फ 8 टेस्ट खेल पाए जिमी मैथ्यूज
जिमी मैथ्यूज ने त्रिकोणीय सीरीज के बाकी पांच मैच भी खेले. लेकिन उस सीरीज के बाद वह फिर कभी ऑस्ट्रेलिया के लिए नहीं खेल पाए. मैथ्यूज ने 1906 में विक्टोरिया के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट की शुरुआत की. 6 साल बाद जनवरी 1912 में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के लिए टेस्ट डेब्यू किया. उसी साल अगस्त में इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला. मैथ्यूज ने 8 टेस्ट मैचों में 26.18 की औसत से 16 विकेट लेने में सफल रहे. इसके अलावे मैथ्यूज ने 67 फर्स्ट क्लास मैचों में 25.46 की औसत से 177 विकेट चटकाए.
... पहले विश्व युद्ध में लिया भाग
पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 के बीच हुआ था. इस विश्व युद्ध से पहले जिमी मैथ्यूज को इंग्लैंड के लिए खेलने का ऑफर मिला था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया. मैथ्यूज पहले विश्व युद्ध में फर्स्ट ऑस्ट्रेलियन इंपीरियल फोर्स (First AIF) के लिए युद्ध में शामिल हुए थे. युद्ध के दौरान ही उन्हें अल्सर हो गया, जिसके चलते उन्हें फौज से अलग कर दिया दिया. विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद मैथ्यूज ने विलियमस्टाउन क्रिकेट ग्राउंड में बतौर ग्राउंड्समैन काम किया.
उनकी जिंदगी के आखिरी दिन काफी तकलीफों में गुजरे. उनकी पत्नी और 5 बच्चों ने अलग-अलग बीमारियों की वजह से जल्द ही दुनिया को छोड़कर चले गए. 1943 में टीबी की बीमारी के चलते जिमी मैथ्यूज ने 59 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया.