मनदीप जांगड़ा ने जब पहली बार मुक्केबाजी में हाथ आजमाया तो उसके बदले में उन्हें पिता से मार खानी पड़ी थी, लेकिन एशियाई चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर लौटने पर उसी पिता ने हवाई अड्डे पर गर्व से अपने बेटे का स्वागत किया.
हिसार के इस मुक्केबाज ने जॉर्डन में हुई एशियाई चैंपियनशिप में 69 किलोवर्ग में सिल्वर मेडल जीता. उन्होंने कहा, ‘पहले उन्हें पता भी नहीं था कि मैं कहां ट्रेनिंग कर रहा हूं, लेकिन आज वह हवाई अड्डे पर मेरी अगवानी के लिए आए.’ मनदीप जब 8वीं में थे तब उत्सुकता के कारण वह मुक्केबाजी रिंग देखने चले गए जहां किसी ने उन्हें पंच मारना सिखाया.
उन्होंने कहा, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुक्केबाजी को करियर बनाऊंगा. मैं सिर्फ एक मुकाबला देखना चाहता था और किसी ने मुझे सिखाया कि पंच कैसे मारा जाता है. मैं घर देर से आया और जब मैंने बताया कि मैं कहां था तो पापा ने मुझे मारा और कमरे में बंद कर दिया.’
मनदीप ने कहा, ‘इसके बाद हमारे बीच करार हुआ. उन्होंने कहा कि तुझे जो करना है, कर लेकिन नंबर अच्छे लाना. मैंने उनकी बात मानी. फिर मैंने मुक्केबाजी को अपना लिया. मेरी मां ने फिर मेरी शिकायत की लेकिन इस बार मार नहीं पड़ी.’ मनदीन ने बताया, ‘मुझे अपने माता-पिता को समझाने में एक साल लगा लेकिन मैं कामयाब रहा.’