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Opinion: क्रिकेट बोर्ड यानी इधर कुआं, उधर खाई

बीसीसीआई के अध्यक्ष के चुनाव का मामला फिलहाल सुर्खियों में है. एन श्रीनिवासन पर सुप्रीम कोर्ट की वक्र दृष्टि के बाद अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें इस महत्वपूर्ण पद का चुनाव फिर लड़ने दिया जाएगा या नहीं, लेकिन वह लगातार तैयारी कर रहे हैं. वह यह दलील दे रहे हैं कि अदालत ने उन्हें चुनाव लड़ने से नहीं रोका है. इस बारे में 14 फरवरी को ही पता चल पाएगा कि अदालत का रुख क्या है.

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बीसीसीआई के अध्यक्ष के चुनाव का मामला फिलहाल सुर्खियों में है. एन श्रीनिवासन पर सुप्रीम कोर्ट की वक्र दृष्टि के बाद अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें इस महत्वपूर्ण पद का चुनाव फिर लड़ने दिया जाएगा या नहीं, लेकिन वह लगातार तैयारी कर रहे हैं. वह यह दलील दे रहे हैं कि अदालत ने उन्हें चुनाव लड़ने से नहीं रोका है. इस बारे में 14 फरवरी को ही पता चल पाएगा कि अदालत का रुख क्या है.

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जाहिर तौर पर अगर अदालत ने नकारात्मक बातें कहीं तो श्रीनिवासन के लिए दरवाजे बंद हो जाएंगे. लेकिन जो लोग सोच रहे हैं कि उसके बाद क्रिकेट बोर्ड में सफाई हो जाएगी या वहां फिर से सुशासन हो जाएगा वो गलतफहमी में हैं क्योंकि राजनीति के शातिर खिलाड़ी और पूर्व मंत्री शरद पवार ने उस ओर नजरें गड़ा दी हैं. पवार बीसीसीआई की ताकत और उसकी समृद्धि का स्वाद चख चुके हैं और 2005 से 2008 तक उसके अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं. इतना ही नहीं वह प्रतिष्ठित आईसीसी के अध्यक्ष पद पर भी 2010 से 2012 तक काबिज रहे हैं.

पवार अब भीतर ही भीतर बीसीसीआई अध्यक्ष पद के लिए अपना समर्थन जुटा रहे हैं. इसके लिए उन्हें पूर्वी क्षेत्र के समर्थन की जरूरत है, जहां श्रीनिवासन अभी मजबूत स्थिति में हैं. यह हैरानी की बात है कि आईपीएल फिक्सिंग घोटाले को देश और अदालत के सामने लाने वाले बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव आदित्य वर्मा ने पवार से चुनाव लड़ने का आग्रह किया. वर्मा का दावा था कि उन्होंने बीसीसीआई में सफाई का अभियान चला रखा है और वहां से भ्रष्टाचार मिटाकर रहेंगे. लेकिन अब वह शरद पवार को वहां बैठने का आग्रह कर रहे हैं.

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पवार मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं और उनकी निगाहें दुनिया के इस सबसे अमीर खेल संगठन पर है. सारा देश जानता है कि यूपीए सरकार और महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के तौर पर शरद पवार ने कैसा काम किया और क्या किया. उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हमेशा लगे, लेकिन राजनीति के इस चतुर खिलाड़ी ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को कभी अपने पर हमला नहीं करने दिया. उन्होंने अपने तमाम पत्ते समझदारी से फेंके. अब वह फिर धीरे-धीरे इस मलाईदार पद पर आने की तैयारी में हैं.

यह भारतीय क्रिकेट के लिए कोई अच्छा संदेश नहीं है. 75 साल के पवार जोड़-तोड़ के बेताज बादशाह रहे हैं और इसके बूते ही 1990 में 12 निर्दलीयों की मदद से महाराष्ट्र के सीएम पद पर काबिज हो गए थे. यह वही पवार हैं जिनके खिलाफ अन्ना हजारे ने भूख हड़ताल की थी. हमेशा से सत्ता में रहने की चाहत ने पवार को फिर बीसीसीआई का रास्ता दिखाया है. यह भारतीय क्रिकेट के लिए कोई शुभ संकेत नहीं है.

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