देश के सबसे चमकते सितारे को भारत रत्न मिलना पूरे देश के लिए गौरव की बात है क्योंकि अब तक खिलाड़ियों के बारे में ऐसा नहीं सोचा जाता था. सचिन तेंदुलकर की लोकप्रियता और रिकॉर्डों के अंबार ने उन्हें एक विशिष्ट व्यक्ति बना दिया. वह अपने जीवन काल में ही खिलाड़ी से भी आगे एक महानायक बन गए. देश ही दुनिया भर में सचिन के नाम की धूम मची और सबने पूरे उत्साह से उन्हें खेलते देखा. सचिन का नाम बच्चे-बच्चे की ज़ुबान पर रहा है और इसमें कोई शक नहीं कि उन्हें यह सम्मान मिलना ही चाहिए था. रही बात हॉकी के जादूगर ध्यान चंद की तो इसमें कोई राय नहीं कि वे भी इस सम्मान के उतने ही बड़े अधिकारी हैं. उनका योगदान कम नहीं था.
बहरहाल, हम सचिन की बात करें तो यह मानना पड़ेगा कि उनमें जो एकाग्रता, टैलेंट और लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता थी वह दुर्लभ है. क्रिकेट के खेल में जो पैसा और शोहरत है वह कई नामी खिलाड़ियों के लिए काल बन गई. यह उनके लिए एक बाधा बन जाती है लेकिन सचिन को उस बेशुमार शोहरत से कोई फर्क नहीं पड़ा और वह एकाग्र भाव से खेलते रहे. उन्होंने कई कीर्तिमान बनाए और देश का नाम ऊंचा किया. रिकॉर्ड एक के बाद एक टूटते गए और लिटिल मास्टर बुलंदियों को छूते गए. सचिन ने इतने रिकॉर्ड बना दिए कि दुनिया में अब कोई भी खिलाड़ी शायद ही उन्हें छू पाए, तोड़ना तो दूर की बात है.
आलोचक कह सकते हैं कि सरकार ने सचिन की शोहरत का फायदा उठाने के लिए उन्हें आनन-फानन में यह सबसे बड़ा सम्मान देने का फैसला किया. वोट की राजनीति से प्रेरित होकर. यह आरोप बेबुनियाद नहीं दिखता लेकिन फिर भी इतना तय है कि सचिन की लोकप्रियता किसी से कम नहीं रही है. बेशक वे नंगे पांव न खेले हों, उन्होंने दुरूह परिस्थितियों में भारत को जिताया. वे विपरीत परिस्थितियों में भी खेले और देश का झंडा बुलंद किया. ज़ाहिर है देश सचिन का शुक्रगुजार है कि उन्होंने देश को उन बुलंदियों तक पहुंचाया जिनके कारण आज भारत आज क्रिकेट में एक शक्ति बनकर उभरा है.
उम्मीद की जानी चाहिए कि एक खिलाड़ी को देश का सर्वोच्च सम्मान देकर सरकार एक स्वस्थ परंपरा कायम करेगी क्योंकि खिलाड़ी भी राजनेता की तरह देश को दिशा देता है.